नौकरशाही में उलझे प्रदूषण के नियम

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केंद्र सरकार ने २०१५ के कड़े प्रदूषण नियमों को बदल कर उनमें ढील दे दी है. यह तो प्रदूषण पर आगे बढ़ने के बजाय पीछे लौटना हुआ. अतः २०१७ में संशोधित नियमावली को कचरे के डिब्बे में डाल कर २०१५ के मानकों को ही आदर्श के रूप में स्थापित कर उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.

आओ! जीवन का विश्वास जगाएं

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अमेरिका के लास वेगास में जो नरसंहार हुआ वह सिहरन पैदा करता है। इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक का उत्तरार्द्ध हमें सचेत कर रहा है कि अब भी समय है कि हम इस भस्मासुरी प्रवृत्ति से बचें और सनातन जीवन मूल्यों को आत्मसात करते हुए विज्ञान और टेक्नालाजी से प्राप्त सुविधाओं और संपन्नता का सम्यक तथा संतुलित उपयोग और उपभोग करें। पिछले दिनों एक दिल दहला देने वाला समाचार दुनिया के सब से समृद्ध और सभ्य कहे जाने वाले देश अमेरिका से आया। वहां के एक शहर लास वेगास में एक संगीत समारोह चल रहा था। १४०००० लोग उस समारोह का आनंद

पर्यावरण परिवर्तन एक वैश्विक संकट

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पृथ्वी के चारों ओर कई सौ किलोमीटर की मोटाई में व्याप्त गैसीय आवरण को ‘वायुमण्डल’ कहा जाता है। पृथ्वी की आकर्षण शक्ति के कारण ही यह वायुमण्डल उसके साथ टिका हुआ है।

सत्यं, शिवं, सुंदरम्

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ब्रह्म सत्य है, पवित्र है, सुंदर है। ब्रह्म का ही दूसरा रूप है यह सृष्टि। इसलिए सृष्टि का हर रूप भी उतना ही सत्य, पवित्र और सुंदर है। इस सृष्टि के पांच तत्व हैं। हमारे मनीषियों ने इन्हें पृथ्वी, आप, तेज, वायु और आकाश के रूप में परिभाषित किया है।

पर्यावरणवादी नहीं पर्यावरण विचारी बनें

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प्रतिवर्ष 5 जून को अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है । 5 जून 1972 को स्टाकहोम में ‘मानव और पर्यावरण’ विषय पर अन्तरराष्ट्रीय परिषद आयोजित की गयी थी। अत: प्रतिवर्ष 5 जून को अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

कहीं कश्मीर घाटी न बन जाए ब्रम्हपुत्र घाटा

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देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में विगत 11 अगस्त 2012 को घटना वह विश्व की सबसे शर्मनाक घटना है। देशवासियों को शर्मसार करने वाली इस घटना तथा इस दिन हुए कुकृत्यों से प्रत्येक भारतीय को ग्लानि हुई है। भारत की स्वतंत्रता के उपरांत भारत माता इतनी अपमानित कभी नहां हुई थी

टोफी वानर

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टोफी वानर या टोफी फर्णी वानरों को अंग्रेजी में कैपड लीड मंकी या कैपड लंगूर कहा जाता है। फक्षीशास्त्र में इसका उल्लेख मिलता है। संस्कृत में इसे शाखामृग कहा जाता है।

संगाई

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संगाई को अंग्रेजी में हूता् ई, लैटिन में णन्ल्े ात्ग्ग् तथा ब्राह्मी भाषा में शामिन व मणिपुरी में संगाई कहते हैं। संस्कृत में उसे रूरू के नाम से जाना जाता है।

बरखा की पहली सौगात ले आये

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पृथ्वी पर आने वाली छहों ऋतुओं में प्रकृति छह बार नूतन शृंगार करती हैं। यों तो ऋतु चक्र में प्रकृति के सभी रूप मनोहर होते हैं, किंतु झुलसते ग्रीष्म के बाद उमड़-घुमड़ कर आने वाले मेघों को देखकर मन विशेष आह्वाद व शीतलता का अनुभव करता है। वर्षा की फुहारें मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों और वनस्पितयों तक नवजीवन का संचार कर देती हैं।

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