रा.स्व.संघ प्रतिनिधि सभा बैठक

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राष्ट्रजीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जनशक्ति को संस्कारित, संगठित करते हुए सर्वांगीण उन्नति के संकल्प में सहभागी होने वाले कार्यकर्ताओं का जमघट प्रति वर्ष अनुभव होता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि की सभा के अवसर पर! इस वर्ष 7 से 9 मार्च तक बंगलुरू के निकट थणीसंद्र परिसर के राष्ट्रोत्थान परिषद के शिक्षा संकुल में इसकी अनुभूति हुई।

संघ विचारों की प्रेरणा से सफल होने वाला एक भारतीय अमेरिकी उद्यमी

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विदर्भ के नांदुरा के मूल निवासी श्री रमेश भूतड़ा अमेरिका के विकसित ह्यूस्टन शहर में एक सफल उद्यमी के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने ‘स्टार पाइप प्राडक्ट्स’ के नाम से वहां कारखाना लगाया, जो ख्यातिप्राप्त कर चुका है। वहां के समाज में भी उनका सम्माननीय स्थान है। विशेष यह कि श्री भूतड़ा संघ विचारों पर अमल करते हुए अपना व्यवसाय करते हैं। उनसे हुई बातचीत के अंश-

उचित व्यक्ति ही राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर जाना चाहिए-मा. भैयाजी जोशी

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अगर वास्तव में देश मेंं धर्मनिरपेक्ष समाज व्यवस्था होनी हो तो हिंदू विचार ही इसको बल दे सकता है, ऐसा हमारा मानना है। आज अनावश्यक रूप से सेक्यूलरिज्म शब्द का प्रयोग करते हुए हिंदुओं की सभी बातों का विरोध करने की जो राजनीति चल रही है, जो देश के लिए, समाज के लिए घातक होगी।

उत्तर प्रदेश में संघकार्य

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सच पूछा जाए, तो उत्तर प्रदेश में संघकार्य का शुभारंभ मा. भाऊराव देवरसजी के बहुत पहले याने सन 1931 में ही हो चुका था। वीर सावरकर के बड़ेे भाई श्री बाबाराव सावरकर से डॉ. हेडगेवार के बड़े घनिष्ठ संबंध थे।

उत्तराखण्ड आपदा में संघ सेवा कार्य

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15, 16 जून को उत्तराखण्ड में लगातार दो दिनों तक हुई भारी व व्यापक वर्षा से राज्य में जैसे महाप्रलय ही आ गया था जहां केदारनाथ में हजारों लोग पानी और गाद के साथ बह गये, वहीं भारी चहल‡पहल वाले रामबाड़ा कस्बे का निशान तक मिट गया।

भगवा…

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भगवा हमारी जातीय स्मृति में श्रद्धा, वैराग्य, पवित्रता और शुचिता का प्रतीक बनकर बैठा है। स्थायी रूप से भगवा काल की गति का साक्षी है। जो कोई भी भगवा धारण कर हमारे सामने खड़ा है, उसके सामने हम नतमस्तक होते हैं। भगवा सब का है। भगवा पंथ निरपेक्ष! जाति निरपेक्ष! भगवा मांगे सबकी खैर, भगवा निरबैर! भगवा नहीं मानता छुआछूत, सब देवदूत!

संघ की स्थापना आधुनिक राष्ट्र निर्माण की नींव

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वतंत्रता के पश्चात देश का सबसे शक्तिशाली संगठन है। जब देश स्वतंत्र हुआ तब भारत में मुख्य रूप से चार विचारधाराएं कांग्रेस, कम्युनिस्ट, समाजवादी और संघ थीं। कांग्रेस के साथ स्वतंत्रता संग्रम की पार्श्वभूमि थी।

तेजस्वी हिन्दू राष्ट्र का पुनर्निर्माण

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अपना घर-परिवार संभालने के साथ-साथ समाज और देश के प्रति जो दायित्व है, उसे निभाने की प्रेरणा देने और सामाजिक और राष्ट्रीय जागृति लाने के उद्देश्य से समिति की स्थापना की गई। समिति की स्थापना के समय ही उन्होंने सभी महिलाओं के सामने एक उद्देश्य रखा वह था- ‘तेजस्वी हिन्दू राष्ट्र का पुनर्निर्माण।’

कौन खौफ खाता है संघ से?

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अराजकता का रास्ता है, अलोकतांत्रिक है, गड़बड़ी फैलाने का आवाहन है आदि आदि। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के फीछे साम्प्रदायिक शक्तियों (यानी रा स्व संघ अर्थात आरएसएस) का हाथ होने के बेबुनियाद आरोपों के बारे में भी लगभग उसी तरह की अनर्गल भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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