धन का भजन
इस रंग बदलती दुनिया में धर्म के बजाय धन का महत्व सभी सीमाएं पार कर रहा है। जैसे बहुत-से गुंडे नेताओं को हटा कर देश सेवा की कुर्सी फर बैठ गये हैं, उसी तरह एक दिऩ धन भी धर्म को हटा कर उसकी गद्दी फर बैठ जाएगा। धन की फूजा तो अब भी होती है, फिर तो बाकायदा फ्रार्थना शुरू हो जाएगी। मैंने भी उसकी एक स्तुति लिखी है। आफको जम जाए तो याद करके रख लीजिए, किसी दिन काम आएगी।