फिल्मी पुरस्कार बन गए मनोरंजन के उत्सव

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फिल्मी दुनिया में इस समय इस तरह का उत्साही और हिसाबी वातावरण है कि हम ‘अपनी भूमिका’ जैसे हो करते रहे, फिर भी कोई न कोई फिल्मी पुरस्कार अवश्य मिल ही जाएगा।

अभिनेता से ‘नेता’ बने कलाकार

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क्या उन्हें ग्राम पंचायत, महापालिका, विधान सभा, विधान परिषद, लोकसभा या राज्यसभा का चुनाव लड़ना चाहिए? क्या वे जनप्रतिनिधि बने?

भारतीय बाल फिल्में

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2000 के दशक में तीन भारतीय फिल्मों ‘स्लम डॉग मिलियनेअर’, ‘थ्री ईडियट्स’ और ‘तारे जमीं पर’ ने राष्ट्रीय ही नहीं वरन् अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फिल्मों की पहचान को स्थापित कर दिया।

फिल्मों के माध्यम से मतांतर

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आपातकाल के बाद लोकसभा चुनावों के प्रचार की ‘धूम’ जब शुरू हुई तब की यह कहानी है। अर्थात 1977 की। इस प्रचार के एक भाग के रूप में नई दिल्ली में जनता पक्ष की ओर से जयप्रकाश नारायण की सभा आयोजित की गई थी।

फिल्मी दुनिया का सचिन

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धूम 3’ का फर्स्ट लुक देखने के बाद आमिर खान और अभिषेक बच्चन पत्रकारों से मुखातिब हुए। कुछ छोटे-छोटे प्रश्नों के बाद एक प्रश्न किसी ने पूछ कि सचिन तेंडुलकर अपने 24 सालों के कैरियर के बाद निवृत्त हो रहे हैं।

फिल्म जगत में रोज ही दिवाली

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दिवाली और फिल्म जगत का नाता बहुत ही घनिष्ठ, बहुरंगी और पुराना है जो कि पर्दे पर अर्थात ऑनस्क्रीन तथा पर्दे के बाहर अर्थात ऑफस्क्रीन दोनों ओर देखने को मिलता है।

फिल्मों में स्त्री-शक्ति दर्शन

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लेकिन इससे यह प्रश्न भी उपस्थित होता है कि यदि यहीं पर यह विषय खत्म होता तो सौ साल के भारतीय फिल्मों के इतिहास के सम्पन्न, बहुरंगी, बहुढंगी और हरफनमौला मार्गक्रमण पर नजर डालने की जरूरत ही क्या थी?

छोरा गंगा किनारे वाला

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हिंदी सिनेमा की कई विशेषताओंमें से एक विशेषता यह है कि इसने देश-विदेश के विभिन्न कलाकारों और तकनीकी विशेषज्ञों को समाहित किया और उन्हें काम करने का मौका दिया।

निष्प्राण

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प्राण कभी भी खत्म न होने वाला विषय है । 12 जुलाई 2013 को प्राण का निधन हुआ। उनके अष्टपैलू व्यक्तित्व, व्यावसायिक निष्ठा और लोकप्रियता के कारण वे संसार के सिनेमा घर में सदैव विद्यमान रहेंगे ।

फिल्मी बरसात

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फिल्म वालों को बरसात का मौसम गर्मी और ठण्ड से अधिक प्रिय है। फिल्म के नामों जैसे- बरसात, बारिश, बरसात की एक रात, बिन बादल बरसात इत्यादि से लेकर फिल्मी गानों जैसे- भीगी‡भीगी रातों में, बरसात में हमसे मिले तुम आदि गानों तक बहुत बारिश होती रही है। यह भी कहा जा सकता है कि बारिश ने हिंदी फिल्मों को ‘ग्लैमर’ दिया।

मल्टी स्टार कास्ट फिल्में : कभी खुशी, कभी खतरा!

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सिनेमा के एक ही टिकट में, एक ही समय, बहुत सारे मशहूर कलाकार दिखेंगे, इस कारण क्या आप उस फिल्म को दिल खोलकर पसंद करेंगे?

फिल्मी सितारों की बिगड़ती छवि

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‘वास्तव’ फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई बातचीत में शिल्पा शिरोडकर ने एक ‘वास्तविक’ घटना बताई। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में शरीर विक्रय करने वाली एक युवती की भूमिका करने से जूही चावला ने जब इनकार कर दिया, तो मैंने उसे स्वीकार किया।

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