हिंदी फिल्मो कि उद्योगप्रियता

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क्या आपको कोई ऐसी हिंदी फिल्म याद है जिसमें चारों ओर उद्योगपति किरदार दिखाई देते हों? हृिएकेश मुखर्जी की नमक हराम याद है? उसमें एक कारखाने का मालिक (ओम शिवपुरी) बीमार पडने कारण उसका बेटा विकी(अमिताभ बच्चन) कुछ दिन कारखाने का कामकाज संभालने का निश्चय करता है।

सत्य घटना पर आधारित फिल्में

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फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सबसे मुश्किल अगर कुछ है तो वो है, सत्य घटना पर आधारित फिल्मों का निर्माण करना। क्योंकि उसमें सिर्फ सत्य घटना ही दिखानी नहीं होती वरन उस सद सत्य घटना पर आधारित फिल्म बन सकती है यह विश्वास निर्माण होने के बाद अन्य कई बातें होती हैं। जैसे उस सत्य घटना का कितना हिस्सा फिल्म के लिए उपयोगी होगा, उसमें गाने और कॉमेडी सीन इत्यादि फिल्मी मसाले कितने मिलाए जाएं आदि-आदि।

 एक तारा जो अस्त हो गया..

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गीतकार आदेश श्रीवास्तव के निधन की खबर आ सकती है ऐसी आशंका मन में उठ रही थी कि अचानक ४ सितंबर को उनके जन्म दिन के अवसर पर ही यह समाचार मिला। यह शायद विधि लिखित ही था।

गंगा तेरा पानी अमृत

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गंगा को भारत में एक पवित्र स्थान प्राप्त है। वह केवल निरंतर प्रवाहित रहनेवाली नदी ही नहीं है वरन उससे सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक लगाव भी है। इन सारी बातों को जोड़ने, अपने में समाहित करने वाली गंगा शायद दुनिया की इकलौती नदी होगी।

 फिल्मों की अनोखी बारिश

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हिंदी फिल्मों और बारिश का बहुत गहरा संबंध है। फिल्मों में आने के मौके इस ॠतु को गर्मी और ठंड की तुलना में कुछ ज्यादा ही मिले हैं।

फालके अवार्ड विजेता शशि कपूर

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कपूर खानदान के कलाकार कभी भी ‘कैमेरा कॉन्शियस’नहीं होते। सच पूछिए तो कैमेरा ही उनकी सुंदरता ‘कवर’ करता है। यह बात कपूर खानदान की तीन पीढियों- पृथ्वीराज कपूर से लेकर करीना कपूर तक- सभी पर लागू होती है। परंतु

उत्तम अभिनेता उत्कृष्ट व्यक्ति-सदाशिव अमरापुरकर

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उम्र के 64 वे वर्ष में सदाशिव अमरापुरकर का दुखद निधन अत्यंत धक्कादायक था। वे केवल अभिनेता नहीं थे। अपने आसपास होनेवाली सामाजिक घटनाओं के प्रति भी वे काफी सजग थे। सामाजिक कृतज्ञता, पुस्तक वाचन, समाज में घडनेवाली घटनाओं पर स्पष्ट वक्तव्य उनके व्यक्तित्व की खास विशेषताएं थी।

न तुम हमें जानो…

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पार्श्वगायन के क्षेत्र में बहुत स्पर्धा है। पहले जैसी ‘मोनोपली’ अब नहीं रही। रोज एक नई आवाज से पहचान होती है। फिल्म चली और गाने हिट हुए कि थोड़ेे दिन किसी गायिका का नाम जोर-शोर से सुनने में आता है। अल्प समय में ह

महान फिल्म संगीतकार

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संगीत की जैसे जैसे प्रगति होती गई फिल्म संगीत निर्देशक पश्चिमी वादनवृंद की स्वरसंगति और उनके द्वारा प्रयुक्त वाद्यों के प्रति सजग होते गए। पश्चिमी वादनवृंद की विभिन्न लय होती हैं और कुछ एकल वाद्य होते हैं, जबकि भारतीय व

फिल्मों में संगीत काबढ़ता शोर

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उस समय एक फिल्म में एक गीतकार और एक संगीतकार होता था। अब ऐसा नहीं होता। अब फिल्म में गानों की संख्या कम होती है और गीतकार संगीतकारों की संख्या अधिक होती है। लगता है जैसे कोई प्रतियोगिता चल रही हो।  आठ साल पहले आशा भोंसले के प

फिल्मों में भी नाम कमाया सिंधियों ने

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अनेक भाषाओं में फिल्म का निर्माण और अनेक धर्म, भाषा, पंथ और जातियों का हिंदी फिल्मों में सहभाग यही हमारे फिल्म उद्योग की खासियत है। हमारे फिल्म उद्योग की सौ सालों की यात्रा में मराठी, बंगाली, कन्नड़, तमिल, तेलगु, मलयालम, भोजपुरी, अंग्रेजी, पंजाबी, गुजराती जैसी प्रमुख भाषाओं के साथ ही तुलु, कोंकणी, सिंधी जैसी बोली भाषाओं में भी फिल्मों का निर्माण हो रहा है।

नई सरकार और फिल्म जगत की समस्याएं

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कुछ फिल्मी कलाकार भारी मतों से जीतते हैं, तो कुछ हार जाते हैं। भारतीय लोकतंत्र को अब इसकी आदत हो गई है। जनता के प्रेम से जीते फिल्मी कलाकारों का हार्दिक अभिनंदन; और जो नहीं जीत सके वे अपने क्षेत्र के मतदाताओं के सतत संपर्क में रहकर अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी करें।

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