जरूरी है शहरों में आउटलुक टावर

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कोई शहर केवल ईंट-पत्थरों या इंडस्ट्री से नहीं बनता। जब तक उस शहर का भौगोलिक स्तर और हर नागरिक का जीवन स्तर सुधारने का प्रयास नहीं किया जाता, उस शहर मात्र का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं है। इसके लिए लोगों को अपने शहर की अंतर्आत्मा में झांककर उसके विकास की रूपरेखा बनाने की आवश्यकता है।

‘इंडिया’ नाम देकर फंसा विपक्ष 

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2019 में बीजेपी की सीटें 282 से बढ़कर 303 हो जाने के बाद विपक्षी दलों को भविष्य नहीं, अस्तित्व का ही संकट महसूस होने लगा है। इसलिए तमाम दल आपसी एकता बनाने की ओर बढ़े। लेकिन परस्पर विश्वास और सम्मान के बिना राजनीतिक गठबंधन कैसे बने? अपने विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखकर इंडिया बनाम मोदी संघर्ष निर्माण करना चाहते हैं। ‌जो विरोधी दल अपनी दोनों बैठकों को 'ऐतिहासिक' बता रहे है, वह डरे सहमें  विरोधियों का जमावड़ा है।‌ अपने गठबंधन का नाम रखते हुए भी बहुत बड़ी चूक उन्होंने की है। अपने भ्रमित संगठन को इंडिया नाम देकर विपक्षियों ने बहुत बड़ी गलती की है। ‘इंडिया’ यानी भारत के साथ विपक्षी संगठन के प्रत्येक नेता और पक्ष ने कितना  छल किया है, यह देश की जनता भलीभांति जानती है इसलिए  इसका उत्तर देश की जनता जरूर देगी।

हिंदू-सिख परम्परा जोड़ने का सेतु है राष्ट्रीय सिख संगत

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वर्तमान समय में, जबकि पंजाब में खालिस्तान का मुद्दा फिर से उठ रहा है, सिख संगत जैसी साझी विरासत को समझने तथा उसे बनाए रखने वाली संस्थाओं का महत्व बढ़ जाता है। हिंदी विवेक को दिए साक्षात्कार में सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरुचरण सिंह गिल ने इससे जुड़े विषयों पर अपनी राय रखी।

गुरु गोविंद सिंह: धार्मिक कट्टरता के विरुद्ध अभियान

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सिख गुरुओं ने इस्लामिक कट्टरता के विरुद्ध कड़ा प्रतिकार किया और भारत की सनातन संस्कृति तथा परम्परा के स्थायित्व के लिए सदैव प्रयासरत रहे। वर्तमान हिंदू-सिख पीढ़ी को उनसे सीख लेने की आवश्यकता है कि हम सब एक दूसरे के पूरक हैं, अलग नहीं।

राष्ट्र-धर्म रक्षक गुरु गोविंद सिंह

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गुरु गोविंद सिंह केवल सिख समुदाय के ही आदरणीय नहीं हैं, वे उन मानव मूल्यों के प्रतीक हैं, जिनकी आज देश और विश्व को बड़ी आवश्यकता है। उनका जीवन केवल बलिदान, त्याग, निस्पृहता और निडरता की कहानी ही नहीं बल्कि एक प्रकाश स्तम्भ है। हिंदूओं की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए आपके पिता गुरु तेग बहादुर जी का आत्म बलिदान और आपके चारों पुत्रों की धर्म और सिद्धांतों के लिए बलिदान की गाथा अद्भुत है।

राजनीतिक स्थिरता की आस

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कर्नाटक में चुनावी बिगुल बज चुका है। अभी तक के हालात त्रिशंकु सरकार के संकेत दे रहे हैं। वैसे यह चुनाव भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस के लिए दूरगामी परिणाम देने वाला साबित होगा। परंतु राज्य की भलाई इसी में है कि किसी एक दल की पूर्ण बहुमत और स्वच्छ छवि…

पंजाब फिर कट्टरपंथियों के निशाने पर

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पंजाब में अमृतपाल सिंह एवं खालिस्तान समर्थकों द्वारा हो रहे कारनामे और उस पर पुलिस कार्रवाई के दौरान उसका फरार हो जाना, यह बात पंजाब की कानूनी व्यवस्था के लिए खतरनाक है। यदि वह देश के सीमावर्ती क्षेत्र को एक बार फिर संवेदनशील स्थिति में पहुंचाने का प्रयत्न करता है…

अंतर्बाह्य समरसता ध्येयमार्गी – पद्मश्री रमेश पतंगे

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संघ विचारक, संपादक, राष्ट्र चिंतक, लेखक, सामाजिक परिवर्तन के पुरोधा श्री रमेश पतंगे को भारत सरकार के माध्यम से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा हुई है। रमेश पतंगे को मिला यह पद्मश्री पुरस्कार सिर्फ उनके स्वयं का नहीं है तो समाज को संगठित करने का, समाज को दोष…

सफल होती भारत की विदेश कूटनीति

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पिछले एक दशक से भी कम समय में भारत की वैश्विक नीति में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। हर वैश्विक समस्या के समय विश्व के तथाकथित चौधरी भारत का मुंह ताकते हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध के समय भी हम यह देख चुके हैं। अब समय आ गया है कि भारत…

आप की नजर 2029 पर

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राज्यों में चाहे कुछ भी होता रहा हो लेकिन राष्ट्रीय फलक पर मुकाबला हमेशा भाजपा और कांग्रेस जैसी विचारधारा वाली पार्टियों के बीच रहा लेकिन आम आदमी पार्टी जैसी विचारधारा विहीन पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर आना अच्छा नहीं है। भाजपा की जिम्मेदारी बन जाती है कि वह देश की जनता को इन चीजों के प्रति सचेत करे।

गलतियां न दोहराना ही  श्रद्धांजलि…

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मोरबी हादसा कोई दुर्घटना मात्र नहीं बल्कि प्रशासनिक और मानवीय लापरवाही का प्रतीक है। इस पर राजनीति करने की बजाय ऐसे हादसे दोबारा न होने पाएं, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पुल की मरम्मत का ठेका एक घड़ी बनाने वाली कम्पनी को दिया जाना भी एक बड़ा मुद्दा है। देश भर के ठेकों को लेकर एक सार्थक मानक तय किए जाने की आवश्यकता है।

प्रकृति और अध्यात्म के सम्मोहन का सिद्ध मंत्र उत्तराखंड

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9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड नाम से भारतीय गणतंत्र का 27 वां राज्य बना। उस समय के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस राज्य का पुनर्गठन किया। हिमालय की पहाड़ियों से घिरा होने के कारण यहां देश के शेष हिस्सों से लंबे समय तक आवागमन अत्यंत कठिन रहा है किंतु आजादी के बाद इस क्षेत्र में विकास कार्यों का प्रारंभ हुआ और उत्तराखंड राज्य के निर्माण के बाद सड़कों, पुलों, सुरंगों तथा जलाशयों के निर्माण में तेजी आई। इन विकास कार्यों का जनजीवन पर बहुत सकारात्मक असर तो हो रहा है लेकिन गत 7 दशकों में हुए इन परिवर्तनों के बावजूद भी इस प्रांत में बहुत समस्याएं हैं, जिन पर विशेष ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।

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