नेहरू युग, मोदी युग

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सेक्युलरिज्म का मतलब केवल अल्पसंख्यकों का अर्थात मुस्लिमों का तुष्टीकरण और बहुसंख्यकों की अर्थात हिंदुओं की प्रतारणा नहीं है; बल्कि यह हिंदुस्तान की बहुविध प्राचीन व अर्वाचित संस्कृति का सम्मान करना है। सभी धाराएं गंगा में आकर मिलें और पूरा देश एकत्व से जुड़े यह मोदी की सामाजिक नीति का आधार है।

नए भारत की इबारत युवा ही लिखेंगे – आशीष चौहान, राष्ट्रीय महामंत्री, अभाविप

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री आशीष चौहान को यकीन है कि नए भारत की संरचना युवाओं के जरिए ही निर्मित होगी। उनसे हुई विशेष बातचीत में उन्होंने प्रस्तावित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, युवाओं की समस्याओं और कर्तव्यों, भाषा समस्या, जेएनयू आदि की भी चर्चा की। प्रस्तुत है महत्वपूर्ण अंश-

मनोबल व विजय

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एक कहावत है कि जो रोता जाता है मरे की खबर लाता है. परंतु साहसी सैकड़ों आफतों को झेल जाता है। अर्थात जो व्यक्ति पहले से ही हिम्मत हार चुका है, निराशाग्रस्त है, वह कभी उत्साहित होकर नहीं जाता है। वह तो पहले से सदमाग्रस्त होकर रोता हुआ जाता है एवं जब आता है तो मरे हुए की खबर लेकर आता है।

हमारा सामाजिक स्वास्थ्य और  नया भारत

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महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता के बाद देश में रामराज्य की स्थापना की कल्पना की थी। लेकिन रामराज्य तो दूर, भारतीय समाज पिछले साठ वर्षों में कभी न सुलझने वाली समस्याओं में उलझता चला गया। आज वह भारत के क्षितिज पर नव भारत की निर्मिति के सुनहरे किरण देख रहा है।

नया भारत और सामाजिक समरसता

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गुलामी में रहने की यदि आदत पड़ जाए तो मालिक कौन, इसका कोई बहुत विचार नहीं करता है। गुलामी में रहने वाला सोचता है कि मुझे तो गुलामी मेें ही रहना है तब मालिक चाहे मुहम्मद हो, महादेव हो, या मायकल हो, मुझे क्या फर्क पड़ता है?

मेरा एकात्म विश्ववंद्य भारत

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मेरे प्रवास में एक बार पहाड़ों पर स्थित एक पुराने मंदिर में दर्शन करने के लिए जाना तय हुआ। हम जा रहे थे तो देखा एक बालिका एक मोटे से बालक को गोद में लेकर पहाड़ चढ़ रही थी। उसके लिए वह कठिन हो रहा था। रास्ते में एक साधु खड़े थे। उन्होंने उससे पूछा- तुम क्यों इतना बोझ उठा रही हो? उसने उत्तर दिया

रा.स्व.संघ राष्ट्रनीति करता है राजनीति नहीं……रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख मा. अनिरुद्ध देशपांडे जी

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रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख मा. अनिरुद्ध देशपांडे जी ने ‘हिंदी विवेक’ से हुई एक प्रदीर्घ भेंटवार्ता में नए भारत की संकल्पना, संघ-कार्यों के विस्तार और 2025 में संघ शताब्दी, राजनीति और राष्ट्रनीति पर अपने विचार रखे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण, धारा 370, आतंकवाद, नक्सलवाद, समान नागरिक संहिता जैसी देश के समक्ष मौजूद समस्याओं पर भी संघ की भूमिका स्पष्ट की। प्रस्तुत है महत्वपूर्ण अंश-

सेक्युलरिज्म का चश्मा उतारें

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महाभारत में पांडवों की विजय में सबसे बड़ा भाग अर्जुन का था। अर्जुन के बिना पांडव जीत ही नहीं सकते थे। आज दुनिया में अर्जुन की तरह अमेरिका है .. महाभारत में जब दुर्योधन को मारने की बारी आई तो वह क्षमता केवल भीम में थी। आज मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में चीन भीम की तरह है। महाभारत के बाद जब राजा चुनने की बारी आई तो सभी लोग कृष्ण की ओर देख रहे थे कि वे किसे राजा बनाते हैं। परंतु उन्होंने न अर्जुन को चुना न भीम को।...क्योंकि धर्मराज युधिष्ठिर ...सारी दुनिया को समदृष्टि से देखते हैं भारत ही धर्मराज युधिष्ठिर बन सकता है।

नया भारत

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राजा भोज का आयोजन कर चुका है। कुछ लोगों ने दूध डालने की शुरुआत भी कर दी है, अब हमें सोचना है कि हमें क्या डालना है। अगर खीर खानी है तो सभी को दूध ही डालना होगा। नया भारत किसी भी तरह की आयात की हुई सभ्यता के आधार पर खड़ा नहीं हो सकता.....

नया भारत- विश्वगुरु बनाने का उद्घोष

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पिछले 6 सालों से भारत देश अपने कर्तृत्व को विश्व के सामने लाने का प्रयास कर रहा है। और इस प्रयास को सारी दुनिया अत्यंत आश्चर्यचकित भाव से महसूस कर रही है। एक ऐसा देश निर्माण करना होगा जो हम भारतीयों के साथ पूरे विश्व को प्रेरणा दे सके।

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