70 वर्षों से संजोए ख्वाब  पूरे करेगा लद्दाख

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अनुच्छेद 370, 35ए हटने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का सबसे ज्यादा जश्न यदि कहीं मनाया गया तो वह लद्दाख था। इस निर्णय के बाद लद्दाख के सांसद जे.एस. नामग्याल का संसद में दिया गया भाषण पूरे देश में यादगार बन गया। 70 वर्षों के बाद लद्दाखियों की आकांक्षाएं पूरी हुईं और केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पहली दीवाली लद्दाख मना रहा है।

पाकिस्तान के तालिबान खान

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मियां इमरान खान को लोग तालिबान खान क्यों कहते हैं, यह उनके राष्ट्रसंघ के हालिया भाषण से समझ में आता है। उनका उपनाम खान ही नहीं, नियाजी भी है। वे अपनी लच्छेदार अंग्रेजी और अपने लटकों-झटकों से पश्चिम को भरमाना चाहते हैं तथा तालिबानी सोच को एक मुलायम मुलम्मा यानि ’सॉफ्ट टच’ देना चाहता हैं।

मजबूत विपक्ष जरुरी

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विपक्ष में नेता या कार्यक्रम को लेकर कोई आपसी सहमति नहीं है। उनका एकमात्र सूत्र एक व्यक्ति- प्रधानमंत्री मोदी- से छुटकारा पाने का है। विपक्षी दलों का इतना कमजोर पड़ जाना लोकतंत्र के हित में नहीं है।

पीओके… सीओके

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अनुच्छेद 370 व 35ए की समाप्ति के बाद भारतीय जम्मू-कश्मीर व लद्दाख तो देश की मुख्य धारा में आ गए; लेकिन पाकिस्तान व चीन के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के हिस्सों याने पीओके व सीओके का क्या होगा? क्या भारत भूमि के इन हिस्सों को हम भूल चुके हैं?

ब द ल ते    रि श्ते

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पाकिस्तान दो तरह से घिरा हुआ है। एक तरफ वह आर्थिक संकट में है और दूसरी तरफ मुस्लिम देश भी उससे कन्नी काट रहे हैं। इसके विपरीत मुस्लिम देशों से भारत के रिश्तों में गजब का सुधार हुआ है। यह भारतीय राजनीति की एक बड़ी उपलब्धि है।

अनंत की ओर जाने की बौद्धिक यात्रा

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स्पिनोज़ा का मानवमुक्ति का सिद्धांत ऋग्वेद की ‘ऋत’ संकल्पना सरीखा ही है। यह संकल्पना कहती है कि आत्मा, जीव, सृष्टि व परमेष्टि को जोड़ने वाला तत्व एक ही है और वह एक विशिष्ट नियम से कार्यरत रहता है। इस तरह स्पिनोज़ा के तत्वज्ञान एवं वेदांत में बहुत समानता है। इस अर्थ में स्पिनोज़ा हिंदू ही थे। ऐसा अनेक पाश्चात्य विचारकों का मानना है।

हम और हमारे जीवन-लक्ष्य

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हिंदू राष्ट्र पहले से मौजूद है। वह हजारों वर्षों की परम्पराओं से स्वतः निर्माण हो गया। अफगानिस्तान से लेकर म्यांमार तक सभी इस हिंदू राष्ट्र के ही अंग हैं, चाहे फिर उनकी पूजा पद्धति कोई भी हो। कोई मंदिर में जाए, कोई मस्जिद में, कोई गिरजाघर में, कोई अग्यारी में या कोई मठ में- परंतु इससे हिंदू राष्ट्र के अभिन्न अंग होने की हमारी पहचान में कोई अंतर नहीं आता।

एक नज़र चांद पर

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गोरा चिट्टा, गोल-मटोल चंद्रमा सम्पूर्ण सृष्टि को प्रकाश, शीतलता, अमृत तत्व आदि प्रदान करके सबका उपकार करता है। यही कारण है कि चांद को लेकर न जाने कितने मिथक, कितनी कहानियां, कितने गीत और कल्प कथाएं इस सृष्टि में प्रचलित हैं।

चंद्रयान-2 एक महत्वपूर्ण चंद्र मिशन

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चंद्रयान-2 अंतरिक्ष में भारत की एक लंबी छलांग के समान है। आने वाले समय में गगनयान और स्पेेस स्टेशन की स्थापना भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। हम सभी भारतीयों के साथ इन अभियानों पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी।

मन की अयोध्या में दीपक जलाने का पर्व

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भारत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से उत्सव परंपरा का देश है। अनुष्ठान, यज्ञ, त्यौहार और समारोह का देश है। भारत में संपन्न होने वाला प्रत्येक उत्सव शुभ संकल्प से प्रारंभ होता है। प्रत्येक उत्सव में दीपक की उपस्थिति परिपूर्ण रूप से होती है। दीपक हमारी संस्कृति का श्रेष्ठतम प्रतीक है। इसलिए दीपावली हमारे यहां दीपक की प्रतिष्ठा, आराधना, पूजा- अर्चना का सबसे बड़ा त्यौहार है।

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