दीपावली का महापर्व
“वाह! वाह बेटा वाह! मैं जीवनभर अपने अहंकार के साथ नकारात्मक दिवाली मनाता रहा। असली दिवाली का उत्सव तो तुमने मनाया है। धन्य हो तुम! धन्य हैं माता महालक्ष्मी और धन्य है दीपावली का यह महापर्व।”
“वाह! वाह बेटा वाह! मैं जीवनभर अपने अहंकार के साथ नकारात्मक दिवाली मनाता रहा। असली दिवाली का उत्सव तो तुमने मनाया है। धन्य हो तुम! धन्य हैं माता महालक्ष्मी और धन्य है दीपावली का यह महापर्व।”
कश्मीर का इतिहास, संस्कृति भारत से कभी जुदा नहीं थी। वहां के सारे राजा हिन्दू थे, अधिकांश प्रजा भी हिन्दू मूल की ही है। बाद के वर्षों में बाहरी आक्रमणों तथा सत्ता लोलुपता की राजनीति के कारण स्थितियां बदलीं और कश्मीर की शांत घाटी अशांत हो गई। अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए के खात्मे के साथ वह अब फिर से अपनी जड़ों की ओर लौटने की कोशिश कर रहीं है।
वेब सीरीज अच्छाइयों के साथ बुराइयों को भी खूब परोस रही है और नई पीढ़ी इसके व्यावसायिक शिकंजे में फंसती जा रही है। वेब और टीवी सीरियलों पर फिल्मों जैसा कोई सेंसर नहीं है। टीवी तो घरेलू के चक्कर में अपने को संयमित करने की कोशिश करता है, लेकिन वेब का ऐसा नहीं है और इससे एक अपसंस्कृति भी पैदा हो रही है।
प्रवासी भारतीय भले ही हिंदुस्थान से दूर बसे हो लेकिन उनके दिलों में आज भी हिंदुस्थान बसता है। भारत की हर एक कामयाबी पर प्रवासी भारतीय सबसे अधिक खुश होते हैं। वे सही अर्थ में भारत के ब्रांड एम्बेसडर ही हैं और विश्व में हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं।
आयुर्वेद में आहार का विशेष रूप से विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें चिकित्सा से भी अधिक स्वास्थ्य रक्षण को महत्व दिया गया है। यदि हमारा आहार देश-काल-परिस्थिति के अनुकूल रहा तो हमारे व्याधियों और बीमारियों से बचने की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं।
थाईलैण्ड ने आज भी हिंदू संस्कारों से सराबोर अपनी संस्कृति को बचाए रखा है। वहां राजा का नाम राम रखने की परम्परा कायम है। फिलहाल दसवें राम राजा गद्दी पर हैं। वहां जीवन के सभी अंग अर्थात- अमृत और विष- दोनों मौजूद हैं। आप क्या लेना चाहेंगे यह आपकी भावना पर निर्भर है। तुलसी ने सच कहा है- जाकी रही भावना जैसी। प्रभु मूरत तिन देखी तैसी।
असम में धींग एक्सप्रेस के रूप में चर्चित हिमा दास की उपलब्धियों से असम के युवा धावकों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। उसने अब तक 6 स्वर्ण पदक जीते हैं और ओलंपिक के लिए उसके क्वालिफाई होने की उम्मीद है।
संघ विचारक और विवेक समूह की मातृ-संस्था हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष श्री रमेश पतंगे का सम्पूर्ण जीवन ही संघमय और देशमय है। देशहित में किसी भी तरह का शिवधनुष उठाने में सदा तत्पर रहते हैं। वे अपने जीवन के 75 साल पूरे कर रहे हैं। उनके संघ-कार्य के प्रदीर्घ अनुभवों एवं देश के समक्ष विभिन्न मुद्दों पर उनसे हुई विस्तृत बातचीत के महत्वपूर्ण अंश यहां प्रस्तुत हैं-
आजकल युवा बिना मोबाइल के रह नहीं सकते। इसने सुविधाएं उपलब्ध तो की हैं; लेकिन उससे कई अधिक विपदाएं पैदा की हैं। किसी चीज की लत लग जाना खतरनाक तो होता ही है।
मुंबई के उपनगर बोरीवली पश्चिम के शिंपोली क्षेत्र में स्थापित अटल स्मृति उद्यान महान राष्ट्रनेता अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियों को समर्पित है। यहां अटलजी के जीवन के कई प्रेरक प्रसंगों और घटनाओं को जिस तरह से संजोए रखा है वह अविस्मरणीय है।
गांवों की हाट तो अब बीते जमाने की बात हो गई है। उनका स्थान ई बाजार ने ले लिया है। हम अपनी मूल पहचान को ही भूलते जा रहे हैं, क्या आपको ऐसा नहीं लगता?
मनुष्य के पांच कोश होते हैं-अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय। व्यक्ति, परिवार, समाज या राष्ट्र के जीवन में इनके असंतुलन से सारी समस्याएं पैदा होती हैं। इनके शुद्धिकरण से ही भारत स्वच्छ होगा।