यूपीएल का स्वास्थ्य, कृषि और पशुपालन में अनूठा योगदान

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यूपीएल वापी के वनवासी क्षेत्र में न केवल कीटनाशकों का उत्पादन कर रही है, अपितु कम्पनी सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत इलाके में शिक्षा, पशुपालन और कृषि के क्षेत्र में बेहतरीन काम भी कर रही है। वैसे नियमानुसार सीएसआर के लिए मुनाफे के महज २ फीसदी रखने का प्रावधान है, लेकिन कम्पनी ने यह खर्च अपनी ओर से तिगुने से अधिक कर दिया है। कम्पनी के चेयरमैन श्री रज्जूभाई श्रॉफ से इन सेवा कार्यों के बारे में हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत हैं-

मोहे अपने ही रंग में रंग दे

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निकिता बहुत उमंग में थी, क्योंकि उसके पति नितिन ने एक लम्बे अरसे बाद उसे सिनेमा ले जाने की बात कही थी। अतः वह ऑफिस से जल्दी अपना काम पूरा कर के घर आ गई थी। उसने आकर खाना बनाया और तैयार होकर नितिन के आने की प्रतीक्षा करने लगी। उन्हें नौ बजे का शो देखने जाना था। नितिन के आने की प्रतीक्षा में वह दरवाजे पर आंख लगाए बैठी थी। बहुत देर तक नितिन नहीं आए तो वह सोफे पर पसर गई। उसने घड़ी देखी। घड़ी में साढ़े नौ बज रहे थे, पर नितिन अभी तक ऑफिस से घर नहीं आए थे। उसे चिंता होने लगी थी। उसने नितिन से बात करने के लिए मोबाइल उ

राष्ट्रीय सेवा भारती सबके सुख की कामना

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राष्ट्रीय सेवा भारती समविचारी सेवा संस्थाओं का छत्र संगठन है, जो विभिन्न सेवा कार्यों में जुटी संस्थाओं का राष्ट्रव्यापी समन्वय करती है। राष्ट्रीय सेवा भारती एवं उससे जुड़ी सभी सेवा संस्थाओं का प्रमुख लक्ष्य है समाज की प्रत्येक कमजोर कड़ी को मजबूती प्रदान करते हुए सशक्त राष्ट्र के निर्माण में योगदान करना।

‘रुग्ण नारायण’ का बसेरा सेवाधाम आश्रम

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’‘मानव तन खासकर रुग्ण, वंचित, बहिष्कृत, संक्रामक रोगों से ग्रसित जन की सेवा ही सर्वोपरि कही जा सकती है; क्योंकि सेवक और सेवित दोनों के संतुष्ट होने पर ही सेवा सार्थक मानी जा सकती है। ईश्‍वर भी आपसे तभी प्रसन्न होगा जबकि आप प्राणी सेवा के प्रति सजग हैं।

सेवा कार्य स्वयंसेवक करते हैं, संघ नहीं

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के बाद से ही सेवा कार्यों के प्रति विशेष जोर दिया गया। डॉ. हेडगेवारजी के जन्मशती वर्ष १९९० में सेवा क्षेत्र को एक कार्य विभाग के रूप में नया आयाम दिया गया। आगे चलकर ‘सेवाभारती’ ने मानव सेवा के नए मूल्य स्थापित किए। संस्था के अब तक के प्रवास एवं उतार-चढ़ाव को लेकर संघ के पूर्व अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सुहासराव हिरेमठ ने अमोल पेडणेकर के साथ लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसी लम्बी बातचीत के संपादित अंश:

नेपाल त्रासदी और समस्त महाजन

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People survey a site damaged by an earthquake, in Kathmandu, Nepal, April 25, 2015. The shallow earthquake measuring 7.9 magnitude struck west of the ancient Nepali capital of Kathmandu on Saturday, killing more than 100 people, injuring hundreds and leaving a pall over the valley, doctors and witnesses said. REUTERS/Navesh Chitrakar TPX IMAGES OF THE DAY - RTX1A7JW
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इस भूकंप के कारण करीब आठ हजार लोग मौत के मुंह में समा गये। हजारों घायल हुए तथा लाखों परिवार बेघर हो गये। काठमांड़ू वैली की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स, काठमांड़ू के दरबार स्क्वेयर और भक्तापुर दरबार स्न्वेयर समेत नेपाल के कई भागों को इस विनाशकारी भूकंप ने अपनी चपेट में ले लिया। भारत के करीब ८० नागरिकों सहित विश्व के कई अन्य देशों के नागरिक भी इस भूकंप की त्रासदी में काल कवलित हो गये।

दीनदयाल जी की नीतियों के अनुरूप बजट

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चुनावी वर्ष के ठीक पूर्व अंतिम बजट में मोदी सरकार ने चुनावी हानि लाभ की चिंता किए बिना, अर्थव्यवस्था में सुदृढ़ता, तीव्र आर्थिक विकास की दर, वित्तीय अनुशासन तथा समाज के अधिसंख्य निर्धन एवं अक्षम वर्ग के कल्याण का बजट प्रस्तुत कर २०१९ के चुनावों के प्रति अपनी पूर्ण आश्वस्ति एंव आत्मविश्वास का भी स्पष्ट संकेत दे दिया है।

सैकड़ों निराधार बेटियों के ‘पापा’ महेश सवाणी

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सैकड़ों निराधार बेटियों के ‘पापा’ बने सूरत के पी.पी.सवानी समूह के श्री महेश सवानी जी! उतही उनके दामादों की संख्या हो गई। उनके इस सेवा कार्य को देख कर अचरज होता है। उनके पिताश्री से आरंभ बेटियों को सम्बल देने का यह यज्ञ अविरत चल रहा है। यही नहीं, बेटियों और दामादों की दिक्कतों को वे उसी तरह हल करते हैं जैसे उनके अपने पापा कर सकते थे। बेटियों और दामादों से उनका यह रिश्ता जीवनभर का और अनूठा है।

‘सेवा संस्कार’ समाज मन में अवतीर्ण हो!

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समाज के सब से अंतिम स्तर तक उन्नति का प्रभाव पहुंचाना ही सेवा कार्य का प्रमुख उद्देश्य है। इसी कर्तव्य भावना से ओतप्रोत होकर आज समाज के विभिन्न क्षेत्रों में हजारों व्यक्ति सेवा कार्य कर रहे हैं। समाज की उन्नति की आकांक्षा अपने अंतःकरण में जगा कर, उसके लिए अविश्रांत परिश्रम करने की ध्येय निष्ठा से ‘सेवा’ एक शक्ति के रूप में देश में फैली है। अपना समाज अनेक प्रकार की विकृतियों और कुरीतियों से पीड़ित है। सामाजिक-आर्थिक विषमताओं से ग्रस्त है। लाखों लोग न्यूनतम शिक्षा, सामान्य चिकित्सा से आज भी वंचित हैं। दु:ख, द

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