एक ‘हादसा’… और पूरी जिंदगी का दर्द
बलात्कार किसी एक व्यक्ति विशेष की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक तथा सामाजिक प्रवृत्ति है। इसके लिए अभिव्यक्ति या रचनात्मकता की नैसर्गिक स्वतंत्रता की आड़ में परोसे जा रहे स्त्री-विरोधी, यौन-हिंसा को उकसाने वाले और महिलाओं का वस्तुकरण करनेवाले कंटेट (ऑनलाइन/ऑफलाइन/साहित्यिक/वाचिक आदि) पर सबसे पहले लगाम लगाने की जरूरत है।