एक ‘हादसा’… और पूरी जिंदगी का दर्द

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बलात्कार किसी एक व्यक्ति विशेष की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक तथा सामाजिक प्रवृत्ति है। इसके लिए अभिव्यक्ति या रचनात्मकता की नैसर्गिक स्वतंत्रता की आड़ में परोसे जा रहे स्त्री-विरोधी, यौन-हिंसा को उकसाने वाले और महिलाओं का वस्तुकरण करनेवाले कंटेट (ऑनलाइन/ऑफलाइन/साहित्यिक/वाचिक आदि) पर सबसे पहले लगाम लगाने की जरूरत है।

यह स्थिति स्वीकार्य नहीं

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दुष्कर्म के मामलों में पुलिस की सही, निर्भीक भूमिका और न्यायालय का तथ्यों और सबूतों के आधार पर त्वरित प्रक्रिया पूरी करने के चरित्र की स्थिति पैदा करने की जरुरत है। इसमें कमी है। लेकिन इन सबसे अलग विश्व की श्रेष्ठतम सभ्यता और संस्कृति के वाहक होने का दावा करने वाले समाज के रुप में हम कैसा वातावरण बना रहे हैं?

आवश्यकता है “महाराष्ट्र मोदी” की

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महाराष्ट्र की जनता को चाहिये-जनता के प्रश्नों के साथ भावनिक रूप से एक होने वाले, जनता के प्रश्नों पर आंदोलन करने हेतु रास्तों पर उतरने वाले, जनता के प्रश्नों पर अपनों से भी आलोचना सहन करने वाले नेता।

स्वा. सावरकर का अपमान नकारात्मक राजनीति की पराकाष्ठा

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने देश के लिए जो त्याग किया वह अलौकिक है। उनके नाखून की बराबरी करना भी गांधी-नेहरू परिवार के बस की बात नहीं। ऐसे गांधी-नेहरू परिवार से संबंधित राहुल गांधी ने केवल स्वातंत्र्यवीर सावरकर का ही नहीं बल्कि भारत माता की अस्मिता का भी अपमान किया है।

खतरनाक राह पर चल पड़ा है असम

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असमिया के मूल निवासियों के लिए बांग्लादेश से आकर बसे मुसलमान एक बड़ा खतरा बन गए है, लेकिन स्थानीय लोग खतरे की भयावहता महसूस नहीं कर रहे हैं। उन्हीं लोगों के खिलाफ 1979 में असम आंदोलन आरंभ हुआ था। उन्हीं की पहचान के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन के अद्यतन का काम भी आरंभ हुआ था।

कैब 1947 का कार्य 2019 में हुआ पूर्ण

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वस्तुतः ‘कैब’ विभाजन के अधूरे कार्य को पूर्ण करने का ही बड़े विलंब से लाया गया विधिक मार्ग है जिससे तब के दीन हीन हिंदुओं व अन्य समुदायों को पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के नारकीय जीवन से बाहर निकलने का सम्मानपूर्ण मार्ग निकल सकेगा।

भूतकाल की भड़ास, भविष्य की चिंता

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नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले लोगों पर आशंकाओं की अनेक उंगलियां उठ सकती हैं। या तो विरोध करने वाले ये लोग अनधिकृत रूप से भारत में रह रहे हैं, या ये भविष्य में रहना या रखना चाह रहे हैं, या इनमें से किसी ने भी कानून को ठीक से पढ़ा और समझा ही नहीं या फिर ये अन्य कुछ मुद्दों की भड़ास निकाल रहे हैं।

विश्वविद्यालय : अराष्ट्रीय गतिविधियों की प्रयोगशाला?

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संसद के दोनों सदनों में पारित हुए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में जिस प्रकार की हिंसक घटना घटी, उस घटना को देखकर यह सवाल मन में आने लगा है कि आज के छात्र देश के अपमान में अपना योगदान क्यों देने लगे है? भारत मुर्दाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद, हिंदुओं की कब्र खुदेगी एएमयू की धरती पर, भारत तेरे टूकड़े होंगे, हम चाहते हैं...

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