भारतबोध जागृत हो रहा है

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पिछले कुछ महीनों से भारतीय समाज में एक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। इसे कुछ लोग सामाजिक ध्रुविकरण कह रहे हैं, कुछ लोग बंटवारे की राजनीति कह रहे हैं, कुछ लोग गंगा-जमुनी संस्कृति पर प्रहार मान रहे हैं। कर्नाटक में हिजाब प्रकरण के बाद हिंदू युवाओं द्वारा भगवा गमछे ओढ़ना,…

चुनावों से पहले का दावानल

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बेंगलुरु के माउंट कार्मेल पीयू कॉलेज में 17 साल की सिख लड़की को पगड़ी उतारकर कॉलेज आने के लिए कहा गया। कॉलेज का कहना था कि उसे 10 फरवरी को दिए गए हाई कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा, जिसमें समान ड्रेस कोड की बात कही गई है। हालांकि…

जाति नहीं, विकास होगा चुनावी आधार

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उत्तरायण के साथ ही भारत के कुछ प्रांतों में गर्मी की अनुभूति होने लगी है और उत्तरप्रदेश, पंजाब और अन्य तीन राज्यों में चुनावों की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। आजकल किसी भी बड़े प्रदेश का चुनाव उस प्रदेश तक सीमित रहता ही नहीं है, उसकी परछाई और रणभेरी का…

काशी विश्वनाथ : राष्ट्र पुनर्जागरण की दृष्टि

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करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र बाबा विश्वनाथ के मंदिर का विहंगम दृश्य मात्र एक भवन का नवीनीकरण नहीं है। यह हमारी मान्यताओं, प्रतीकों और संस्कृति के संरक्षण का ऐतिहासिक उत्सव है।

सवाल नाक का नहीं, राष्ट्रहित का है!

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गुरु नानक जयंती पर सम्पूर्ण राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले तो देश को शुभकामनाएं दीं और फिर देश से क्षमा मांगते हुए जो कहा उसका आशय यह था कि केंद्र सरकार कृषि कानून वापिस ले रही है क्योंकि वह कुछ किसानों को कृषि कानून…

प्रकृति और अध्यात्म के सम्मोहन का सिद्ध मंत्र उत्तराखंड

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भारत देश विविधताओं से भरा है। अपने देश में भाषा, धर्म, जातियों-उपजातियों तथा रहन-सहन की विभिन्नता के कारण भारत के सामाजिक रंग-रूप में भी विविधता दिखाई देती हैं। भारत कि यह वैविध्यपूर्ण लोक संस्कृति ही भारतीय जीवन शैली की परिचायक है। रीति-रिवाज, वेशभूषा, खानपान, लोक-कथाएं, लोक-देवता, मेले, त्योहार, मनोरंजन के…

भारत की कूटनीति रंग लाएगी?

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वर्तमान में भारत ‘वेट एण्ड वॉच‘ की नीति अपना रहा है जो कि सही भी है क्योंकि ऊंट किस करवट बैठेगा, कहा नहीं जा सकता। भारत को तालिबान की शत्रुता को आमंत्रित नहीं करना चाहिए और न ही अमेरिका का मोहरा बनना चाहिए।

भारत को बचना होगा तालिबानी सोच से

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अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ अफगानिस्तान के लोग शरणार्थी बनकर जा सकते हैं। क्योंकि पाकिस्तान की हालत किसी से छुपी नही है और चीन सांस्कृतिक दृष्टि से और सीमाओं की दूरी की दृष्टि से अफगानिस्तान से इतना दूर है कि वहां जाना अफगानिस्तान के लोगों को नहीं सुहाएगा। ऐसे में उन्हें भारत आना ही सबसे आसान लगेगा।

विरासत के आधार पर स्वतंत्र भारत का विकास

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स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में अगर हर भारतीय यह निश्चय कर ले कि वह अपनी हर कृति के केंद्र में अपने राष्ट्र को रखेगा, उस कृति का परिणाम अगर राष्ट्रहित में नहीं है तो वह कृति नहीं करेगा तो भारत को विकसित और सुखी राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता।

मूल संस्कृति से जोड़नेवाली – सिंधु दर्शन यात्रा

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अपनी पारमार्थिक उन्नति के लिए आध्यात्मिक यात्राएं करना जितना आवश्यक है, उतनी ही आवश्यक है अपने देश की भौगोलिक संरचना, उसका इतिहास और अपनी संस्कृति को जानने के लिए यात्रा करना। सिंधु दर्शन यात्रा की गिनती इसी यात्रा के रूप में की जानी चाहिए और प्रत्येक भारतीय को इसका अंग बनने का प्रयत्न करना चाहिए।

जयंती विशेष: बंकिमचंद्र चटर्जी का देश के लिए योगदान

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  बंकिम चंद्र चटर्जी का जन्म 27 जून 1838 को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में हुआ था उन्हे लोग बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के नाम से भी जानते थे।बंकिम चटर्जी एक कवि, उपन्यासकार, गद्यकार और पत्रकार जैसी प्रतिभा के धनी थे। भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् उनके…

मन की वैक्सीन

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कोरोना, लॉकडाउन, पहली लहर, दूसरी लहर, तीसरी लहर... पिछले लगभग एक साल से बस यही शब्द सुनाई दे रहे हैं। कोरोना न हुआ मानो रक्तबीज राक्षस हो गया जिसका हर स्ट्रेन पहले से अधिक खतरनाक और संदिग्ध है। अब तो कोरोना के बाद होने वाले ब्लैक फंगस तथा व्हाइट फंगस ने सभी की नींद उडा रखी है। ब्लैक फंगस शरीर के सबसे कमजोर हिस्से पर वार करता है और उसे इतना प्रभावित कर देता है कि वह अंग ही शरीर से अलग करना पडता है।

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