छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक

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हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज का 350वां राज्याभिषेक वर्ष हर्षोल्लास के साथ संपूर्ण देश में मनाया जा रहा है। काशी के पंडित गागाभट्ट क्यों छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करवाना चाहते थे और इसके पीछे उनकी मनोभावना क्या थी? इसका सुंदर वर्णन यहां प्रस्तुत किया गया हैं।

संघ के वैचारिक आधार श्री गुरुजी

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राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु श्री गुरुजी के दूरगामी प्रखर विचार आज भी प्रासंगिक हैं। जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय तथा गोवा को मुक्त कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहीं। श्री गुरुजी के वैचारिक शस्त्र से शत्रुओं को सबक सिखाया जाना चाहिए।

वरिष्ठ प्रचारक श्री रामभाऊ बोंडाले का स्वर्गवास

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अपने स्कूली जीवन के दौरान अमलनेर में वे रा. स्व. संघ से जुड़े। 1939 में प्रथम वर्ष पुणे में, द्वितीय वर्ष विदर्भ में, तृतीय वर्ष 1948 में उन्होंने पूर्ण किया। संघ प्रतिबंध के बाद चंद्रपुर जिला प्रचारक के रूप में उन्हें दायित्व मिला। पुणे के प्रथम वर्ष में पू. डॉ. हेडगेवार की बौद्धिक कक्षाओं को सुनने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ। रामभाऊ एक वरिष्ठ व्यक्तित्व रहे हैं जिन्हें संघ के छह सरसंघचालकों को सुनने, देखने, बोलने और उनके साथ संघकार्य करने का अवसर मिला है। एक मजेदार किस्सा है, संघ मुख्यालय से रेशम उद्यान तक कार्यक्रम के लिए कार में यात्रा करते समय वह गुरुजी की गोद में बैठे हुए थे।1948 से 1982 तक उनका मुख्यालय चंद्रपुर में था। जब वे जिला प्रचारक, विभाग प्रचारक थे तो वे डॉ. भागवत के साथ ही रहते थे। वर्तमान पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी ने रामभाऊ को बचपन से ही देखा है। उनसे जुड़ी यादों का भण्डार मोहनजी के पास भरा पड़ा हैं।

मोबाइल से दूरी क्यों है जरूरी!

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अधिकतर शहरों में हर माता-पिता की यह शिकायत रहती है कि उनके बच्चें ज्यादा समय मोबाइल से ही चिपके पड़े रहते हैं। वे हमसे बात तक नहीं करते, अपनी अलग ही दुनिया में खोए रहते हैं। यदि आपकी भी कुछ ऐसी ही समस्या है तो यह लेख आपके लिए ही है -

डिजिटल साक्षरता और जागरूकता

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देश-दुनिया में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन व सुधार में सोशल मीडिया की प्रभावी भूमिका रही है, हालांकि इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी है। बावजूद इसके आम आदमी की आवाज बुलंद करने, रोजगार, प्रचार प्रसार और जन जागरण की दृष्टि से सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा है।

राष्ट्रीय चेतना का करेंगे जागरण

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संघ जनता के जागरण के ऐसे केंद्र (शाखा) चलाता है. ऐसे जाग्रत स्वयंसेवक समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में एक रचना (पंजर) खड़ी करेंगे. बाक़ी सारा कार्य समाज करेगा, उसे शक्ति और दिशा देने का कार्य ऐसे केंद्र करेंगे. आरसीसी के पिलर के बीच का भार वहन क्षमता बढ़ाने वाला 'पंजर तो निर्जीव लोहे का होता है, परंतु जाग्रत समाज के ऐसे कार्य और आंदोलन में यह न दिखने वाला, परंतु सन्नद्ध 'पंजर जीवंत मनुष्यों का होता है जो जीवन भर अविचल खड़ा, अड़ा और गड़ा रहता है.

संकल्प यात्रा बनाम भारत जोड़ो न्याय यात्रा

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भारत जोड़ो न्याय यात्रा और संकल्प यात्रा में नकारात्मक-सकारात्मक राजनीति के गुणदोष परिलक्षित होने लगे हैं। राहुल गांधी की ‘मणिपुर टू मुंबई’ यात्रा का उद्देश्य मणिपुर के हिंसा की आग को हवा देना है। वहीं भाजपा की संकल्प यात्रा का उद्देश्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से आमजनों को लाभान्वित करना हैं।

अखिल विश्व के प्रेरणास्रोत राम

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श्रीराम के स्वरूप एवं संदेश का प्रसार श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार से लेकर लाओस तक की संस्कृति में स्पष्ट दिखाई पड़ता है। गैर-हिन्दू समुदाय भी उन्हें उतनी ही श्रद्धाभाव से पूजते हैं, जितना कि हिन्दू। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी का देश है। लेकिन भारत की भांति यहां भी कण-कण में राम व्याप्त हैं।

स्मार्ट सिटी अयोध्या

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अयोध्या में एक के बाद एक कई परियोजनाओं पर क्रियान्वयन किया जा रहा है, ऐसे में जल्द ही यह शहर दुनिया के सामने एक रोल मॉडल के रुप में होगा। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, आधुनिक सुविधाओं से लैस रेलवे स्टेशन, डिजिटल संग्रहालय, सरयू में क्रूज का संचालन प्रस्तावित है।

कम हो रही आय की असमानता

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प्रधान मंत्री की अंत्योदय योजनाओं से सही अर्थों में गरीबों और मध्यम वर्गों का भला हो रहा हैं। वे न केवल गरीबी रेखा से बाहर निकल रहे हैं बल्कि आर्थिक रूप से स्वावलम्बी भी हो रहे हैं। उनका जीवन स्तर पहले से बेहतर होता जा रहा हैं।

भाषा के नाम पर अलगाववाद क्यों?

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भारत की राष्ट्रीय एकात्मता के लिए आवश्यक है कि भाषा, प्रांत, धर्म के नाम पर अलगाववाद की राजनीति करने वाले क्षेत्रीय दलों के नेताओं को नकार दिया जाए और इसके लिए दक्षिण भारत के जागरूक नागरिकों को समाज सुधार हेतु पहल करनी होगी।

गठबंधन में गतिरोध

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आगामी लोकसभा चुनावी सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी गठबंधन में आपसी रस्साकशी तेज हो गई है। एक-दूसरे के प्रति आलोचना और टिप्पणी से इंडी गठबंधन की यथास्थिति को समझा जा सकता है। जो आपस में समन्वय तक नही बना सकते, वे राष्ट्रहित के विषयों पर एकमत कैसे होंगे?

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