भारतीय कृषि सब्सिडी विकसित देश नाराज

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जेनेवा में सम्पन्न डब्ल्यूटीओ की बैठक में एक बार फिर अमेरिका समेत विकसित देशों ने भारत जैसे देशों द्वारा किसानों को दी जा रही सब्सिडी का विरोध किया लेकिन भारत अपने रुख पर अड़ा रहा और लगभग 80 देशों ने भारत की नीति का समर्थन किया। 

भारत में भौमजल की दशा और दिशा : एक भूवैज्ञानिक विश्लेषण

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भारत एक विकासशील देश है।प्रत्येक क्षेत्र में उसकी प्रगति हो रही है और उसकी जनसंख्या में भी वृद्धि हो रही है।अतः वर्ष 2025 तक 1093 बिलियन क्यूबिक मीटर्स जल की आवश्यकता होगी। इसके लिए वर्षाजल को बहकर समुद्र में जाने से रोकने के लिए वर्षाजल संग्रहण (रेन हार्वेस्टिंग) ही शहरों…

वो अनाज उगाता और सिस्टम उसे सड़ाता..!

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देश में भरपूर अनाज उग रहा है। सुनने में अच्छा लगता है। विडंबना देखिए इसे सुरक्षित रखा जाना क्या कभी किसी की प्राथमिकता में रहा? ऐसा दिखा नहीं! माना कि ये मानसूनी   महीना है लेकिन अप्रेल और मई माह में ही जहाँ-तहाँ खुले आसमान तले रखा लाखों टन गेहूँ बेमौसम…

भारत के अनाज पर दुनिया की निगाहें

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एक समय वह था, जब यूरोप को ‘रोटी की टोकरी‘ की संज्ञा प्राप्त थी। स्वयं भारत ने आजादी के बाद लंबे समय तक आस्ट्रेलिया से गेहूं आयात करते हुए अपनी बड़ी आबादी का पेट भरा है। लेकिन आज भारत गेहूं ही नहीं अनेक आवष्यक खाद्य पदार्थों के उत्पादन में अग्रणी…

क्या भोजन का पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है ?

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पर्यावरण जैविक (जीवित जीवों और सूक्ष्मजीवों) और अजैविक (निर्जीव वस्तुओं) का संश्लेषण है। प्रदूषण को पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों की मौजुदगी के रूप में परिभाषित किया गया है जो मनुष्यों और अन्य जीवित जीवों के लिए हानिकारक हैं।  प्रदूषक खतरनाक ठोस, तरल पदार्थ या गैस हैं जो सामान्य से अधिक…

मधुमक्खी से संचालित होता है प्रकृति का चक्र

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आज पांचवा विश्व मधुमक्खी दिवस है। पर्यावरण प्रणाली में मधुमक्खियों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसे मनाने का प्रस्ताव स्लोवेनिया के बीकीपर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में 20 मई 2017 को संयुक्त राष्ट्र के सम्मुख रखा गया था, जबकि…

गाय बैल के प्रेम को ख़त्म करता मॉडर्न युग

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जहाँ लोग अब अपने और पराए में आकलन लगा रहे हैं वहीं 90 के दशक में लोग पराए को भी अपना मानते थे और पराए को भी इतना प्यार देते थे कि सामने वाला भी अपने और पराए में फर्क नहीं कर पाता था। लोगों की ऐसी संवेदना रहती थी…

भारत देगा दुनिया को अनाज

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ये ज्यादा पुरानी बात नहीं है 100 साल पहले भारत भुखमरी और अकाल का पर्याय था। इतिहास के हर पन्ने पर बस अकाल और उसके बाद पैदा होने वाली महामारियों से मरते लोगों का ब्यौरा है। 50 साल पहले थोड़ी हालत सुधरी लेकिन फिर भी अनाज की भारी कमी के…

बिहार के गांवों में बिना जुताई के होगी खेती

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किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफे के बनेंगे मॉडल 1) जलवायु अनुकूल खेती के लिए सभी जिलों में पांच-पांच गांव सहित कुल 190 गांव चयनित 2) कृषि वैज्ञानिक व कर्मचारी पांच साल तक 190 गांवों में रहेंगे उपलब्ध 3) केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के बाद आठ जिलों के…

मछली को जीआइ टैग दिलाने की पहल शुरू

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जून में बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग केंद्र को भेजेगा प्रस्ताव बिहार सरकार मिथिला की रोहू और सोन की कतला मछली को जीआइ टैग दिलाने की तैयारी में जुट गई है। पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने स्कीम पर काम शुरू कर…

महान कृषि वैज्ञानिक सर गंगाराम

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श्री गंगाराम का जन्म 13 अप्रैल, 1851 को मंगटानवाला (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। वे बचपन से ही होनहार विद्यार्थी थे। अपनी सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर वे पंजाब के सार्वजनिक निर्माण विभाग (पी.डब्ल्यू.डी.) में अभियन्ता के रूप में काम करने लगे।  इस दौरान पूर्ण निष्ठा एवं परिश्रम से काम…

महंगाई से त्रस्त सामान्य जनता !

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किसी भी वस्तु की मांग जब तेज होती है तो उसकी कीमत बढ़ने लगती है और उसे महंगाई का नाम दिया जाता है। यह व्यक्ति के हर दिन के खर्चे को भी प्रभावित करती है और उसका असर पूरे परिवार पर नजर आता है। महंगाई के कारण देश की अर्थव्यवस्था…

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