‘कंतारा’ की जड़ों को भूलता आधुनिक भारत!

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आखिर #netflix पर 'कंतारा' फिल्म मैंने देख ली। 'कंतारा' का अर्थ है प्रकृति व मनुष्य के बीच का विज्ञान! इसका शाब्दिक अर्थ है जंगल का रहस्य, जंगल के देवता अदि परंतु इसका भावार्थ है जीवन का विज्ञान। फिल्म तो क्या यह एक जड़ों की ओर लौटाती धारा है, जो आज…

“द कश्मीर फाइल्स” पर अनर्गल प्रलाप और विकृत राजनीति 

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“द कश्मीर फाइल्स” आतंकवाद के भयावह दौर तथा सात सत्य घटनाओं पर बनी एक सच्ची फिल्म है। इन घटनाओं के सबूत उपलब्ध हैं। यह सेकुलर लोग झूठ पर आधारित कहानियां तो पढ़ लेते हैं लेकिन इस्लामी आतंकवाद के कारण हुयी  हिन्दू नरसंहार की असली कहानी इनको वल्गर लगती है  क्योंकि इन लोगों  को हिंदुओं का पलायन, उनकी हत्या, उनकी बहिन –बेटियों के सार्वजनिक बलात्कार का समर्थन करने में आनंद मिलता है। “द कश्मीर फाइल्स” का विरोध करने वाला गैंग बहुत ही खतरनाक और मानसिक विकृति का गैंग है जो जम्मू -कश्मीर की शांत हो रही स्थिति में अशांति का जहर घोलना चाहता है। 

एजेंडा सेट करके कैसे किया जाता है दिमाग हैक ?

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चार किताबें,, मेरे पास युवा लड़के खूब बैठते थे आकर,, उन्होंने एकबार पूछा कि महाराज जी कैसे पता चले कि कोई व्यक्ति एजेंडा सेट करके हमारे दिमाग को हैक कर रहा है?? देखो भाई,,वैसे तो अनेकों तरीके होते हैं पता करने के लेकिन ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है,, अपने धर्म का…

ओटीटी पसंद से कठघरे तक

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ओटीटी नाम अब किसी के लिए नया नहीं रहा। मनोरंजन का वर्तमान और भविष्य अभी यही है। इसलिए मनोरंजन जगत से जुड़कर व्यवसाय करनेवाले लोगों और दर्शकों दोनों की यह जिम्मेदारी है कि वे स्वस्थ मनोरंजन का हिस्सा बनें न कि मनोरंजन के माध्यम से चलाए जा रहे अनुचित विमर्शों का।

बहिष्कार के मकड़जाल में बॉलीवुड

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बहिष्कार एक बहुत सामान्य और प्राचीन क्रिया है। अपने मतों के विरुद्ध की जाने वाली बातों का विरोध करना या उसे अनदेखा करना बहिष्कार कहलाता है। हिंदी फिल्मी दुनिया में आज इसे नई बीमारी के रूप में देखा जा रहा है परंतु यह कोई नया नहीं है, हां प्रदर्शन का तरीका जरूर बदल गया है। पहले फिल्मों के पोस्टर फाडे या जलाए जाते हैं अब सोशल मीडिया पर बहिष्कार आंदोलन छिड गया है।

पौराणिक कथाएं एक्सपेरिमेंट की चीज नहीं हैं !!

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एक बात और है! पौराणिक चरित्रों को निभाने के लिए कलाकारों का चयन भी बहुत सोच कर होना चाहिये, क्योंकि लोग उनमें अपने अराध्य को देखते हैं ! 30 वर्ष पुराने रामायण सीरियल के बूढ़े हो चुके कलाकार अरुण गोविल जी को आज भी देखते ही कोई स्त्री चरणों में गिर जाती है, तो समझना होगा कि इन चरित्रों को निभाने के लिए कैसे आदर्श कलाकारों की आवश्यकता है ! यदि कोई मूर्ख अपनी फिल्म में हमेशा नङ्ग-धड़ंग रहने वाली किसी अश्लील अभिनेत्री से माता सीता का रोल करवाता है, तो सभ्यता का द्रोही है वह धूर्त! वह तिरस्कार के ही योग्य है ! दोष सैफ अली खान का नहीं है, उसे आप उदयभान राठौर की भूमिका दें या रावण की, वह दिखेगा खिलजी और तैमूर लं$ ही ! दोष ओम रावत के चयन में है, उसकी मंशा में है !

आम आदमी की एकता और ताकत से सहमा बॉलीवुड

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बॉलीवुड जिस तरह अपने नाम शोहरत और पैसे की चकाचौंध में डूबा रहता था और आम जनता को अपनी अय्याशी दिखाकर जलाने का काम करता था, जनता ने उसका हिसाब लेना शुरू कर दिया है। जनता के पैसे से ही इतनी बुलंदियों तक पहुंचने वाले ये बॉलीवुडिये अब जनता की एकता के साथ किए जाने वाले बॉयकॉट ट्रेंड के आगे गिड़गिड़ाने को विवश हो गए हैं। जो आम आदमी कल तक बॉलीवुड वालों के लिए पैसे की कमाई का ज़रिया मात्र था वो आम आदमी अब एक साथ खुद को इतना सशक्त महसूस करने लगा है की उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है। बड़े से बड़ा बॉलीवुड का स्टार अब इस बात से चिंतित है है की वो अगली फिल्म बनाए या न बनाए, क्योंकि फिल्म के चलने का तो अब भरोसा ही नही रह गया है।

तू हाँ कर या ना कर…..तू है मेरी किरन…..

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टीनएज की दहलीज पर हारमोनल बदलावों से गुजरती लड़कियों को ऐसे आक्रामक स्टॉकर्स सैक्सुअली भी अधिक अट्रैक्ट करते हैं। 'इतना गुस्सैल है तो बैड में कितना हॉट होगा' यह डिस्कसन कॉलेज नहीं, स्कूल कैंटीन में प्रतिदिन ही सुनती हूँ। आठवीं,दसवीं की छात्राएं बेचारी ये बच्चियाँ ये नहीं जानतीं कि ज्यादा 'हॉट' इतना 'हॉट' होता है कि अंकिता जैसी निर्दोष,निष्पाप बच्ची किसी नशेड़ी की एकतरफा 'हॉटनैस' में जलकर भस्म हो जाती है।

बायकॉट बॉलीवुड

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आम जनता द्वारा किए जा रहे ‘बायकॉट बॉलिवुड’ ने फिल्मी धुरंधरों के हाथ- पांव फुला दिए हैं। सभी बड़े एक्टर्स अपने पुराने बयानी पापों को धोने के चक्कर में हैं लेकिन ‘लाल सिंह चड्ढा’ के आमिर की तरह नए पाप करने पर आमादा भी हैं। इसलिए अब लोगों ने मूड बना लिया है कि फिल्म वही हो जिसमें अपनी मिट्टी की सुगंध हो। मनोरंजन की आड़ में राष्ट्र-समाज विरोधी फिल्में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जिहादियों के नए-पुराने हथकंडे!

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इस समय  विश्व  का शायद ही  कोई  देश  या  शहर  होगा  जहाँ  पर मुसलमानों  ने कई  नामों  से  ऐसे  संगठन  और  संस्थान  नहीं  बना रखे हों  , जिनके माध्यम  से कुरआन की  जिहादी  शिक्षा   नहीं  दी  जाती  हो  . जिसके फलस्वरूप मुस्लिम  उग्रवादी  जगह  जगह  , विस्फोट  , जनसंहार और अनेकों  जघन्य  अपराध  करते  रहते हैं  . दुनिया   का  हर देश मुसलमानों  के इस  जिहाद   से परेशान   है  . भारत भी जिहादी  आतंक का  शिकार है  . और जब भी भारत में कोई   जिहादी आतंकी  वारदात  करते  हैं  , तो  हर बार सख्त  कार्यवाही  करने के  दावे  किये  जाते हैं   . लेकिन देखा गया है कि   जब  एक  आतंकी  पकड़ा जाता  है  , तो दस आतंकी  पैदा  हो  जाते  हैं  . आज  हमें गंभीरता  से यह  सोचने  की  जरुरत है कि देश  में इतनी  सरकारें  बदल  जाने पर भी इस्लामी  जिहादी  आतंक  पर पूरी तरह  से रोक क्यों  नहीं  लगाई  जा  सकी  है  ?

दाऊदवुड फिल्मों की ही देन है…’लव जिहाद’

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फ़िल्म डर में शाहरुख का किरदार, लड़की के करीबियों को डराता है, उन पर हमला करता है, लड़की को मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करता है, क्योंकि वो उससे एकतरफा प्रेम करता है, दोनों ही फिल्मों में नायक से अधिक प्रेम जनता ने खलनायक पर लुटाया था, जिससे अपराधी प्रवृत्ति के युवाओं को मानसिक बल मिला, वो पहले से ही अपने कृत्य को सही मानते थे, और शाहरुख के किरदारों को जनता से इतना प्रेम मिलता देख उनका हौसला, उनका पागलपन और बढ़ गया,

बॉलीवुड ने हमेशा हिन्दू धर्म को बदनाम किया है

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फहरान ने पूरी मक्कारी के साथ कप्तान का नाम बदल कर इस्तियाक रख दिया और कोच मुखर्जी को एक वेबड़ा दिखा दिया जो अपने घर पर पत्नी से पिटता है और दारू पीकर कहीं भी लोट जाता है। जबकि असलियत यह थी कि कोच मुखर्जी ने जिंदगी में कभी शराब नहीं पी और उससे भी बड़ी बात मुखर्जी ने कभी विवाह ही नहीं किया था। बहुत लोग कहेंगे तो क्या हुआ मूवी में तो यह सब चलता है, बस यहीं पर गड़बड़ है आज के पहले कितने लोग इन दोनों का नाम जानते थे? नई पीढ़ी तो बिल्कुल भी नहीं जानती, वह मूवी देख कर क्या जानेगी, यही न कि भारत के लिए पहला गोल्ड जीतने वाली टीम के कैप्टन इस्तियाक था और कोच वेबड़ा। फिर भी यदि लोग कहें कि क्या फर्क पड़ता है तो उनसे कहिएगा कि कल को तुम्हारे पोते को यह बताया जाए कि तुम्हारे दादा का नाम किशनलाल नहीं बल्कि इस्तियाक था तो उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी?

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