‘मनोरंजन और प्रबोधन’ (जितना संभव हो) का समन्वय स्थापित करने वाला दूसरा कोई सिनेमा न होगा। उसके गीत, संगीत, नृत्य,...
इसीलिए मैंने आम आदमी की तरह समाजकंटक समझ कर हिकारत से देखे जाने वाले वाले लोगों के भी वोट प्राप्त...
अब तो चारों ओर उपग्रह चैनलों की ही गूंज है, फिर भी कई बार अच्छी कल्पनाओं का अभाव ही महसूस...
फूनम फांडे को आफ अल्फावधि में ही भूल गये होंगे ना? मुंबई के उर्फेागरों में लगे अमिषा फटेल के होर्डिंग...
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