संघ के वरिष्ठ प्रचारक विश्वासराव ताम्हनकर जी का देहांत

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ज्येष्ठ प्रचारक श्री. विश्वासराव ताम्हनकर जी (आयु -77) का कल दिनांक 17 जनवरी 2024, बुधवार की रात को पुणे के एक निजी अस्पताल में लंबी बिमारी के बाद देहांत हुआ l विश्वास रामचंद्र ताम्हनकर. (1947-2024) 1947 में जन्में, मूलतः पुणे के रहनेवाले, पुणे में ही स्वयंसेवक…

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

व्यक्ति में रामत्व होना जरूरी

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मनुष्य को अपने जीवन में प्रभु राम के आदर्श पर चलना चाहिए। जब तक व्यक्ति में रामत्व नहीं आता, जीव में जड़ता बनी रहती है। परिस्थितियां कैसी भी हों, हमें अपने विवेक को धारण करना चाहिए। अपनों से छोटों के दुर्गुणों को छिपाना चाहिए और उन्हें उचित सीख देनी चाहिए। धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। हर किसी को उसके श्रम के अनुरूप उसका उचित पारिश्रमिक देना चाहिए। प्रभु राम के कई ऐसे गुण हैं जिन्हें हम अपने जीवन में उतार कर एक आदर्श जीवन की कल्पना कर सकते है।

रामलला के पटवारी चम्पतराय

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बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय  ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला, उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण जी और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

काकोरी कांड और क्रांतिकारियों का बलिदान

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काकोरी कांड में कुल उन्नीस क्रातिकारियों को सजा मिली थी । यह घटना 9 अगस्त 1925 की है । क्रातिकारियों को स्वतंत्रता संघर्ष के लिये हथियारों की जरूरत थी । हथियारों के लिये धन चाहिए था । पता चला कि ब्रिटिश सरकार का खजाना 8 डाऊन सहारनपुर एक्सप्रेस से जा रहा है । क्रातिकारियों ने शाहजहाँपुर में बैठक की । इस बैठक में दस प्रमुख क्राँतिकारी उपस्थित थे । बैठक की अध्यक्षता महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने की । खजाना लूटने की योजना बनी । और 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी रेल्वे स्टेशन पर गाड़ी रोककर खजाना लूट लिया गया । इसमें कुल 19 क्राँतिकारियों को आरोपी बनाया गया । इनमें चार को फाँसी दी गई और 15 को विभिन्न धाराओं में चार वर्ष या इससे अधिक का कारावास की सजा सुनाई गई, जिन क्रातिकारियों को फाँसी दी गई उनमें राजेन्द्र लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह थे ।

आदर्श स्वयंसेवक प्रतिनिधि विलास मेस्त्री

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हिंदी विवेक परिवार के सदस्य वसई-विरार के प्रतिनिधि विलास मेस्त्री का 15 दिसम्बर २०२३ को 75वां जन्मदिवस है. विवेक पत्रिका को आर्थिक साहयोग देने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस उपलक्ष्य में उनकी प्रेरक एवं आदर्श जीवन यात्रा का दर्शन इस लेख में दृष्टिगोचर होगा.

अस्पृश्यता के घोर विरोधी बालासाहब देवरस

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अपने बाल्यकाल में कई बार दलित स्वयंसेवकों को अपने घर ले जाते थे और अपनी माता से उनका परिचय कराते हुए उन्हें अपने घर की रसोई में अपने साथ भोजन कराते थे। मई 1974 में पुणे में दिए गए इस उद्बबोधन में आपने अस्पृश्यता प्रथा की घोर निंदा की थी और संघ के स्वयंसेवकों से इस प्रथा को समाप्त करने की अपील भी की थी।

राष्ट्रहित में समर्पित महापुरुष बालासाहब देवरस

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समाज व राष्ट्र निर्माण में रा. स्व. संघ की भूमिका स्वयंसिद्ध है। संघ संस्थापक से लेकर वर्तमान सरसंघचालक तक सभी ने अपने मार्गदर्शन में कार्यकर्ताओं की देवदुर्लभ टोली खड़ी की है। तृतीय सरसंघचालक पू. बालासाहब देवरस ने संघ को जो व्यापक आयाम दिए है,  वे एक चमत्कारिक कार्य के रूप में ही है। उन्होंने संघ को राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों के परिप्रेक्ष्य में जिस भाव से सींचा है वह अदभुत ही कहा जाएगा।

जौहरी का हीरा

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कहते हैं, हीरे की परख जौहरी ही कर सकता हैं। मनोहर पर्रिकर ने डॉ. प्रमोद सावंत को परख तो लिया ही था, परंतु अपनी मेहनत, लगन और कर्तव्यपरायणता से वे दिन - प्रतिदिन अधिक चमकते जा रह हैं। उनकी राजनैतिक यात्रा उनके गुरू को दी जा रही गुरुदक्षिणा के समान ही है।

स्वामी विवेकानंद की गोवा यात्रा

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स्वामीजी ने अपनी गोवा यात्रा के दौरान, वहां के धार्मिक स्थलों, पुराने गिरजाघरों, फोंडा के प्राचीन मंदिरों तथा प्राचीन जीर्ण-शीर्ण मंदिरों के अवशेषों आदि का दौरा किया। स्वामीजी ने हरिपद मित्र को लिखे एक पत्र में, पणजी शहर के सुंदर एवं स्वच्छ होने का उल्लेख किया है।

छ. शिवाजी महाराज की सजगता

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फोंडा को हर संभव सहायता करने का नियोजन कर, अनाज से भरे हुए 10 पात्रों तथा कुछ लोगों को फोंडा की ओर भेजा किंतु मराठाओं ने उन्हें राह में ही पकड़ लिया। फोंडा के किले की घेराबंदी में शिवाजी महाराज ने 2,000 घुड़सवारों तथा 7,000 पैदल सैनिकों को सम्मिलित किया था।

अब्राहम लिंकन और नरेंद्र मोदी

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किसी कम्पनी से लेकर राष्ट्र तक का भविष्य इस बात पर निर्भर होता है कि उसका नेतृत्व किसके हाथ में है। भारत के वर्तमान नेतृत्व की तुलना विश्व के कई नेतृत्वों से की जा सकती है, परंतु इस आलेख में अमेरिका के 16 वें राष्ट्राध्यक्ष लिंकन तथा नरेंद्र मोदी की तुलना की गई है, क्योंकि इन दोनों की ही पारिवारिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय पृष्ठभूमि लगभग एक सी है।

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