भाजपा की विशाल फौज पर भारी पड़ीं अकेली दीदी

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हाल में ही देश के चार राज्यों पश्चिम बंगाल,केरल, असम और तमिलनाडु तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में  संपन्न विधानसभा चुनावों के  नतीजे सामने आ चुके हैं । भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधनअसम में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने में सफल रहा है परंतु पश्चिम बंगाल में पहली बार सत्ता में आने का उसका सुनहरा स्वप्न बिखर गया है लेकिन यह कहना भी ग़लत नहीं होगा कि पांच साल पहले संपन्न विधानसभा चुनावों में  जिस पार्टी को मात्र तीन सीटों पर जीत का स्वाद चखने का अवसर मिला हो उसने इन चुनावों में जो शानदार जीत हासिल की है वह निःसंदेह उसके लिए एक ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धि है जिस पर गर्वोन्नत होने का उसे पूरा अधिकार है ।

क्यों बंगाल में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली

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हालांकि पश्चिम बंगाल में भाजपा सत्ता में नहीं थी, विधानसभा में भी उसकी संख्या केवल तीन थी, लेकिन 200 पार का नारा देने का अर्थ था कि वह सरकार बनाने की निश्चित उम्मीद सं चुनाव लड़ रही थी। उसे भी मालूम था कि 200 तक वह नहीं पहुंच सकती, पर बहुमत की उम्मीद उसे थी। उसका आधा सीट भी न मिलना भाजपा के लिए सामान्य आघात नहीं है। कोरोना प्रकोप के भयावह होने के पहले पांच चरणों तक भाजपा ने पूरी ताकत पश्चिम बंगाल में लगाई।

महाराष्ट्र धर्म का आत्माभिमान करें जागृत

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संन्यासी अंतःकरण से राजधर्म का पालन करें, यह महत्वपूर्ण विचार समर्थ रामदास जी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को दिया था। महाराष्ट्र की संस्कृति के ताने-बाने से साकार होने वाला महाराष्ट्र धर्म हमेशा सभी से दो कदम आगे रहा है। आज महाराष्ट्र धर्म की नैतिकता की दुहाई देते समय हमें अपनी पगडंडी भी स्वच्छ रखने की अनिवार्यता आन पड़ी है।

यही उनका बड़प्पन

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“रमेश, तुम्हारा यह लेख बहुत अच्छा है, सटीक है, भाषा संयमित है, पाठक और कार्यकर्ताओं को योग्य संदेश देने वाला है”। आबासाहेब के साथ यह संवाद गत 30-35 वर्षों में जाने कितनी बार हुआ होगा, कह नहीं सकता। अंतर्मन से तारीफ करना उनका स्वभाव था। यह तारीफ़ के शब्द अब कभी सुनाई नहीं देंगे, यह रह-रहकर याद आ रहा है और मन उदास हो रहा है। मृत्यु अटल है और यह जीवन का शाश्वत सत्य है, फिर भी इस शाश्वत सत्य के कटु घूंट को हलक से नीचे उतारने में अतीव कष्ट होता है। मेरे नाम पर अनेक पुस्तकें हैं।

नवोन्मेष की प्रत्यक्ष मिसाल आबा साहब पटवारी

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आबा साहब संघ स्वयंसेवक थे। समाज से हर वर्ग से जुड़े रहना ही उनके जीवन का सार था। ‘संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो, भला हो जिसमें देश का वो काम सब किए चलो।’ इस संघगीत को आबा साहब ने अपने जीवन में उतार लिया था। वे सदैव इसी मार्ग पर चले।

तमाम बुरे अनुभवों के बीच हमें सकारात्मक बनना है। 

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भविष्य मे विश्व गुरु बनने की चाहत रखने वाले  भारत  जिसकी पहचान आज बिना आक्सीजन से मरे लाशों से भरे समशान घाट पर हो रही है।  देश और सभी राज्यों के पास एक साल का मौका था। इस दौरान किसी भी आपात स्थिति के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को तैयार किया जा सकता था, लेकिन नहीं हुआ है । वर्तमान  हालात को देखकर लगता है कि हमारे सरकारने कोविड की लहरों को लेकर कोई आपात योजना नहीं बनाई है।

मानवता का सबसे सुंदर औऱ साकार स्वप्न  है श्री राम

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नए समाज के नए समाज शास्त्री राम को केवल एक अवतारी पुरुष के रूप में विश्लेषित कर उनकी व्याप्ति को कमजोर साबित करना चाहते है।खासकर वामपंथी वर्ग के बुद्धिजीवी राम की आलोचना नारीवाद, दलित और सवर्ण सत्ता को आधार बनाकर करते है।

ऐसे करें शनिदेव की पूजा, कभी नहीं होगी पैसों की कमी

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शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेयथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भवः।।   शास्त्रों के अनुसार हिन्दू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी देवता है और सभी देवी-देवताओं की अपनी अपनी मान्यता है लेकिन इनमें से  शनिदेव का विशेष प्रभाव आज भी देखने को मिलता है। शनिदेव की कृपा से आप का जीवन सुखमन और…

आंबेडकर के विचारों को सही मायने और संदर्भों में आत्मसात करना ज़रूरी

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भारतरत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर अपने अधिकांश समकालीन राजनीतिज्ञों की तुलना में राजनीति के खुरदुरे यथार्थ की ठोस एवं बेहतर  समझ रखते थे। नारों एवं तक़रीरों की हकीक़त वे बख़ूबी समझते थे। जाति-भेद व छुआछूत के अपमानजनक दंश को उन्होंने केवल देखा-सुना-पढ़ा ही नहीं, अपितु भोगा भी था।

‘नव संवत्सर’ भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा

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हिन्दू नववर्ष की शुरुआत अंग्रेजी के नए साल की तरह रात के घनघोर अँधेरे में नहीं बल्कि सूर्य की पहली किरण के साथ होती है। भारतीय नव वर्ष यानी 'नव संवत्सर' की कोई निश्चित अंग्रेजी तारीख नहीं होती क्योंकि यह भारतीय संस्कृति के अनुरूप नक्षत्रों तथा कालगणना पर आधारित होती है।

राष्ट्र संगठन का वैचारिक अधिष्ठान-डॉ. हेडगेवार

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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने अपने लिए कहीं कोई घर नहीं बनवाया; संपूर्ण हिंदुस्थान उनका घर बन गया। उन्होंने अपनी मातृभूमि को परम वैभव तक ले जाने का संदेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से दिया। आज विभिन्न क्षेत्रों में करोड़ों स्वयंसेवक उसी मार्ग पर चल रहे हैं। प्रस्तुत है इस वर्ष 1 अप्रैल को डॉक्टर जी की 133वीं जयंती पर यह विशेष आलेख। 

भाजपा ,नया संसदीय मॉडल और संघ की विचारशक्ति

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41 बर्ष आयु हो गई है भारतीय जनता पार्टी की।मुंबई के पहले पार्टी अधिवेशन में अटल जी ने अध्यक्ष के रूप में कहा था कि "अंधियारा छटेगा सूरज निकलेगा,कमल खिलेगा"।आज भारत की संसदीय राजनीति में चारों तरफ कमल खिल रहा है।कभी बामन बनियों और बाजार वालों(मतलब शहरी इलाके) की पार्टी रही भाजपा आज अखिल भारतीय प्रभाव के चरम पर है।

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