भारतीय संविधान और डॉ. आंबेडकर

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बाबासाहब ने देश के सामने विषयसूची निर्धारित की है, उसकी पूर्तता के लिए जिस राह से गुजरना है उसका नक्शा भी बना दिया है। इसमें केवल तत्व चिंतन नहीं, बल्कि जीवन की वास्तविकता तो ध्यान में लेकर देश की प्रगति के लिए और लोकतंत्र की सफलता के लिए किया मौलिक मार्गदर्शन है।

आंबेडकर का राष्ट्रीय स्वरूप

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लोक वित्त प्रबंधन के जिन लोकोपयोगी सिद्धांतों की चर्चा बाबासाहब ने की है, उसको वर्तमान संदर्भों में भी परखा जा सकता है या नहीं, इन संभावनाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। बाबासाहब का अर्थशास्त्री का यह रूप अभी लोगों के सामने ज़्यादा नहीं आया है।

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की जल नीति

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मांटेंग्यु चेम्सफर्ड सुधार१९१९ के द्वारा जल प्रबंधन का कार्य केन्द्र से राज्य को सौंपा गया, तो भी अंतिम नियंत्रण केन्द्र के हाथों में ही था। दो राज्यों के बीच बहने वाली नदियों की ५० लाख रु. से अधि की योजनाओं को स्वीकृति केन्द्र सरका

आओ, चलें, स्वप्न पूरा करें!

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परमपूज्य डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्वप्नरंजन करनेवाले विचारक नहीं थे। उसी प्रकार आरामकुर्सी पर बैठ कर विचार करनेवाले विचारक नहीं थे। साथ-साथ व्हाईट कॉलर प्रोफेसरपंथी विचारक भी नहीं थे। वे कृतिशील विचारक थे।

बाबासाहब के तीन गुरू बुद्ध, कबीर और फुले

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;डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का जीवन धूलि से शिखर तक की यात्रा है। जिस परिवार में उनका जन्म हुआ था उसकी सौ से अधिक पीढ़ियों से जानवरों से भी बदतर व्यवहार इस देश में किया गया था। उनकी छाया का स्पर्श भी अमंगल माना जाता था। मगर जब डॉ. बाबास

ॠषि परम्परा के प्रतीक डॉ. बाबासाहब

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भारत की सनातन परम्पराऔर चिंतनधारा की एक विशेषता रही है कि समाज की निरंतरता और जीवन प्रवाह में जब भी किसी प्रकार का अवरोध अथवा अवमूल्यन का अवसर आया, तब तब किसी न किसी महापुरुष ने इस पवित्र भारत भूमि पर जन्म लेकर अपने प्रेरक व

बाबासाहब की स्वाभिमानी मां . भीमाबाई

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 जब हम डॉ.बाबासाहबआंबेडकर की जीवनी पढ़ते हैं तब उनके स्वभाव की दो विशेषताएं ध्यान में आती है। वे हैं- उनका स्वाभिमान, उनकी अनुशासन प्रियता। ये दो गुण उन्होंने अपनी माताजी से प्राप्त किए थे। उनकी माताजी स्व. भीमाबाई एक आदर्श माता थीं; परंतु दुर्भाग्य से बाबासाहब बचपन से ही मातृसुख से वंचित हो गए।

मातोश्री रमाबाई

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बाबासाहब के जीवनकार्यके संघर्षमय जीवनकाल में, उत्कर्ष की चरम सीमा में और समाज उन्नति के ध्यासपर्व में दृढ़ता से, निस्वार्थ भाव से, त्याग भाव से, प्रेरक भाव से उनके पीछे दृढ़ता से खड़ी रहने वाली एक ही व्यक्ति का नाम आता है और वह है रमाबाई। डॉ. बाबासाहब के ए

बाबासाहब के घनिष्ठ सहयोगी

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किसी आंदोलन को प्रगतिपथ पर ले जाने का काम नेता से ज्यादा उसके सहयोगी कार्यकर्ता सक्षमता से करते हैं। कोई आंदोलन या अभियान इसलिए जोर पकड़ता है क्योंकि कार्यकर्ता विचारों का वाहक है। इसका उदाहरण है कि डॉ. आंबेडकर का आंदोलन। १९२४ से डॉ. बाबासाहब आंबेडकर सामाजिक जीवन में आंदोलन जारी रहा।

संघर्ष नहीं समन्वय ही विकास का मार्ग

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माजिक जीवन में अपनी पूर्णसहभागिता दर्शानेवाले लोग ही कुछ नया कर दिखाते हैं, इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं पद्मश्री मिलिंद कांबले। पेशे से इंजनियर मिलिंद कांबले का कंस्ट्रक्शन का व्यवसाय हैं।

मानव सेवा ही ईश सेवा

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ईश्वर की उपासना करने के लिए कहीं बाहर जाने कीआवश्यकता नहीं है। मानव की सेवा करना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है। इस सूत्र को अपनी कार्यपद्धति में अपनानेवाली श्रीमती सुमन तुलसियानी का जन्म जैसे समाजसेवा के लिए ही हुआ है।

सेवा का वैश्‍विक आयाम

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व्यक्तिगत सम्पन्नता के शिखर पर पहुंचने के बाद अक्सरलोग अपना सामाजिक उत्तरदायित्व भूल जाते हैं। परंतु जब कुछ लोग इस उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिये प्रयत्नशील दिखाई देते हैं तो लगता है कि समाज में मानवता अभी भी जिंदा है। अफ्रीका

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