ग्रामीण युवाओं में उद्यमिता की संभावनाएं

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 प्रत्येक युवा चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण उसमें उद्यमिता के प्रति रुझान बढ़ रहा है, जिसकी पुष्टि स्टार्टअप्स की बढ़ती हुई संख्या से भी की जा सकती है| रही बात ग्रामीण युवा की तो पहले गांव में उद्यमिता की बुनियाद रखनी होगी, तत्पश्‍चात युवाओं को कौशलयुक्त बना कर उस दिशा में मोड़ने की जरूरत होगी|

 स्वादिष्ट ग्रामीण पकवान

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देश के ग्रामीण इलाकों में आज भी परम्परागत व्यंजन बनाए, खाये जाते हैं| बाटी-चोखा, सत्तू, लाटा, दही-चिउड़ा, ठोकवा, माल-पुआ, गुलगुला, पूरण-रोटी आदि तो नित्य के पकवान हैं| इनके अलावा रसियाव, गुझिया, कचौरी, पूरी, अनर्सा, बड़ा पना, गजक, रबडी, साग-पहिती इत्यादि न जाने कितने पारम्पारिक पकवान हैं|

ग्रामीण विपणन एवं बैकिंग का करीबी रिश्ता

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भारत गांवों का देश है। अधिकांश लोग गांवों में रहते हैं। भारत की आत्मा गावों में बसती है। हमारे गावों में विभिन्न धर्म, जाति और संप्रदाय के लोग मिलजुलकर रहते हैं। गांवों के विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। ’’ - महात्मा गांधी ग्रामीण विपण

 भारतीय परिदृश्य और  आंचलिक रंगकर्म

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दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत बिना बिजली वाले गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य ९९ प्रतिशत तक प्राप्त किया जा चुका है| इस योजना के अंतर्गत जून २०१६ तक १०८७४२.३१ करोड़ रु. उपलब्ध कराए गए थे, जिसमें से ४२६९२.४० करोड़ रु. अर्थात लगभग ३९ प्रतिशत राशि का उपयोग किया जा चुका है| अगर इसी रफ्तार से यह योजना चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब देश का हर गांव जगमग होगा|

 भारत में पारंपारिक ग्रामीण खेल

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भारत के ग्रामीण इलाकों में खेले जाने वाले खेल केवल खेल ही नहीं हैं; वरन् हमारी सांस्कृतिक, सामाजिक, पारिवारिक पहचान के संवाहक हैं| इन खेलों को सहेज कर निरंतर खेले जाने की आवश्यकता का भान सभी पीढ़ी को करते-कराते रहना चाहिए|

 वास्तुशास्त्र और खेती-बाड़ी

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 प्राचीन काल में भारत में नगर नियोजन पर वास्तुशास्त्र के ग्रिड पैटर्न आधारित था| वास्तुशास्त्र के अन्य नियमों का भी पूरी श्रद्धा से पालन किया जाता था| इसीलिए भारत विश्व गुरु और सोने की चिड़िया था, परन्तु आज प्रायः देश के गांवों में गलियां, घर और खेत भी टेढ़े-मेढ़े बने हुए हैं| यह समृद्धि के विरोध में है|

गिरीशभाई शाह

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समस्त महाजन संस्था का उद्देश्य क्या है? समस्त महाजन संस्था का मुख्य उद्देश्य पशुओं की सुरक्षा करना है। ग्राम रचना की प्रमुख आधारशिला जल, जमीन, जानवर, जंगल है। इन चारों के आधार पर अपनी ग्राम संस्कृति बची हैै। आप किसी गांव की कल्पना बिना पानी, बिना जंगल,

 ग्रामीण रोजगार

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 अगर ग्रामीण युवाओं के प्रशिक्षण, पूंजी और बाजार के सवालों को सरकार ने हल कर दिया तो गांवों में रोजगार की तस्वीर ही बदल जाएगी| इससे शहरों की ओर पलायन थमेगा और किसानों को जान भी नहीं गंवानी पड़ेगी|

ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण

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ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के मंत्रालयों में से एक है। यह मंत्रालय व्यापक कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करके ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक उत्प्रेरक मंत्रालय का कार्य करता आ रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य गरीबी उन्मू्लन, रोज

मेक इन विलेज

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ब्रीटिश शासन के पहले भारत वर्ष एक समृद्ध राष्ट्र था, भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि एवं ग्रामीण लधु उद्योगों पर आधारित थी। अधिकांश जनसंख्या की जीविका का साधन कृषि व्यवस्था थी जो कि पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर एवं परस्पर आश्रित थी। भारतीय कृषि मुख्यत: खाद्य

राजस्थान के सीमावर्ती गांव

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देशभक्ति से ओत-प्रोत बेखौफ सरहद के ये बाशिन्दे ही हैं, जो हमारी प्रथम रक्षा पंक्ति के सजग सीमा प्रहरी हैं। लेकिन अधिकांश सीमावर्ती गांव 70 वर्ष की आज़ादी के बाद भी अभी तक सड़क, बिजली जैसी प्राथमिक सुविधाओं से भी वंचित हैं। बहुत सी सरकारी योजनाएं इन गांवों तक पहुंचती ही नहीं।

 गांवों में सुरक्षित है भारतीयता

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 राजनीतिक प्रभावों के चलते भले ही गांवों का परंपरागत परिवेश पहले जैसा न बचा हो परन्तु वहां भारतीयता के निर्माणक तत्व आज भी बहुत प्रबल हैं| हमारी लोक संस्कृति, सामाजिक समरसता, एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहयोग का भाव यथावत सुरक्षित है|

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