वास्तुशास्त्र घर का!

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संपूर्ण घर के आग्नेय कोने के कमरे में रसोई घर होना चाहिए। रसोईघर में ओटला पूर्व की ओर की दीवार से कुछ दूर लेकिन दक्षिण दिशा से सटा हुआ हो और गॅस सिगडी इस प्रकार रखी जाए, कि जिससे रसोई बनानेवाली गृहिणी का मुख पूर्व दिशा में होगा। किचन ओटले के ऊपर पानी का सिंक पूर्व दिशा की ओर हो। फ्रीज आग्नेय दिशा में रखा जाए।

राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत भारतीय सिनेमा के सौ साल

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इसी महीने भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे हो रहे हैं। सन् 1912 ई. में दादा साहब फालके ने ‘राजा हरिश्चन्द्र’ फिल्म बनाकर भारत में फिल्म निर्माण की नींव रखी। यद्यपि उस समय की फिल्म मूक होती थी, किन्तु उनके विषय राष्ट्रवाद से ओत-प्रोत होते थे।

समय के साथ साथ बढता भारतीय सिनेमा

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तमाम आर्थिक और तांत्रिक समस्यांओ को पार करते हुए 21 अप्रैल 1913 में धुंडिराज गोविंद फालके अर्थात दादा साहेब फालके ने पहली भारतीय फिल्म ‘‘राजा हरिश्चन्द्र’’ का प्रीमियर शो कुछ मान्यवर अतिथियों के सामने पेश किया।

मालदीव में भारत विरोधी बयार

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मालदीव के इस घटनाक्रम को सही परिप्रेक्ष्या में समझने के लिए पिछले साल दिसम्बर में मौमून अब्दुल गयूम की इस घोषणा को याद करना चाहिए कि ‘मालदीव के लोग किसी और मजहब की इजाजत नहीं दे सकते। मालदीव की जनता को इस्लाम की रक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। नाशीद इस्लाम को कमजोर करने की कोशिश बंद करें।’

भारत की ‘अग्नि-छाया’

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मनोरंजन में कमी होने से पूर्व ही भारत की सेना के प्रमुख द्वारा निर्माण किया गया जन्म तिथि सम्बन्धी विवाद और उसके पश्चात उनके द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गये पत्र का मीडिया में लीक होना, भारतीय सेना की छवि विश्व के सामने कमजोर रूप में लाकर उसका ‘वस्त्रहरण’ किया गया।

उनका नेत्रदान हुआ क्या? एक बहुमूल्य सवाल

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कुछ समय पूर्व फिल्म जगत की ख्यातनाम अभिनेत्री ऐश्वर्या रायने नेत्रदान करने का अपना इरादा जाहिर किया है ऐसे समाचार आपने अखबारों में पढ़े होंगे। उसके बाद और उसके पूर्व भी अनेक सेलिब्रिटीजने नेत्रदान करने की अपनी इच्छा प्रकट की है।

नक्सलवाद के आगे समर्पण की मुद्रा में सरकार

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नक्सलवाद अपना सिर फिर से उठाने लगा है। इस बार वह संगठित रूप में अधिक शक्तिशाली होकर उभर रहा है, जब केन्द्र सरकार सहित राज्य सरकारें समर्पण की मुद्रा में हैं। इस खतरनाक स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं उमेश सिंह

विवेकानंद और संघ

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विवेकानंद का दृष्टिकोण तथा संघकार्य की व्याप्ति अनोखा संगम इस पुस्तक में हमें पढने के लिए उपलब्ध होगा। डॉ. हेडगेवार एवं श्रीगुरुजी इनके विचारों में से एकसूत्रता उनके भाषणों में से उढूधरण लागातार उद्धृत करते हुए सूर्यनारायण रावजी ने हमारे समक्ष रखी है।

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