टोफी वानर

Continue Readingटोफी वानर

टोफी वानर या टोफी फर्णी वानरों को अंग्रेजी में कैपड लीड मंकी या कैपड लंगूर कहा जाता है। फक्षीशास्त्र में इसका उल्लेख मिलता है। संस्कृत में इसे शाखामृग कहा जाता है।

‘अपना तो मिले कोई’ : दिल से निकली और दिल को छूतीं गजलें

Continue Reading‘अपना तो मिले कोई’ : दिल से निकली और दिल को छूतीं गजलें

देवमणि पांडेय के ताजा गजल संग्रह ‘अपना तो मिले कोई’ की गजलो से गुजरते हुए मेरी काव्य चेतना के बैक ग्राउंड में महाकवि डॉ. मुहम्मद इकबाल का यह शेर निरंतर विद्यमान रहा..

अनश्वर फक्षी के फ्रतीक-चित्रों के बहाने

Continue Readingअनश्वर फक्षी के फ्रतीक-चित्रों के बहाने

यद्यफि शुक्ला चौधुरी शान्तिनिकेतन में अर्फेाा स्नातक की फढाई फूरी नहीं कर फाईं, किन्तु वहां उन्हें कला के तमाम महत्वफूर्ण गुर सीखने का अवसर मिला ।

खबरिया टी. वी. चैनलों की भूमिका

Continue Readingखबरिया टी. वी. चैनलों की भूमिका

दिन-रात चौबीसों घण्टे चल रहे टी. वी. के खबरिया चैनलों के पास दर्शकों के लिए लगता है कोई महत्वपूर्ण विषय नहीं है। सुबह से शाम तक किसी निरर्थक समाचार को बार-बार दिखा करके वे अपने बौद्धिक दिवालिएपन का ही प्रदर्शन करते हैं।

प्रात : स्मरणीय महाराणा प्रताप

Continue Readingप्रात : स्मरणीय महाराणा प्रताप

मुगल बादशाह अकबर के समय समाज में व्याप्त हताशा का अनुमान इसी से लगया जा सकता है कि राजस्थान के जो रजवाड़े विधर्मी तथा हमलावर म्लेच्छों के साथ बैठने तक में अपमान समझते थे, वे ही मुगलों के साथ रिश्ते बनाने लगे।

मधुमेह की उत्तम दवा जामुन

Continue Readingमधुमेह की उत्तम दवा जामुन

बरसात के आगमन के साथ ही काले-काले जामुन बाजार में दिखाई पड़ने लगते हैं। जामुन जहां खाने में स्वादिष्ट होते हैं, वहीं ये अनेक रोगों की अचूक औषधि भी हैं।

शिक्षा में नवाचार

Continue Readingशिक्षा में नवाचार

जीवन में ज्ञान की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता। बहुत सारी समस्याएं अज्ञान से ही पैदा होती हैं। इसीलिए कहा गया है- ‘नाणं पयासयरं।’ ज्ञान प्रकाश करता है। सचमुच यह एक बहुत मूल्यवती अनुभव-वाणी है। दुनिया में यदि महान कष्ट है तो वह अज्ञान ही है। ज्ञान के बिना आदमी अंधे के समान है।

सुद़ृढ फर्यावरण हेतु आव्हान: फुनर्निर्माण

Continue Readingसुद़ृढ फर्यावरण हेतु आव्हान: फुनर्निर्माण

किसी निरुफयोगी वस्तु का आकार बदलकर उसे फुन: उफयोगी बनाने को ही फुनर्निर्माण कहते हैं। दूसरे शब्दों में इसे फुनरुज्जीवन भी कहा जाता है।

आशीष

Continue Readingआशीष

-लगभग पंद्रह वर्ष पहले की बात है। मैं पीएच.डी. कर रही थी। मेरे पीएच.डी. के मार्गदर्शक श्री पाटील सर ने एक और उपन्यास का नाम सूची में बढ़ा दिया, ‘तत्सम’ लेखिका- राजी सेठ। उपन्यास पाने की कोशिश शुरू हो गयी।

जजिया

Continue Readingजजिया

अपने अधीनस्थ अधिकारियों की बात सुनकर शशांक का ईमानदारी से नौकरी करने का भ्रम टूट गया। वह उस दोराहे पर खड़ा था जहां एक रास्ता पारिवारिक मजबूरी में नौकरी पर कोई आंच न आने देने वाला था तो दूसरा विभाग की कार्य संस्कृति का अनुकरण करते हुए चीफ साहब को हर माह ‘जजिया’ देना था।

आर.के. लक्ष्मण – न भूतो न भविष्यति

Continue Readingआर.के. लक्ष्मण – न भूतो न भविष्यति

लक्ष्मण का व्यंग्य चित्रकार बनना और अखबारों से जुड़ना ऐसी घटना थी जिसे विधाता ने पूर्व निर्धारित कर रखा था। आज कार्टून की दुनिया में लक्ष्मण का जवाब लक्ष्मण ही हैं। संप्रति 85 वर्ष की आयु में, आधा शरीर पक्षाघात के कारण निष्चेष्ट जैसा हो जाने के बावजूद, उनके व्यंग्य चित्रों की धार अक्षुण्ण है।

ठूंठ

Continue Readingठूंठ

ऑफिस से लौटकर आज भी वह पार्क के एक सुनसान कोने में अकेला आ बैठा। एक के बाद दूसरी सिगरेट फूँकता रहा। कभी खुद-ब-खुद धीरे से हंसकर अपने ‘जख्मों’ को सहलाता -सा लगता, तो कभी शून्य में निहार कर अपनी ही दुनिया में भटकता-सा।

End of content

No more pages to load