वात्सल्य एवं राजनीति का संगम
श्री नरेन्द्रभाई ने पू. प्रमुख स्वामी के आशीर्वाद लेने हेतु फोन किया तो कहना पड़ा कि स्वामीश्री आराम कर रहे हैं। दोपहर को और बाद में शाम को फिर फोन किया, उत्तर वही था। श्री नरेन्द्रभाई ने कहा कि स्वामीश्री के श्वासोच्छवास को सुन पाऊं, कुछ इस तरह फोन उनके पास रखिए। वही मेरे लिए आशीर्वाद समान होगा। विश्व की संस्कृति के इतिहास पर दृष्टि करने से पता चलता है कि प्राचीन समय में ऋषियों की तेजस्वी आंखों को जमाने का कोई डर नहीं था। वे स्वार्थबुद्धि से परे होने के कारण सत्यवक्ता और स्पष्टवक्ता भी थे। केवल जनकल्या