वस्त्र एवं कपड़ा आधारित आन्दोलन

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ब्रिटिश काल में ब्रिटिश सरकार ने अपने हितों के लिए कई ऐसी नीतियां और कानून बनाए, जिसके अंतर्गत वस्त्र एवं कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों के हितों पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ा। इसमें 1813 एक्ट के तहत भारत में मुक्त व्यापार की नीति लागू की गई। इस नीति के तहत अब न सिर्फ ईस्ट इंडिया कंपनी बल्कि अन्य बाहरी कंपनियां भी भारत में व्यापार कर सकती थीं।

खादी : वस्त्र और विचार

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मनुष्य की जरूरत पूरी करने में खादी सक्षम है। आवश्यकता से अधिक अर्जन करने से आदमी की प्रकृति और प्रवृत्ति बदल जाती है। धीरे-धीरे शोषक बनने की श्रेणी में आ जाता है। जबकि चरखे में तो ईश्वर का वास है। यह गरीब से गरीब आदमी की क्षुधा तृप्त कर सकता है। उसको सम्मान दिला सकता है।

भारतीय संस्कृति में वेशभूषा का महत्व

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भारत संभवत: दुनिया के उन शुरुआती गिने-चुने देशों में से है, जहां कपास का उपयोग सबसे पहले किया गया था। कपास का नाम भी भारत से ही विश्व की अन्य भाषाओं में प्रचलित हुआ, जैसे- संस्कृत में ‘कर्पस’, हिन्दी में कपास’, हिब्रू में ‘कापस’, यूनानी तथा लैटिन भाषा में ‘कार्पोसस’ आदि। अत: यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि हर तरह के परिधानों का आविष्कार भारत में ही हुआ है।

अध्यात्म का वरदान भारतीय परिधान

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जो बात या गरिमा महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली साड़ी से झलकती है वह समाज की महिला के प्रति दृष्टि भी बदल देती है। भारत में स्त्रियों द्वारा साड़ी का पहनना एक जीवन पद्धति भी है और परंपरा भी, जो वैदिक काल से अब तक निरंतर प्रवाहमान है। साड़ी न केवल भारत को बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए स्त्री की स्त्रीत्व और मातृत्व की पहचान है।

गीता रहस्य कर्मयोग को किया पुनर्स्थापित

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लोकमान्य तिलक ने अपने ज्ञान और विद्वत्ता के महासागर के आधार पर ‘गीता रहस्य’ सादर की है। गीता रहस्य तिलक जी का शाश्वत स्मारक है। स्वतंत्रता आंदोलन में विजयश्री प्राप्त होने के बाद भी लोकमान्य तिलक अनंत काल तक भारतीयों के मन में रहेंगे। गीता रहस्य के कारण तिलक जी की स्मृति भारतीयों के लिए प्रेरणा पुंज रहेगी। जिस शास्त्रीय पद्धति से तिलक जी ने गीता को समझाया है, आज तक इस प्रकार का शोध कार्य किसी ने भी नहीं किया।

हमारा पुरुषार्थ जागेगा

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हमारे प्राचीन समाज की एकता का आधार पहचानकर, हमारा ‘स्व’ पहचानकर उसके प्रकाश में हमारी नीतियों का विचार किया, तो हम हमारे इस संभ्रम के, आत्मविस्मृति के घेरे से बाहर निकल सकेंगे। हमारा ‘स्व’ यदि जग गया और हम स्वाभिमान से भर गए तो हमारा पुरुषार्थ जागेगा और उसके बल पर हम फिर एक बार हमारा पुरुषार्थ और पराक्रम से युक्त, संपन्न, समाधानी और आनंदपूर्ण समाज जीवन निर्माण कर सकेंगे।

वस्त्रोद्योग पुन: अपना गौरव प्राप्त करेगा

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दीपावली तमस को मिटाकर जीवन में रौशनी लाने वाला त्यौहार है। सामाजिक जीवन में तमस का अर्थ निष्क्रीयता, आलस्य, नकारात्मकता और निराशा है, जिसे हम दीपावली के दिन अपने कर्मरूपी दिये के माध्यम से मिटाने का संकल्प लेते हैं। दीपावली के दिन जलाया हुआ प्रत्येक दीपक इस बात का संकेत होता है कि आने वाले सम्पूर्ण वर्ष में हम सभी सम्पूर्ण उत्साह के साथ अपने कार्यों और कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहेंगे।

राम मंदिर से राम राज्य की ओर- सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी का साक्षात्कार

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साप्ताहिक विवेक के आगामी ग्रंथ राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर हेतु मा. मोहनजी भागवत का साक्षात्कार अमोल पेडणेकर तथा रवि गोले द्वारा लिए गए साक्षात्कार के सम्पादित अंश- अमोल - अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के प्रारंभ के साथ ही राम जन्मभूमि आंदोलन समाप्त हो गया लेकिन क्या अब भगवान…

लड़ाई तूलिका की

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बालासाहेब ठाकरे......एक विवादित व्यक्तित्व! आश्चर्यचकित कर देने वाले व्यंग्यचित्र जिन्हें बनाने की जबरदस्त क्षमता रखने वाले महान कलाकार और एक दिग्गज नेता.... राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी टिप्पणी करने की तेज नजर रखने वाले बालासाहेब ठाकरे इस मौके पर हिंदी विवेक दीपावली विशेषांक मे प्रकाशित लेख के कुछ अंश।

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