नोटबंदी से आया नया युग
जब नोट गिने बगैर ही खरीदारी की जा सकती है, सारा काम पूरा हो सकता है तो गड्डियां साथ में लेकर क्यों चलना और आफत को न्योता क्यों देना? जब इतनी सहूलियत मिल रही है तो इसका फायदा नहीं उठाना बचपना ही कहा जाएगा। वैसे भी समय के साथ चलने में ही समझदारी होती है।