विश्व हिंदू परिषद-सुवर्ण जयंती महोत्सव

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विश्व हिंदू परिषद विश्वव्यापी संगठन है। उसने समस्त विश्व में बसेे हिंदुओं को एकात्मता की भावना में पिरोने का कार्य किया है। वि.हि.प. ने संस्कृति, धर्म, राष्ट्र के प्रति श्रद्धा एवं आस्था जागृत करने का कार्य किया है। अनेक देशों में हिंदू संमेलन हुए, जिनमें महिलाओं का भी योगदान रहा।

विहिप का आधी सदी का कार्य

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हिंदुत्व इस देश का प्राणतत्व है। देश की परंपराओं का जतन करने वाले, देश की अस्मिता के प्रतीक मठ-मंदिरों तथा धर्मस्थान को पूजनीय मानने वाले ही हिंदू कहलाने के अधिकारी हैं। धर्मस्थल मुक्ति आंदोलन के समर्थक हिंदू कहे जा सकते हैं। उसका विरोध करने वाले अन्य सभी हिंदुत्व की राष्ट्रीय परिभाषा में नहीं आते। वे सभी रंग बदलते गिरगिट हैं।

नए जिहादियों की पुरानी विचारधारा

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‘लव जिहाद’ मात्र कल्पना की उपज नहीं है, न यह शब्द आज गढ़ा गया है। देशभर में विभिन्न राज्यों में हो रही ऐसी घटनाएं इसकी साक्ष्य हैं। जमियत-ए-उलेमा-ए-हिंद और शिया धार्मिक नेताओं ने ‘लव जिहाद’ को इस्लाम-विरूद्ध घोषित किया। ... इस्लाम की नई समन्वयवादी व्याख्याएं करने वाला तबका, कट्टर वहाबी विचारधारा के सामने अब अप्रासंगिक होने की कगार पर है। यह मुस्लिमों की चिंता एवं हिंदुओं की सतर्कता का मुद्दा है।

पाइप और लाइफ

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ये पाइप और लाइफ का क्या किस्सा है? भला पाइप का लाइफ से क्या संबंध, उससे क्या लेना देना। अभी तक तो लाइफ का संबंध वाइफ से सुना था और वाकई में देखा जाये तो वाइफ के आने के बाद लाइफ पर असर पड़ता भी है, बहुत सारे बदलाव आ जाते हैं। पर ये पाइप और लाइफ का माजरा कुछ समझ में नहीं आ रहा है, जोशी साहब। देखो पाटिल साहब, आजकल पाइप का जितना असर लाइफ पर पड़ रहा है उतना वाइफ का कभी नहीं पड़ा।

त्रिकोण का रहस्य

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पश्चिम एशिया का तेल भण्डार आज नहीं तो कल समाप्त होगा ही। तब उन देशों की पैसों की मस्ती उतर जाएगी। किन्तु यह देखकर भी जिहाद की मस्ती नहीं उतरेगी। क्योंकि धार्मिक उन्माद का मद ऐसा है कि यदि एक बार मन पर छा जाए, तो जीवन भर उतरता नहीं है।

इस्राइल व फिलिस्तीनियों में तनावपूर्ण शांति

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फिलस्तीन पर भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। जहां हम फिलिस्तीनी मुद्दे को पूरा समर्थन देते हैं, वहीं इस्राइल के साथ भी अच्छे संबंध बरकरार रखे हैं। कांग्रेस और भाजपा की सरकारों के साथ देवेगौड़ा और गुजराल सरकार के कार्यकाल में भी ऐसी ही नीति रही।

जाति इंसानियत, धर्म प्रेम

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इस कविता के रचयिता कौन हैं यह बताने के पहले इसकी प्रासंगिकता पर गौर करते हैं। ये पंक्तियां ‘प्रीत का गीत’ कविता की कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियों में से हैं जिन्हें कवि ने स्वतंत्रता से पूर्व लिखा था परंतु अगर हम गौर करें तो आज भी हमारी भारतमाता के हालातों में कुछ बदलाव नहीं आया है।

लीग कल्चर का नया अध्याय…. ‘प्रो कबड्डी’

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उद्योगपति आनंद महिंद्रा और खेल कमेंट्रेटर चारू शर्मा की फर्म मशाल स्पोर्ट्स के संयुक्त प्रयास से प्रो-कबड्डी की नींव रखी गई। लीग शुरू होते ही पहले दिन से ही इसे लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिला। ...सन 2019 के ओलिम्पिक में कबड्डी का नए वर्ग में समावेश होने की आशा जा रही है।

निकाह अथवा शादी

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‘जिहाद’ हार गया, सच्चा ‘लव’ जीत गया। महमूद, मोहन बन गया और दुर्गा से निकाह नहीं; शादी कर ली। निकाह के बंधनों और विवाह की उदारता उसे समझ में आ गई। उसे लगा कि हिंदू धर्म तो इतना उदार है कि वह हिंदू बनकर भी मुस्लिम रह सकेगा। हिंदुओं में जैसे कोई कृष्ण की, कोई शिव की, कोई राम और कोई काली की पूजा कर सकता है; वैसे ही वह हिंदू बनकर खुदा की बंदगी कर सकता है और कुरान पढ़ सकता है।

पाकिस्तानी बालिकाओं की जय हो

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आपका आकर्षक व्यक्तित्व हम कब से देख रहे थे। कॉन्फरन्स हॉल के द्वार पर आप खड़ी थीं इसलिए हम आपसे मिलने आए। हम पाकिस्तानी हैं। आपकी साड़ी, माथे पर लाल बिंदी, आप हिंदू है ना?

कमजोरी है या…..?

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सुबह आंख खुली। मैं बाहर आकर टहलने लगा। थोड़े समय बाद देखा। एक छोटी बालिका पीठ पर टाट का बड़ा-सा बोरा लटकाए धीरे-धीरे चलते हुए प्लास्टिक की थैलियां और कागज उठाकर बोरे में डालते हुए बढ़ रही है। मेरे करीब पहुंचकर उसने कागज उठाए बोरे में डाले।

एक और अभिमन्य्ाु

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उसे लगा कि थो़डी देर में उसके सारे शरीर का खून खुद-ब-खुद निच्ाु़ड जाएगा और वह हड्डियों का कंकाल मात्र रह जाएगा। कैसे दिखाएगा वह समाज में अब मुंह और क्या बताएगा लोगों को? सब थू-थू नहीं करेंगे क्या? यही सोच-सोचकर उसके चेहरे का रंग पतझ़ड के पत्तों-सा पीला प़डता जा रहा है। वह सोच-सोचकर हैरान है कि समय कितना बदल गया है।

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