कश्मीर में पनपा आतंकवाद और पाकिस्तान

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  राष्ट्रजीवन तथा राजनैतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है ‘यदि आपने जहरीली जड़ों को सींचा तो आपको अच्छे फल कैसे मिलेंगे’? कश्मीर में फैले आतंकवाद का अध्ययन तथा विश्लेषण करने पर यह कटु सत्य सामने आता है। १९६५ के पाकिस्तान-भारत युद्ध

जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति एवं अनुच्छेद ३५ (ए)

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१५ अगस्त १९४७ को भारत स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता के साथ ही अंग्रेजों और कुछ स्वार्थी राजनेताओं ने पंथ के नाम पर देश को दो हिस्सों में बांट दिया। एक हिस्से को मुस्लिम राष्ट्र घोषित कर पाकिस्तान बना दिया गया। स्वतंत्रता के समय भारत में कुल ५६५ से भी अधिक रि

जम्मू-कश्मीर में तीर्थ यात्रा का पुनर्जागरण

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सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर के भौगोलिक एवं सभ्यता की दृष्टि से वर्तमान में चार भाग हैं- जम्मू, कश्मीर, लद्दाख व पाक- अधिक्रांत कश्मीर। वैसे तो चीन-अधिक्रांत लद्दाख भी जम्मू-कश्मीर का एक भू-भाग है। इन सब क्षेत्रों की परिस्थितियां, रचना व समाज-जीवन भिन्न है। सम

नंदनवन उ़जड रहा है….

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वह दुनिया का सब से खूबसूरत पनाहगार था। हरीभरी वादियां, मन को तरोताजा करने वाला मस्तमौला मौसम, हिमधवल पर्वतों से आकाश को छूने वाला वह धरती का स्वर्ग था... भारत माता का वह उन्नत मस्तक था...! वह अखंड कश्मीर था...! पर १९४७ के विभाजन ने सब कुछ बदल दिया। सबकु

कश्मीर पर माइक्रो रणनीति की जरूरत

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पाकिस्तान के साथ सम्बंध निर्मित करते हुए अथवा पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सम्बंधों को आगे बढ़ाते समय भारत हमेशा से जिस एक चीज की अनदेखी करता रहा, वह है पाकिस्तान के जन्म का सच और पाकिस्तान के चरित्र से उपजने वाले खतरे। भारत के विरुद्ध जिहादी मनोवृत्ति से

राष्ट्रहित से समझौता नहीं…- मा. निर्मल सिंह उप-मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर

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एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’इस वैचारिक उद्घोषणा को लेकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना बलिदान दिया, इन विचारों में किस तरह का गौरवपूर्ण भाव है उसे स्पष्ट कीजिए?यह मात्र वैचारिक उद्घोषणा ही नहीं है इसे लेकर जम्मू-कश्मी

 कश्मीर पर वक्रदृष्टी असह्य

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कश्मीर भारत का सब से संवेदनशील क्षेत्र होने से आए दिन हिंसा    और राजनीति को लेकर चर्चाओं में रहता है| अशांति जम्मू एवं कश्मीर के लिए नई बात नहीं है| सम्पूर्ण मानव सृष्टि के आदि महर्षि कश्यप की कर्मस्थली, इस देश की मूल आर्य-वैदिक संस्कृति का प्रारंभ बिंदु, आद्य शंकराचार्य की ‘सौंदर्य लहरी’ और कल्हण की ‘राजतरंगिणि’ के स्वर जहां गूंजे ऐसा भारत माता का भाल प्रदेश है कश्मीर|

कश्मीर का आध्यात्मिक महत्व

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कश्मीर के आध्यात्मिक महत्व का आरंभ ‘शारदा पीठ’ से होता है| इसका दक्षिण द्वार आद्य श्री शंकराचार्य  ने खोला था| यह ‘शारदा पीठ’ आज पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है|  यह शारदा पीठ यानी विद्या की देवता ‘सरस्वती माता’ का मंदिर| प्राचीन काल में इस प्रदेश को शारदा देश कहा जाता था|

 डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी कश्मीर के लिए बलिदान

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श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में ६ जुलाई १९०१ को हुआ था| उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बंगाल के एक जाने-माने वकील थे, जो कालांतर में कोलकाता विश्‍वविद्यालय के कुलपति बने| उनकी माता का नाम था योजमाया देवी मुखर्जी| जिनकी साधना का चरम उत्कर्ष था कि उन्होंने ऐसे पुत्ररत्न को जन्म दिया, जिसने देश की अखण्डता के लिए आत्माहुति दे दी|

इसरो ने रचा इतिहास

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक साथ 104 उपग्रह अंतिरक्ष में प्रक्षेपित कर विश्व कीर्तिमान बनाया। इन उपलब्धियों से साफ हुआ है कि अकादमिक समुदाय, सरकार और उद्यमिता में एकरूपता संभव है। इस गठजोड़ के बूते शैक्षिक व स्वतंत्र शोध संस्थानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। बशर्ते इसरो की तरह विवि को भी अविष्कारों से वाणिज्यिक लाभ उठाने की अनुमति दे दी जाए।

अमेरिकी परिवर्तन और विश्व

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डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद वहां ‘अमेरिका प्रथम’ की नीति लागू हो रही है। अमेरिका विश्व की नहीं, पहले अपनी चिंता करना चाहता है। यह परिवर्तन अरब देशों में हुए ‘अरब स्प्रिंग’ जैसा तात्कालिक रहने के आसार नहीं हैं। दो-तीन वर्षों में विश्व का भूगोल नहीं बदलेगा; परंतु अनेक देशों को राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक भूकंप के झटके लगेंगे, इतना सामर्थ्य तो इस परिवर्तन में अवश्य है।

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