उत्तराखंड भारत की सांस्कृतिक धरोहर – स्वामी विश्वेश्वरानंद महाराज

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सनातन धर्म की पुनर्स्थापना आद्य शंकराचार्य ने की। उन्होंने शस्त्र नहीं चलाया, केवल शास्त्र के माध्यम से ही समाज में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की। इसलिए शास्त्र परम्परा का संरक्षण व संवर्धन होना चाहिए। यह उद्गार व्यक्त करते हुए अपने साक्षात्कार में संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने उत्तराखंड के आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश –

संस्कृति संजोने हेतु संकल्पित सरकार – वी. सुनील कुमार

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भारत में संस्कृति के विभिन्न आयामों जैसे भाषा, साहित्य, लोकगीत-लोकनृत्य आदि को राजाश्रय हमेशा ही मिलता रहा है। आज लोकतांत्रिक राजव्यवस्था होने के बाद भी प्रत्येक राज्य सरकार अपनी संस्कृति के संवर्धन हेतु विशेष प्रयत्न करती है। कर्नाटक भारत का वह राज्य है जिसे संस्कृति के रक्षक के रूप में जाना जाता है। आइए जानते हैं कर्नाटक के कन्नड़ और संस्कृति विभाग तथा ऊर्जा मंत्री मा. वी. सुनील कुमार जी से कि वे कर्नाटक में संस्कृति रक्षा के लिए क्या प्रयत्न कर रहे हैं।

सुरों की यात्रा में संतुष्ट हूं – पद्मश्री पं. उल्हास कशालकर

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अपने गायन में ग्वालियर, आगरा, जयपुर तीनों परिवारों की परम्परा को आगे बढ़ाया और संगीत को एक अलग ऊंचाई पर ले गए। यदि कोई  गायन सुनकर संगीत की समृद्धि का अनुभव करना चाहता है, तो उसे पंडीत उल्हास कशालकर के गायन को अवश्य सुनना चाहिए। पं. उल्हास कशालकर की इस संगीतमय पृष्ठभूमि पर उन्हें मिले पदम्श्री पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एक बहुत बड़ा और सार्थक सम्मान हैं। आप अपने सुमधुर शास्त्रीय गायन के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय गायन परम्परा में अपना विशिष्ट स्थान बना चुके है।

संगीत की नई पौध को सींचने वाले गुरु – पं. राजेंद्र वर्मन

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पं. राजेंद्र वर्मन ने सितार वादन की कला को घरानों की परम्परा से बाहर निकालकर नई पीढ़ी की पौध विकसित करने की दिशा में सार्थक प्रयत्न किया है। सवा पांच की ताल के उन्नायक राजेंद्र वर्मन वर्तमान समय के बेहतरीन, संवेदनशील और रचनात्मक कलाकार हैं, जो उनके रागों के गायन में प्रदर्शित होता है। आप अपनी शुद्धता एवं व्यवस्थित विकास और राग की शांति के लिए जाने जाते हैं। हिंदी विवेक को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने संगीत खासकर सितार की बारीकियों और संगीत के भविष्य को लेकर लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं उस साक्षात्कार के सम्पादित अंश:

ग्रामीण विकास, कल-आज-कल

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भारत की आत्मा उसके ग्रामोें में बसती है। इसलिए यदि भारत की प्राचीन सनातन संस्कृति को बचाए रखना है तो ग्राम की संस्कृति और वहां के निवासियों के शहर की ओर हो रहे पलायन को रोकना ही होगा। इसके लिए आवश्यक है कि एक बार फिर ग्राम का मौलिक विकास नवीन पद्धति के आधार पर लेकिन विशुद्ध भारतीय संस्कृति को बचाए रखते हुए किया जाए। इस संदर्भ में प्रस्तुत है भैयाजी जोशी (अ. भा. कार्यकारिणी सदस्य, रा. स्व. संघ) का साक्षात्कार...

सामाजिक शक्ति केन्द्र बनें गोशाला

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विगत 25 वर्षों से गोसेवा का कार्य नियमित रूप से करनेवाले गिरीश भाई शाह ने समस्त महाजन संस्था के माध्यम आदर्श गांव की संकल्पना को न केवल सबके सामने प्रस्तुत किया है वरन वे स्वावलंबी गोशाला और स्वावलंबी गांव बनाने के लिए रोड मैप भी तैयार कर चुके हैं। गोपालन और गोसंरक्षण के संदर्भ में उनके कुछ मौलिक विचार हैं जो उन्होंने इस साक्षात्कार के माध्यम से सभी के समक्ष प्रस्तुत किए हैं।

गोवंश के प्रति समाज अपना दायित्व समझे!-सुनील मानसिंहका

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पिछले लगभग तीन दशकों से गोसेवा के क्षेत्र में कार्य करनेवाली गो सेवा अनुसंधान केंद्र, देवलापार नामक संस्था अब केवल गो वंश को बचाने वाली गोशाला तक सीमित नहीं रही है, वरन अब वह एक बहुत बड़ा अनुसंधान केंद्र बन गई है, जो कि अन्य गोशालाओं के लिए आदर्श है और मार्गदर्शक भी है। प्रस्तुत हैं पिछले लगभग 25 वर्षों से इस केंद्र को सुनियोजित रूप से चलाने वाले संचालक सुनील मानसिंहका से हुई चर्चा के कुछ प्रमुख अंश-

सैनिक निर्माण करनेवाली संस्था-डॉ. दिलीप बेलगावकर

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स्वतंत्रता के 10 वर्ष पूर्व से ही एक संस्था भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिये, एक सशक्त सेना के निर्माण के लिए सैनिक तैयार कर रही है, उस संस्था का नाम है, भोंसला मिलिट्री स्कूल। प्रस्तुत है देश की सुरक्षा व्यवस्था तथा भोंसला मिलिट्री स्कूल की भविष्यकालीन योजनाओं के संदर्भ…

दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य महाशक्ति है भारत – मेजर सुरेंद्र पूनिया

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पेशे से डॉक्टर, थल सेना में मेजर रैंक, पैराट्रूपर, म. राष्ट्रपति के सुरक्षाकर्मी, अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण विजेता खिलाड़ी, प्रसिद्ध वक्ता तथा सोशल मीडिया पर सदा चर्चा में रहनेवाले मेजर सुरेन्द्र पूनिया आज समाज का जानामाना नाम है। भारतीय सुरक्षा व्यवस्था को उन्होंने अत्यंत करीब से देखा है। उनके अनुभवों तथा वर्तमान व भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था पर उनकी बेबाक राय है। प्रस्तुत है उनसे हुई चर्चा के कुछ महत्वपूर्ण अंश-

शस्त्र आवश्यकताओं की पूर्ति करने में समर्थ डीआरडीओ

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आजादी के अमृत महोत्सव में देश की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। आज भारतीय सेना जिन आधुनिक शस्त्रास्त्रों से लैस है, उसका श्रेय बहुत हद तक डीआरडीओ को जाता है। बुलेट प्रूफ जैकेट से लेकर ड्रोन का अनुसंधान डीआरडीओ ने किया है और वह भी पूरी तरह भारतीय तंत्रज्ञान के आधार पर। डीआरडीओ के इसी स्वावलंबन और सुरक्षा क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी से हुई बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश-

राष्ट्रभक्ति को चाहिए राष्ट्रशक्ति का कवच – ले. जन. (से. नि.) डॉ. दत्तात्रेय शेकटकर

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तालिबान-अलकायदा का रिमोट कंट्रोल पाकिस्तान के हाथ में है और पाकिस्तान का रिमोट कंट्रोल चीन के हाथ में। चीन को दबाने से पाकिस्तान खुद ही दुबक जायेगा। इसलिए भारत का सामर्थ्यवान होना आवश्यक है, यह कहना है रक्षा विशेषज्ञ ले.जन. (से.नि.)डॉ.दत्तात्रेय शेकटकर का। उन्होंने हिंदी विवेक को दिए साक्षात्कार में भारत की बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा को लेकर अपनी बेबाक राय रखी और साथ ही अलगाववादी, नक्सली, माओवादी, जिहादी, आतंकवादी इत्यादि राष्ट्रविरोधी तत्वों से निपटने के सटीक उपाय भी बताए। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के सम्पादित अंश -

हमने बनाई किसान फ्रेंडली पॉलिसी – सुबोध उनियाल (कृषि मंत्री)

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कोरोना काल की विपरित परिस्थितियों में भी उत्तराखंड ने सर्वाधिक खेती करने का कीर्तिमान बनाया और कृषि पुरस्कार हासिल किया। इसके साथ ही जैविक खेती में उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बन गया है। किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हे आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है, यह भरोसा देते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने साक्षात्कार में कृषि से जुड़ी संभावनाओं, अवसरों एवं उपलब्धियों सहित सरकार की योजनाओं की चर्चा की। प्रस्तुत है उनके साक्षात्कार के प्रमुख अंश -

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