न्यूटन नही, भास्कराचार्य ने की गुरुत्वाकर्षण की खोज

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अर्थात् पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और आकर्षण के कारण वह जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे? अर्थात् आकाश में ग्रह निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती हैं। ऐसे ही अगर यह कहा जाय की विज्ञान के सारे आधारभूत अविष्कार भारत भूमि पर हमारे विशेषज्ञ ऋषि मुनियों द्वारा हुए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ! सबके प्रमाण उपलब्ध हैं ! आवश्यकता स्वभाषा में विज्ञान की शिक्षा दिए जाने की है।

“रॉकेट्री- द नम्बी इफेक्ट” से उठते ज्वलंत प्रश्न

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उनकी देशसेवा का उन्हें इनाम मिला वो भी बदनामी, 1994 में पचास दिन की भयानक यातनाओं वाली जेल, पांच वर्ष सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई और बदले में केवल पचास लाख का मुआवजा। इसके साथ ही उनकी पत्नी का शॉक के कारण मानसिक रोगी हो जाना। बच्चों का समाज में जीना दूभर हो जाना। इन सबके पीछे मीडिया ने भी गलत खबरें दे-देकर नमक-मिर्च लगाकर और उनके परिवार को जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर किया। फिल्म में उनका एक कथन है- "मैं यातनाएं सह लूंगा लेकिन झूठे आरोपों को नहीं मानूंगा। आगे आप कहेंगे कि बोफोर्स और...भी तुमने ही किया, मान लो"। 2019 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

स्वतंत्रता संग्राम और विज्ञानविदों की गौरव गाथा

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महेंद्रलाल सरकार, बीरबल साहनी, जगदीश चंद्र बोस, सत्येंद्र नाथ बोस, रूचिराम साहनी, पी.सी.राय, सी.वी.रामन, प्रमथनाथ बोस, मेघनाद साहा, विश्‍वेश्‍वरैया आदि वैज्ञानिक सेनानियों के कारण ही स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों की भूमिका बहुत प्रखर रूप से उभर कर सामने आई। वर्ष 1940 में सीएसआईआर की स्‍थापना करने वाले शांति स्‍वरूप भटनागर का मानना था कि गुलामी के कारण देशवासि‍यों में साहसिक प्रवृत्ति की भावना कमजोर पड़ गई है। देश के वैज्ञानि‍क क्षितिज में नई प्रतिभाओं एवं नवीन खोज को प्रेरित करने के उद्देश्‍य से उनके मार्गदर्शन में अनेक नई प्रयोगशालाओं की स्‍थापना का मार्ग प्रशस्‍त हुआ। माना जाता है कि उनके व्‍यक्तित्‍व के निर्माण में रूचिराम साहनी का महत्‍वपूर्ण योगदान था जिन्‍होंने अपना पूरा जीवन स्‍कूल और कॉलेजों में विज्ञान की लोकप्रियता और विज्ञान शिक्षण में सुधार के लिए समर्पित कर दिया था।

समयसूचक AM और PM का उद्गम

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अध्ययन करने से ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियों में उड़ा दिया और अब, सब कुछ साफ-साफ दृष्टिगत है। कैसे? देखिये...

रहस्य से पर्दा हटना अभी बाकी है

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वैसे तो वैज्ञानिक समुदाय ने सौरमंडल के नौवें ग्रह प्लूटो को हमारे सौर परिवार से कई वर्ष पहले बेदखल कर दिया है क्योंकि प्लूटो जैसे असंख्य पिंड उस स्थान पर मौजूद हैं। लेकिन खगोल वैज्ञानिक अपने अन्तरिक्षीय संधान में यह खुलासा करते आ रहे हैं कि नेपच्यून और प्लूटो से परे, एक नौवां ग्रह है जिसका द्रव्यमान पृथ्वी से पांच गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों ने इसे प्लैनेट 9 नाम दिया है और इसे ‘प्लैनेट एक्स’ के नाम से भी जाना जाता है। यह अंतरिक्ष पिंड अनेक रहस्य और आश्चर्य से भरा हुआ है। आइये, जानते हैं इसके बारे में।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता दायरा

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भारत के समानव अंतरिक्ष-अभियान गगनयान की पहली परीक्षण उड़ान जल्द ही होने वाली है। शुरुआती उड़ान में अंतरिक्ष-यात्री नहीं होंगे, पर जब जाएंगे तब उनके साथ ‘व्योममित्र’ नामक एक रोबोट भी अंतरिक्ष जाएगा। यह रोबोट पूरे यान के मापदंडों पर निगरानी रखेगा। इसमें कोई नई बात नहीं है, केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते दायरे की ओर इशारा है।

कहानी वैक्सीन के जन्मदाता की

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2019 की शुरुआत में पूरी दुनिया एक नयी बीमारी कोविड-19 की चपेट में आ गयी थी। साल के उत्तरार्ध में लगभग हर बड़े देश और दवाओं पर अनुसंधान करने वाली कम्पनी को उपचार के तौर पर बस एक ही विकल्प दिखाई दे रहा था। सबको पता था कि इस बीमारी…

जब 24 साल पहले भारत ने दुनिया को चौंकाया था

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अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने अभी कामकाज संभाला ही था कि 11 और 13 मई को भारत ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया कि पूरी दुनिया दंग रह गई। उस समय भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी ज्यादा था, लेकिन तत्कालीन प्रधान मंत्री  ने तय किया कि किसी भी हाल में परीक्षण…

भारत बन रहा है दुनिया का फार्मेसी हब

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पिछले 8 वर्षों के दौरान भारत के ड्रग्स एवं फार्मा उत्पाद के निर्यात में 103 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर अर्जित की गई है। ड्रग्स एवं फार्मा उत्पाद के निर्यात वर्ष 2013-14 में 90,414 करोड़ रुपए के रहे थे जो 2021-22 में बढ़कर 1.83 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए…

जीवन के लिए जरूरी है पृथ्वी को संवारना

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आज समूची दुनिया विश्व पृथ्वी दिवस मना रही है और यह कहीं न कहीं उस दिवस की वर्षगांठ है। जिसे सुरक्षित रखने की आज के समय में महती जरूरत है। गौरतलब हो कि पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत 22 अप्रैल 1970 में हुई थी और इस वर्ष पृथ्वी दिवस का…

आदर्श कार्यकर्ता अप्पा जी जोशी

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एक बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार ने कार्यकर्ता  बैठक में कहा कि क्या केवल संघकार्य किसी के जीवन का ध्येय नहीं बन सकता ? यह सुनकर हरिकृष्ण जोशी ने उन 56 संस्थाओं से त्यागपत्र दे दिया, जिनसे वे सम्बद्ध थे। यही बाद में ‘अप्पा जी’ के नाम…

सूखती नदियां, मिटते पहाड़ हमें कहां ले जाएंगे?

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प्रदूषित होती नदियां जितनी चिन्ता का विषय हैं उससे बड़ी चिन्ता वो मानव निर्मित कारण हैं जो इनका मूल हैं। निदान ढूंढ़े बिना नदियों के प्रदूषण से शायद ही मुक्ति मिल पाए। भारत में अब इसके लिए समय आ गया है जब इसके लिए जागरूक हुआ जाए। लोग स्वस्फूर्त इस…

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