समृद्ध सांस्कृतिक विरासत

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इंदौर की सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध है। यहां की आबोहवा में आपको सामाजिक समरसता और जीवन मूल्यों को बचाए रखने की जिजीविषा दिखाई पड़ेगी। इस शहर ने देश को कई सारी विभूतियां और खानपान के व्यवहार दिए हैं। भारत की सांस्कृतिक धारणाएं ही उसके सनातन काल से वर्तमान तक के…

सिद्धार्थ शुक्ला की मौत को सुशांत सिंह के क्यों जोड़ा जा रहा है ?

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टेलीविजन जगत के जाने माने एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया हालांकि उनकी यह उम्र अभी लोगों से विदा लेने की नहीं थी लेकिन भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती है। सिद्धार्थ शुक्ला के निधन से पूरा बॉलीवुड उदास है क्योंकि सिद्धार्थ शुक्ला…

आत्मनिर्भरता में मनोरंजन क्षेत्र की भूमिका

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आज भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात हो रही है। उसी स्वर्णिम गौरव शाली वैभव को वापस पाने की बात की जा रही है जब हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। इस स्वप्न को साकार करने में मनोरंजन जगत की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।

पति बेचारा….. कोरोना और बारिश का मारा

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“पत्नी ने भी झूठा गुस्सा दिखाते हुए एक गैस पर चाय का बर्तन और दूसरे पर कढ़ाई चढ़ा दी। साथ ही अपने भी वॉट्सएप्प ज्ञान का परिचय देते हुए पति को नसीहत भी दे डाली कि कल से रोटियां बनाना सीख लो क्योंकि मोदी जी ने कहा है कि जब तक देश के सारे मर्द गोल रोटियां बनाना नहीं सीख लेते तब तक लॉकडाउन नहीं खुलेगा।”

चटपटा नाश्ता

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गर्मियों के दिन हैं। बच्चों की छुट्टियां चल रही हैं। उन्हें शाम को भूख लग जाती है। कई बार शाम को मेहमान भी आ जाते हैं। हमेशा वही पोहा, उपमा, इडली, समोसा, वडा किसी को नहीं सुहाता। क्यों ना ऐसा चटपटा नाश्ता बनाया जाए जो नया हो बच्चों के साथ-साथ बड़ों को पसंद आए।

दाखिला अंग्रेजी स्कूल में

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“एक स्कूल में हम लोग गए तो शांत, सौम्य टीचर ने हमें ऐसे देखा जैसे अभी कह देगी कि जाओ जाकर कान पकड़ के बेंच पर खड़े हो जाओ। वैसे अगर वह ऐसा कह के भी एडमिशन दे देती तो हम पूरे दिन कान पकड़ कर बेंच पर खड़े होने को तैयार थे। बल्कि मुर्गा भी बन सकते थे।”

पी ले रे तू ओ मतवाला…

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१९३२ में 'मोहब्बत के आंसू' से अपना फ़िल्मी कैरियर शुरू करने वाले सहगल साहब को बड़ी पहचान मिली १९३५ में देवदास से. शरत बाबू के उपन्यास पर बनी यह फिल्म कुंदनजी की पहली बड़ी सुपरहिट फिल्म थी. फिर तो अगले ग्यारह साल के सुपरस्टार थे, सहगल बाबू. वैसे १९३४ में ही 'पूरन भगत' और चंडीदास' से ही लोगों को लग गया था कि बन्दे में पोटेंशियल है

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