किसानों के लिए वरदान है मोटा अनाज – पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री  मोदी ने ‘वैश्विक श्री अन्न सम्मेलन’ के उद्घाटन के बाद कहा कि देश के लिए यह बड़े सम्मान की बात है कि भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत मोटे अनाज या…

अब पूरी दुनिया में बजेगा मोटे अनाज का डंका

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एक जनवरी 2023 से अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष आरम्भ हो गया है इसके फलस्वरूप सभी घरों की थालियों से गायब हो चुके मोटे अनाज के दिन फिर से बहुरने वाले हैं। मोटा अनाज और उनकी कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने…

सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि

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Indian farmer plowing rice fields with a pair of oxen using traditional plough at sunrise.
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23 दिसंबर: राष्ट्रीय किसान दिवस पर विशेष सुपर कृषक बनने का मार्ग: सुपर फ़ूड मोटे अनाज की प्राकृतिक कृषि देश में मोटे अनाजों की कृषि, उत्पादन व उपभोग को पर केंद्रित इस लेख के पूर्व यह कविता पढ़िए - यह रागी हुई अभागी क्यों? चावल की किस्मत जागी क्यों? जो…

वो अनाज उगाता और सिस्टम उसे सड़ाता..!

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देश में भरपूर अनाज उग रहा है। सुनने में अच्छा लगता है। विडंबना देखिए इसे सुरक्षित रखा जाना क्या कभी किसी की प्राथमिकता में रहा? ऐसा दिखा नहीं! माना कि ये मानसूनी   महीना है लेकिन अप्रेल और मई माह में ही जहाँ-तहाँ खुले आसमान तले रखा लाखों टन गेहूँ बेमौसम…

भारत के अनाज पर दुनिया की निगाहें

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एक समय वह था, जब यूरोप को ‘रोटी की टोकरी‘ की संज्ञा प्राप्त थी। स्वयं भारत ने आजादी के बाद लंबे समय तक आस्ट्रेलिया से गेहूं आयात करते हुए अपनी बड़ी आबादी का पेट भरा है। लेकिन आज भारत गेहूं ही नहीं अनेक आवष्यक खाद्य पदार्थों के उत्पादन में अग्रणी…

किसान बिल विरोध के बीच सरकार ने जारी की नई MSP

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सरकार ने जारी की नई MSP किसान बिल को लेकर सरकार और विपक्ष आमने सामने आ चुका है। सरकार ने बहुमत से बिल को दोनों सदनों में पास कर दिया है लेकिन विपक्ष  लगातार इसका विरोध कर रहा है। वहीं पूरे देश में भी इस बिल का विरोध बढ़ता जा…

आखिर क्यों हो रहा है कृषि बिल का विरोध ? NDA की एक मंत्री ने दिया पद से इस्तीफा

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कृषि बिल से एनडीए में फूट किसानों से से जुड़े दो बिल अब केंद्र सरकार के लिए मुसीबत बनने नजर आ रहे है क्योंकि इस बिल के लोक सभा में पारित होने के बाद एनडीए गठबंधन में ही फूट नजर आ रही है। एनडीए गठबंधन की कई पार्टियों ने इस…

सिक्किम में जैविक खेती एक भुलावा

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जैविक खेती के प्रति अति मोह और राजनीतिक स्टंटबाजी के कारण सिक्किम में अनाज उत्पादन बहुत तेजी से घटता चला गया। राज्य को दूसरे राज्यों से बड़े पैमाने पर अनाज लाना पड़ता है। बढ़ती आबादी के संदर्भ में इस स्थिति पर गौर और पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

खेती का सच

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वर्तमान समय में भारतीय कृषि हरित क्रांति के समय की अपेक्षा ढांचागत स्तर पर अलग तथा मजबूत है। यहां कुछ ऐसा है जो हमें भारतीय कृषि के प्रति आशान्वित करता है। जर्मनी की राजनीतिक विज्ञानी एलिजाबेथ नेवेल नुमानन ने ‘चुप्पी का वर्तुल‘ नामक सिद्धांत पेश किया है, जिसका माने है…

प्रकृति के अनुपम सौंदर्य से लदा असम

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पूर्वोत्तर भारत प्रकृति के सौंदर्य से इतना लदाबदा है कि मन के कैनवास से वह चित्र कभी नहीं मिटेगा। पूर्वोत्तर के ये आठ राज्य हैं- असम, मेघालय, अरुणाचल, मणिपुर, नगालैण्ड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम। हर राज्य की अपनी संस्कृति, अपना पेहराव और अपनी बोली-भाषाएं और खानपान है। इतनी विविधता तो अन्य किसी भी देश में नहीं मिलेगी। भीड़-भाड़ से दूर और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पूर्वोत्तर पर्यटकों को खूब पसंद आ रहा है तो इसकी ठोस वजह भी है। पूर्वोत्तर राज्यों का परिवेश, मौसम और आत्मीयता पर्यटकों को आकर्षित कर लेती ह

आजादी के ७० साल और खेती

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  देश इस समय अधिक कृषि उत्पादन और किसानों की बदतर होती जा रही माली हालत से जूझ रहा है। उत्तर प्रदेश में भी इससे जुदा हालत नहीं है। जाहिर है कि निर्धारित मूल्यों पर निजी या सरकारी किसी भी क्षेत्र में किसानों की जिंसों के विक्रय के लिए ईमानदार ढांचे

किसान अपनी जमीन फिर से तलाशें

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जोत घटती जा रही है। जो है, उसमें रासायनिक खाद, कीटनाशकों की मात्रा लगातार बढ़ानी पड़ रही है। इससे खेत ऊसर हो रहे हैं। खेत की मिट्टी, उसके नीचे का पानी और उसमें से पैदा होनेवाली फसल में जहरीलापन आ गया है

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