हिमाचल में बेअसर होता कोरोना
कोरोना संकट के दौरान हिमाचल में हजारो संघ स्वयंसेवक अलग अलग संस्थाओं के माध्यम से लोगों की मदद कर रहे है। स्वयंसेवको ने सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए भोजन, माक्स और सेनिटाइजर उपलब्ध करवाएं है
कोरोना संकट के दौरान हिमाचल में हजारो संघ स्वयंसेवक अलग अलग संस्थाओं के माध्यम से लोगों की मदद कर रहे है। स्वयंसेवको ने सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए भोजन, माक्स और सेनिटाइजर उपलब्ध करवाएं है
संघ के लिए यह समय शिक्षा वर्ग का समय होता है. अप्रैल के मध्य से जून अंत तक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देने के लिए गर्मियों की छुट्टियों का लाभ लेकर 90 से अधिक संघ शिक्षा वर्गों का आयोजन होता है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए संघ के नेतृत्व ने निर्णय किया है कि जून अंत तक होने वाले सभी वर्गों, एकत्रीकरण के कार्यक्रमों को निरस्त कर दिया है. संघ पर जब प्रतिबंध लगा था, तभी केवल शिक्षा वर्ग नहीं हुए थे. संघ के इतिहास में 1929 से लेकर अभी तक ऐसा पहली बार हुआ है कि पूर्ण योजना बनने के पश्चात भी देश में सभी वर्गों को निरस्त कर दिया गया है.
रा. स्व. संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी को उनके जन्मदिन पर भावपूर्ण नमन।
गांधी जी की हत्या के पश्चात के प्रत्येक दशक में दस पांच बार गोएबल्स थियरी के ठेकेदारों ने ये प्रयास सतत किये हैं कि गांधीजी की हत्या को संघ के मत्थे मढ़ दिया जाए जिसमें वे हर बार असफल रहें हैं। अब देश भर में गांधी व गोड़से को लेकर नया विमर्श प्रारम्भ है, इस क्रम में ऐतिहासिक साक्ष्यों को पढ़ना आवश्यक हो जाता है।
“समता के मूल में ही समरसता है। हमें समरस हिंदू समाज खड़ा करना है अर्थात शोषणमुक्त समाज, आत्मविस्मृति-भेद-स्वार्थ-विषमता इन बातों से समाज को मुक्त करना है। किसी भी प्रकार की विषमता को हिन्दू समाज में स्थान नहीं है। “समरस समाज, समर्थ भारत” ही हमारा लक्ष्य है।” एक तथा दो दिसंबर…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनजी भागवत ने 17 से 19 सितम्बर तक दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘भारत का भविष्यः संघ का दृष्टिकोण’ विषय पर तीन दिन व्याख्यान दिए। अंतिम सत्र में उन्होंने हिंदुत्व, संघ व जाति व्यवस्था, शिक्षा, भाषा, आरक्षण, अल्पसंख्यकों, समान नागरिक संहिता, आंतरिक सुरक्षा, संघ-भाजपा…
“अटल जी ने रा.स्व.संघ के एक स्वयंसेवक के रूप में इस देश की सांस्कृतिक विरासत को आत्मसात किया था। वैश्विक स्तर पर नेताओं में अटल जी के प्रति आत्मीयता की भावना थी। इस प्रकार का व्यक्तित्व विकसित करने में उन्हें उनके “स्वंयसेवकत्व” की भावना के कारण लाभ मिला।” भारत के…
भारत ने अटल जी के नेतृत्व में 21वीं सदी में कदम रखा। अटल जी की सरकार ने प्रगति को नया आयाम दिया। अटल जी सच कहें तो ‘विश्वनायक’ बने। श्री अटल बिहारी वाजपेयी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी ऐसे महामानव थे, जिनके विचारों से विरोधी भी उनकी वाकपटुता और तर्कों…
अटल जी एक संवेदनशील व्यक्ति के रूप में सदैव हमारे स्मरण में रहेंगे। ऐसे व्यक्ति सैकड़ों वर्षों के बाद जन्म लेते हैं। इस शतक में उनके समान और कोई नहीं है। अटल जी अटल जी थे। संघ को वाकई जीने वाले स्वयंसेवक थे। अटल जी संघ के स्वयंसेवक थे। हम…
देश के सबसे बड़े और प्रभावशाली सांस्कृतिक संघटन ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ‘ ने ‘भविष्य का भारत-संघ का द़ृष्टिकोण‘ विषय के तारतम्य में अपना द़ृष्टिकोण स्पष्ट पारदार्शिता के साथ प्रस्तुत किया है। किसी देशव्यापी संगठन द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों और अनुत्तरित प्रश्नों पर अपना नजरिया जनता के सामने उजागर करना एक…
“संघ कार्य और विचार सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी बन रहा है, बढ़ रहा है। इसके पीछे मूल हिंदू चिंतन से प्रेरित युगानुकूल परिवर्तनशीलता और ‘लचीली कर्मठता’ ही शायद कारण है। हर चुनौती को अवसर समझ कर उसके अनुरूप प्रशिक्षण तथा संगठनात्मक रचना खड़ी करने की संघ की परम्परा भारत की उसी परम्परा का परिचायक है जो अपने मूल शाश्वत तत्व को बिना छोड़े बाह्य रचना एवं ढांचे में युगानुकूल परिवर्तन करता रहा है।
संघ के तृतीय वर्ष समापन समारोह को लेकर कांग्रेसी और वामपंथी भले ही हो-हल्ला करते रहे पर उस मंच पर पूर्व राष्ट्रपति ने राष्ट्रवाद और भारत की गौरवशाली परंपरा को याद करते हुए ऐतिहासिक मंतव्य रखा. मोहनजी भगवत के हिंदी में दिए गए और प्रणबदा के अंगरेजी में दिए गए…