कचरे से कंचन बन रहा मछदी गांव।

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प्रधानमंत्री मोदी ने 29 सितंबर को की मन की बात में सुखेत मॉडल की चर्चा - बिहार के मधुबनी जिले की सुखेत पंचायत का मछदी गांव व पंचायत स्थित कृषि विज्ञान केंद्र देश भर में सुर्खियों में आ गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 29 सितंबर को मन की बात…

तालिबान और भारत के तथाकथित सेक्युलर

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कल्पना कीजिए अगर किसी हिन्दू संगठन ने ऐसा किया होता तो देश के सेक्युलर बुद्धिजीवियों ने कैसा रुदन मचा दिया होता? आज इन बुद्धिजीवियों और तुष्टिकरण की राजनीति के झंडावरदारों को अफगानी महिलाओं और बच्चों पर हो रहा बर्बर अत्याचार नजर नहीं आ रहा है क्योंकि वहां उनकी सेलेक्टिव सेक्युलरिज्म की थ्योरी फिट बैठती है।

अफगानिस्तान की हलचल का भारत पर प्रभाव

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अफगानिस्तान में तालिबान का वर्चस्व स्थापित हो चुका है। राष्ट्रपति अशरफ गनी, उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और उनके सहयोगी देश छोड़कर चले गए हैं।

भारत को बचना होगा तालिबानी सोच से

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अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ अफगानिस्तान के लोग शरणार्थी बनकर जा सकते हैं। क्योंकि पाकिस्तान की हालत किसी से छुपी नही है और चीन सांस्कृतिक दृष्टि से और सीमाओं की दूरी की दृष्टि से अफगानिस्तान से इतना दूर है कि वहां जाना अफगानिस्तान के लोगों को नहीं सुहाएगा। ऐसे में उन्हें भारत आना ही सबसे आसान लगेगा।

सिकुड़ती जा रही संसद में रचनात्मक बहस

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सत्रहवीं लोकसभा का 80% और राज्सभा का 74% स’ सदन के विभिन्न हिस्सों के प्रावधानों और हंगामें के कारण बर्बाद हो गा है। संसद की 1 दिन की कार्रवाई पर लगभग 2 करोड के आसपास रुपए खर्च होते हैं। जनता के टैक्स से जनता के लिए चलने वाली संसद को बाधित करना राष्ट्री अपराध जैसा है।

बिहार में सांप्रदायिक मामलों में कार्रवाई की रफ्तार धीमी 

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Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar speaks during the International Conference on Crop Residue Management in Patna, Monday, Oct. 14, 2019. (PTI Photo)(PTI10_14_2019_000064B) *** Local Caption ***
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- थाना स्तर पर सांप्रदायिक घटनाओं या मामलों में धारा 153-ए और 295-ए लगाने के बाद इसमें आगे की कार्रवाई करने के लिए लेनी पड़ती है सरकार से अनुमति - थाना स्तर पर बिना गहन समीक्षा के इन दोनों धाराओं का कर देते उपयोग, इससे विभागीय जांच में 25-30 फीसदी…

तालिबान का कब्जा, पाक की जीत और भारत की हार कैसे हुई?

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पाकिस्तान के हिस्से में जीत और इज्जत बहुत ही कम नसीब होती है हालांकि समय समय पर पाकिस्तान खुद से इसका अनुभव करता रहता है। अफगानिस्तान में मचे बवाल के बाद अब पाकिस्तान भी उसमें अपनी हिस्सेदारी आतंकियों के साथ बता रहा है और यह होगा भी क्यों नहीं पाकिस्तान…

वैश्विक महाशक्ति बनने की चीन की चालाकी

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 वैश्विक महाशक्ति बनने की चीन की चालाकी को पूरी दुनिया विशेषकर विकासशील देशों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।  चीन अपने क्षेत्र का विस्तार करने, ऋण जाल नीति के साथ वैश्विक बाजार पर कब्जा करने, नक्सलवाद और आतंकवाद का उपयोग उन देशों में अशांति पैदा करने के लिए कर रहा…

14 अगस्त विशेष : भारत विभाजन की त्रासदी

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कहते हैं आगे बढ़ने के प्रयासों के दौरान पड़ने वाले आराम दायक पड़ावों को मंजिल मान लिया जाए, तो फिर प्रगति के रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं। यही बात भारत की खंड-खंड आजादी को संपूर्ण आजादी मान लिए जाने पर लागू होती है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि…

दिल्ली पुलिस की संदिग्ध भूमिका से उठते सवाल

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राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर इससे पहले धरना में भाषण देने वाले कब गिरफ्तार हुए इसके लिए पूरा इतिहास खंगालना होगा। इस तरह यह एक विरल मामला हो गया है। आरोप है कि समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण कानून, देश में एक कानून आदि की मांग के लिए आयोजित…

विपक्ष देख रहा मुंगेरीलाल के सपने

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कॉमरेड एक क्षण के लिए आंखें खोलें, और फिर वापस 1940 के हसीन सपनों में लौट जाएं। दो बार ऐसा हो चुका है। यह बुजुर्ग कॉमरेड कांग्रेस है। संसद तो निमित्त मात्र है, कांग्रेस तो सत्र के पहले भी और सत्र के बाद भी इसी नशे में आगे से आगे झुकने और गिरने में आनंदित होती रही है कि सरकार तो उसी की है, बस जनता ने उसे वोट नहीं दिया है, बस चुनाव आयोग ने उसके पक्ष में परिणाम नहीं दिए हैं, बस राष्ट्रपति ने उसे शपथ नहीं दिलाई है, बस प्रशासन उसके अनुरूप नहीं चल रहा है, बस वह अपनी मर्जी से सरकारी सौदे नहीं कर पा रही है, बस उसकी पार्टी में दम नहीं बचा है, बस उसके पास राज्यसभा की एक सीट के लिए गुंजाइश नहीं बची है...। बाकी तो वही है, उसे तो बस चाचा, बाबाजी, खलीफा, चेयरमैन, जहांपनाह, कॉमरेड, दत्तात्रेय वगैरह, जो मिल जाए, वही बने रहना है। अगर सत्र चल रहा है, तो हंगामा करो, और नहीं चल रहा है, तो सत्र बुलाने की मांग करो।

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