राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख

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सम्पूर्ण जीवन में अपनी देह को कष्ट दे देकर समाजजागरण करने वाले राष्ट्रऋषि नानाजी ने मृत्युपूर्व इच्छापत्र लिखकर अपनी मृत देह चिकित्सकीय अनुसंधान हेतु दधिची संस्थान हेतु दान कर दी थी। नानजी को पद्म विभूषण व भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। ये सभी सम्मान निश्चित ही हमारे राष्ट्र का उनके कृतित्व व व्यक्तित्व को कृतज्ञता ज्ञापन ही है, तथापि यह भी सत्य ही है कि उनके व्यक्तित्व को इन सम्मानों से नहीं मापा जा सकता है।

स्वामी विवेकानंद-एक अथक राष्ट्र पथिक

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जिस भारत को विश्व सोने की चिड़िया के रूप में पहचानता है, उसकी समृद्धि और ऐश्वर्य का आधार हिन्दू आध्यामिकता में निहित है।

जी हां, गांधी को समझना हो तो संघ की शाखा में आइए

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गांधी को आज के समय में समझना हो तो संघ के स्वयंसेवक के साथ सेवा बस्तियों में जाइए, शाखा में देशभक्ति के गीत गाइए, संघ प्रेरित गौशालाओं में गौ सेवा करिए, विद्या भारती के विद्यालयों में राष्ट्रभक्ति के उपक्रम देखिए, वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं के साथ रहिए, तब गांधी समझ में आ जाएंगे।

मन में बिराजे अयोध्या

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5 अगस्त को अयोध्या में हुए भव्य श्रीराम मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर पू.सरसंघचालक श्री मोहनजी भागवत का भाषण यहां प्रस्तुत है, जो इस कार्य से भारतवर्ष में चहुओर फैले उल्हास को व्यक्त करते हुए आगे की दिशा का मार्गदर्शन करता है।

संन्यासी राजनीतिज्ञ- हशु आडवाणी

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आज देश में भारतीय जनता पार्टी प्रथम क्रमांक की राजनीतिक पार्टी है। मुंबई में दल के तीन सांसद, बीस विधायक और 85 पार्षद हैं। परंतु 50 वर्ष पूर्व यह चित्र बिल्कुल अलग था। 1967 में पहला विधायक चुना गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिंध प्रांत के पहले प्रचारक से लेकर महाराष्ट्र के मंत्री तक का राजनीतिक सफर करने वाले पूर्ववर्ती जनसंघ के मुंबई के पहले विधायक श्री हशु आडवाणी की 25वीं पुण्यतिथि के निमित्त-

IPL रोमांचक क्रिकेट

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आईपीएल 2020 के सेशन में कई नए बल्लेबाज और गेंदबाज देश को मिलने की उम्मीद है; हालांकि कोरोना वायरस के चलते मैच अब 15 अप्रैल से प्रस्तावित हैं।

महात्मा बसवेश्वर के क्रांतिकारी सुधार

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12हवीं शताब्दी में कर्नाटक में महात्मा बसवेश्वर हुए, जो एक क्रांतिकारी विचारों वाले संत, कवि एवं समाज सुधारक के रूप में विख्यात हुए। अक्षय तृतीया का दिवस, उनका जयंती दिवस है। इस अवसर पर प्रस्तुत है संत बसवेश्वर द्वारा किए गए सुधार कार्यों का पुण्यस्मरण...

युगांतरकारी केंद्रबिंदु बाबासाहेब – जोगेंद्रनाथ मंडल

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जोगेंद्रनाथ मंडल की दलित-मुस्लिम राजनीतिक एकता के असफल प्रयोग व उनके द्वारा खुद को कसूरवार समझे जाने और स्वयं को गहरे संताप व गुमनामी के आलम में झोंक देने के परिदृश्य को बाबासाहेब ने संपूर्णतः जान लिया था और यही अध्याय उनके जीवन भर की राजनैतिक यात्रा में झलकता रहा।

…और मौत का भी गला भर आया

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मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ‘ड्रेस एवं एड्रेस’ न बदलने वाले मनोहर जी ने ‘मानवता’ नहीं छोड़ी। यह लिखने में जितना सरल लगता है, जीवन में उतारने में उतना ही कठिन है। परंतु मा. पर्रिकर जी ने ऐसा कर दिखाया।

वनवासी बहनों की २०,००० राखियाँ

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रक्षाबंधन के त्यौहार के पूर्व इस बार स्वदेशी राखियों की बहार मार्केट में देखीं जा रही है जबकि चीन की राखियाँ नदारद है. स्वदेशीकरण और खुद को स्वावलंबी बनाने के लिए वनवासी क्षेत्रों की बहनों ने २०,००० राखियाँ इस वर्ष तैयार की है. ‘विवेक रूरल डेवलेपमेंट’ की ओर से जरुरतमंद वनवासी महिलाओं को राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया गया था

युवाओ उठो, अपनी असीम शक्ति को जगाओ

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“युवाओ, तुम्हारे अंदर असीम शक्ति है। तुम्हें शक्तिशाली बनना है। अन्यथा तुम किसी भी वस्तु पर विजय कैसे प्राप्त करोगे? अपने अंदर झांको और उन गुणों को देखो, जो समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी हो सकते हैं, उन्हें और विकसित करना चाहिए। कोई दूसरा हमें नहीं सुधार सकता, हमें…

संगीत के लिए नज़र नहीं, नज़रिये की आवश्यकता है

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“मैं वाद्ययंत्र बजाती नहीं हूं; बल्कि उनसे बातें करती हूं, उनके साथ गप्पें लड़ाती हूं, खूब मस्ती करती हूं। मैंने वाद्ययंत्रों के साथ ही जीवन भर का नाता मैंने जोड़ लिया है।”, कहती हैं 65 वाद्ययंत्रों को बजाने में महारत हासिल कर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करने वाली नेत्रहीन सुश्री योगिता तांबे। प्रस्तुत है उनसे अंतरंग बातचीत के कुछ प्रेरक अंशः-

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