कर्मवीर सांसद गोपाल शेट्टी
कर्मवीर सांसद गोपाल शेट्टी दहिसर से लेकर मालाड़-मालवणी तक के मतदाताओं के गले का ताबीज हैं। अपने कार्यों से सभी का अपार प्रेम उन्होंने प्राप्त किया है। इसके कारण उनका राजनीतिक भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है।
कर्मवीर सांसद गोपाल शेट्टी दहिसर से लेकर मालाड़-मालवणी तक के मतदाताओं के गले का ताबीज हैं। अपने कार्यों से सभी का अपार प्रेम उन्होंने प्राप्त किया है। इसके कारण उनका राजनीतिक भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है।
सांसद गोपाल शेट्टी मात्र ‘उद्यान सम्राट’ ही नहीं, वास्तव में ‘कार्य सम्राट’ भी हैं। कोई जनहितकारी कार्य आरंभ करना और उसे पूरा करने तक परिश्रमपूर्वक पीछा करना उनकी विशेषता है। समाज के हर तबके और युवकों के लिए भी उनके कार्य मिसाल बन गए हैं।
लोग महामानव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन को समग्रता से नहीं पढ़ते। किसी एक कोण से उन्हें देखकर अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर उसकी व्याख्या करने लगते हैं। अपने-अपने स्वार्थ के लिए जब हम उनका उपयोग करने लगते हैं तो समाज में विभाजन उत्पन्न होता है। प्रस्तुत है ‘हिंदी विवेक’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी के भाषण के कुछ महत्वपूर्ण सम्पादित अंशः-
अटल जी चाहे बाल स्वयंसेवक हों, प्रांत प्रचारक हों, जनसंघ या भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हो या प्रधानमंत्री हों- हर रूप में उनका संघ स्वयंसेवक रूप सदा बरकरार रहा। बड़े से बड़ा पद भी उनके बीच के स्वयंसेवक को मोहित नहीं कर पाया।
“मैंने बड़े समीप से उन्हें देखा है। कब किस बात पर उनकी त्यौरियां चढ़ती-उतरती और कब उनकी आंखें अलग-अलग विषयों पर अलग अलग प्रकार से फैलतीं, सिकुड़ती व अलग-अलग आकार लेती हैं। उनकी आंखें ही सबकुछ मानो बोल देती थीं।”
ओडिशा के निवासी डॉ. अच्युत सामंता खुद एक ऐसे विश्वविद्यालय हैं जहां से ज्ञान, संकल्प, साहस, समर्पण, धर्म, अध्यात्म, संघर्ष और सफलता की कई धाराएं एकसाथ निकल रही हैं। उनके संघर्ष की दास्तान सुनें तो ऐसा लगता है मानो ये हजार हाथ वाले किसी देवता की कहानी है।
द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी और स्वामी विवेकानंद पर नाटकों को पूरे देश में विभिन्न स्थानों पर प्रस्तुत किया गया। मात्र मनोरंजन की अपेक्षा सामाजिक प्रेरणा के उद्देश्य से लिखे गए इन नाटकों को काफी सराहना मिली। सारिका और संजय पेंडसे ने ये नाटक प्रस्तु किए हैं।
त्रिपुरा विजय के शिल्पकार सुनील देवधर की खासियत यह है कि जब किसी काम में जुट जाते हैं तो उसमें अपने को पूरी तरह झोंक देते हैं। रात्रि में देर तक बातचीत-वार्ताएं, महज चार घंटों की नींद, सतत प्रवास, जनसंपर्क, प्रवास में नींद पूरी करने की आदत, आसपास अपने कार्य हेतु आए लोगों का जमावड़ा, घर में हमेशा कार्यकर्ताओं एवं अभ्यागतों का आनाजाना श्री देवधर जी की विशेषता है। उन्हें ये बातें ऊर्जा देने का काम करती हैं।
भारत के युवाओं को स्वामी विवेकानंद ने उस गुलामी के कालखंड में जो संदेश दिया था, वह आज भी समीचीन है| स्वामीजी युवाओं से कहते थे, ‘‘उठो, जागो, रुको मत, जब तक मंजिल पर ना पहुंचो तब तक चलते जाओ|’’ वे ऐसे युवाओं की कल्पना करते थे जो धर्माचरण करनेवाला हो, परिश्रमी हो, बलवान हो, ज्ञानवान हो और देशभक्त हो|
गिरिजा देवी को भले ही ठुमरी साम्राज्ञी और ठुमरी की रानी मात्र कहा गया, लेकिन वे छंद-प्रबंध, ध्रुवपद धमार, ख्याल, तराना, ठुमरी, दादरा टप्पा, कजरी, चैती, होली, झूला और भजन आदि जैसी दर्जनों गान विधाओं की कंठसिद्ध गायिका थीं| डॉक्टरों के मना करने पर भी वे गाती रहीं... लोगों को हंसाती रहीं... रूलाती लुभाती और मनाती रहीं... और फिर गहरी नींद में सो गईं...फिर कभी न खुलने वाली नींद में...
भारत छोड़ो’ दिवस की ७५वीं वर्षगांठ पर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के ही मंत्र ‘संकल्प से सिद्धि’ को अब पूर्ण योजना के रूप में अंगीकार कर, २०२२ तक मजबूत, समृृद्ध एवं समावेशी-अर्थात ‘सबका साथ, सबका विकास’- भारत के निर्माण का संकल्प ले लिया है। पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का ‘एकात्म मानव दर्शन’, सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दोनों ही दृष्टि से, एक सर्वकालिक एवं सार्वभौमिक जीवन दर्शन है। इस दर्शन के अनुसार, ‘मानव’ सम्पूर्ण ब्रह्माण