पंजाब में जो हुआ तय था, आगे क्या होगा अनिश्चित है?

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पंजाब में लंबे समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। सच तो यह है कि काँग्रेस में ही कुछ भी ठीक दिख नहीं रहा है। कभी राजस्थान तो कभी छत्तीसगढ़ में दिखने वाले विरोध के स्वर धीमें भी नहीं पड़ते हैं कि पंजाब का उफान जब-तब सामने आ…

बाबुल सुप्रियो ने TMC के साथ शुरु की नई पारी, लेकिन क्यों छोड़ी BJP?

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राजनीति में एक कहावत है कि यहां कोई ना दोस्त होता है और ना ही कोई दुश्मन, समय सभी को दोस्त और दुश्मन बदलने का मौका देता रहता है। वह एक अलग दौर था जब लोग देश या पार्टी के लिए काम करते थे लेकिन वह उन लोगों के साथ…

पीएम मोदी के जन्मदिन पर ऐसा उपहार !

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देश के प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर को अपना 71वां जन्मदिन मनाया लेकिन यह बाकी जन्मदिन से बिल्कुल अलग था। हम अपने जन्मदिन पर केक काटते हैं और दोस्तों व परिवार के साथ पार्टी करते है जबकि पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन पर ऐसा कुछ भी नहीं किया। उन्होंने अपना जन्मदिन…

किस राजनीतिक दल से किसान आंदोलन को मिल रहा फंड?

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केंद्र सरकार के कृषि बिल के बाद से किसानों को आंदोलन शुरू हुआ और इसे करीब 9 महीने हो चुके हैं लेकिन अभी तक आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है जबकि सरकार और किसानों के बीच में 2 दर्जन से अधिक बार बैठक हो चुकी है फिर…

हिंदुत्व के खिलाफ बैठक करने वाले हिंदुत्व से अज्ञान, यह कोई सामान नहीं जिसे खत्म किया जा सके

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डिस्मेंटल (Dismantle) का अर्थ होता है किसी भी चीज को तोड़ना या ध्वस्त करना लेकिन किसी धर्म के लिए आप का डिस्मेंटल से अर्थ क्या हो सकता है जी हां हम बात कर रहे हैं हाल ही में अमेरिका में हुए डिस्मेंटल ग्लोबल हिन्दुत्व (Dismantle global hindutva) के बारे में जहां…

सिकुड़ती जा रही संसद में रचनात्मक बहस

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सत्रहवीं लोकसभा का 80% और राज्सभा का 74% स’ सदन के विभिन्न हिस्सों के प्रावधानों और हंगामें के कारण बर्बाद हो गा है। संसद की 1 दिन की कार्रवाई पर लगभग 2 करोड के आसपास रुपए खर्च होते हैं। जनता के टैक्स से जनता के लिए चलने वाली संसद को बाधित करना राष्ट्री अपराध जैसा है।

स्वतन्त्रता का मूल्य जानें : अपने दायित्व पहचानें

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नि:संदेह भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है किन्तु तमाम गुलामियों की पीड़ाओं को झेलने के बाद १५ अगस्त १९४७ को भारत एक आजाद राष्ट्र के रूप में विश्व फलक पर उभरा| जिन्होंने गुलामी के दंश को सहा है उनके लिए यह आजादी किसी उत्सव से कम न थी|…

विपक्ष देख रहा मुंगेरीलाल के सपने

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कॉमरेड एक क्षण के लिए आंखें खोलें, और फिर वापस 1940 के हसीन सपनों में लौट जाएं। दो बार ऐसा हो चुका है। यह बुजुर्ग कॉमरेड कांग्रेस है। संसद तो निमित्त मात्र है, कांग्रेस तो सत्र के पहले भी और सत्र के बाद भी इसी नशे में आगे से आगे झुकने और गिरने में आनंदित होती रही है कि सरकार तो उसी की है, बस जनता ने उसे वोट नहीं दिया है, बस चुनाव आयोग ने उसके पक्ष में परिणाम नहीं दिए हैं, बस राष्ट्रपति ने उसे शपथ नहीं दिलाई है, बस प्रशासन उसके अनुरूप नहीं चल रहा है, बस वह अपनी मर्जी से सरकारी सौदे नहीं कर पा रही है, बस उसकी पार्टी में दम नहीं बचा है, बस उसके पास राज्यसभा की एक सीट के लिए गुंजाइश नहीं बची है...। बाकी तो वही है, उसे तो बस चाचा, बाबाजी, खलीफा, चेयरमैन, जहांपनाह, कॉमरेड, दत्तात्रेय वगैरह, जो मिल जाए, वही बने रहना है। अगर सत्र चल रहा है, तो हंगामा करो, और नहीं चल रहा है, तो सत्र बुलाने की मांग करो।

कांग्रेस नेताओं की बैठक, पर गांधी परिवार नदारत

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कांग्रेस की राजनीति तो दशकों पुरानी है लेकिन एक बात समझ नहीं आती कि कांग्रेस को किसी भी गठबंधन वाले राज्य में तवज्जो नहीं मिल रहा है फिर भी कांग्रेस लगातार विपक्ष को एकजुट करने में लगी हुई है। कांग्रेस ने इससे पहले भी यह प्रयास किया था कि देश…

राहुल आखिर क्यों लेते है आरएसएस का नाम?

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शायद ही कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी पदाधिकारी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिया होगा और अगर लिया होगा तो उनको नसीहत ही दी होगी लेकिन राहुल गांधी अक्सर ही RSS नाम लेते फिरते रहते है। अब उनके पास कोई और मुद्दा नहीं है इसलिए,…

कार्यकर्ता निर्माण करने वाला व्यक्तित्व – दत्तोपन्त ठेंगड़ी

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जिस समय स्वर्गीय दंत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की वह साम्यवाद के वैश्विक आकर्षण, वर्चस्व और बोल बाले का समय था। उस परिस्थिति में राष्ट्रीय विचार से प्रेरित शुद्ध भारतीय विचार पर आधारित एक मजदूर आंदोलन की शुरुआत करना तथा अनेक विरोध और अवरोधों के बावजूद उसे लगातार बढ़ाते जाना यह एक पहाड़ सा काम था। श्रद्धा, विश्वास और सतत परिश्रम के बिना यह काम संभव नहीं था।

राजनाथ सिंह: संघ से लेकर बीजेपी के संकट मोचक बनने की कहानी

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राजनाथ सिंह को अगर याद करते है तो मन में धोती और कुर्ते वाला व्यक्तित्व नजर आता है। बहुत ही सहजता से अपनी बात को रखना और जरुरत के अनुसार आवाज़ को ऊंचा करने की कला भी राजनाथ सिंह में बखूबी देखने को मिलती है। राजनाथ सिंह फिलहाल मोदी सरकार…

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