बिंदिया क्या बोले

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बिंदी का मतलब माथे पर सजी बिंदी। वह मात्र सांैंदर्य प्रसाधन नहीं है, बल्कि समाज में सुहाग के चिह्न के रूप में भी मौजूद हैं। बिंदिया ने वर्तमान समय में न केवल नए आयाम गढ़े हैं, अपितु खुद को स्त्री के व्यक्तित्व से भी जोड़ लिया हैं। जो बिंदी आप…

दो सींगो वाला गेंडा

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पाच हजार साल पुरानी मोहन-जोदड़ो की संस्कृति में गेंड़े के अस्तित्व के सबूत मिले हैं। मृगपक्षीशाधर्िं ठांथ में गंड़क व खड्ग नामक दो किस्म के गेंड़ों का जिक्र आया है। पंद्रहवीं सदी तक पेशावर तक गेंड़े मिलते थे। बाबर (1519) द्वारा गेंड़े की शिकार का उसकी आत्मकथा में उल्लेख आया है।

दावा ठुकराना बीमा कंपनी को महंगा पड़ सकता है

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बीमा कंपनियां ठााहकों को लुभाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाती हैं। हम सबको मालूम है कि वे स्वेच्छा से प्रीमियम स्वीकार कर लेती हैं। लेकिन जब बीमा राशि भुगतान करने की बारी आती है तो वे हर संभव बहाना करती हैं। प्राय: बीमा पालिसी में बहिष्करण उपबंध (एक्सक्लूजन क्लाज) का हवाला दिए बिना ही वे दावा ठुकरा देती हैं।

जय गिरिधारी, जय गिरिराज

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गिरिराज गोर्वधन की महिमा अपरंपार है। इसका जयनाद अहर्निश हो रहा है। ऐसी कोई तिथि नहीं, ऐसा कोई वार नहीं, ऐसा कोई दिन नहीं जब गिरिराज महाराज के भक्तगण उनका जयघोष करते हुए उनकी व उनकी परिक्रमा करते हुए अपने जीवन को धन्य न करते हो।

क्या होगा टीम इंडिया का?

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ये मुमकिन नहीं कि टीम हर मैच में जीत हासिल करे। यानी बीसीसीआई को खिलाड़ियों का मानसिक तनाव कम करने के लिए भी कुछ खास फैसले लेने होंगे।

धन का भजन

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 इस रंग बदलती दुनिया में धर्म के बजाय धन का महत्व सभी सीमाएं पार कर रहा है। जैसे बहुत-से गुंडे नेताओं को हटा कर देश सेवा की कुर्सी फर बैठ गये हैं, उसी तरह एक दिऩ धन भी धर्म को हटा कर उसकी गद्दी फर बैठ जाएगा। धन की फूजा तो अब भी होती है, फिर तो बाकायदा फ्रार्थना शुरू हो जाएगी। मैंने भी उसकी एक स्तुति लिखी है। आफको जम जाए तो याद करके रख लीजिए, किसी दिन काम आएगी।

महामारी

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...रात्रि में भी तब, जब रश्मि का एक टी.वी. व आलोक का दूसरे टी.वी. पर कब्जा-सा होता है। यह सब हमारे घर में ही नहीं होता, इस तरह के किस्से तो घर- घर के सुनने को मिलते रहते हैं।

श्री श्वेतांबर जैन तेरापंथी धर्मसंघ का महत्त्वपूर्ण सामाजिक प्रकल्प अहिंसात्मक रोजगार प्रशिक्षण केंद्र

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श्वेतांबर जैन तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें आचार्य गुरूदेव श्री महाप्रज्ञ जी ने अहिंसा के व्यापक प्रतिष्ठापन, व्यावहारिक दैनंदिन जीवन में अहिंसा के सहज अमल और प्रचार-प्रसार के लिए पहले से चले आ रहे तमाम तौर-तरीकों और पारंपारिक सिध्दांतों तथा उपायों के साथ ही कुछ ऐसे बिलकुल नये उपाय भी ढूंढ निकाले, जो अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुए। इनमें प्रमुख एक उपाय है- ‘अहिंसा की स्थापना के लिए, अहिंसा के निवारण के लिए हिंसा के कारणों की खोज।’

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