जनसुविधा के लिए समर्पित पीएमओ

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यालय को जनसरोकार से सीधे जोड़ दिया है और आसानी से जनता की पहुंच में ला दिया है। विगत 9 वर्षों के कार्यकाल के दौरान पीएमओ के उल्लेखनीय कार्यों एवं उपलब्धियों के चलते देश के करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया हैं।

उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में कमाल करेगी भाजपा!

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2024 लोकसभा चुनाव की दृष्टि से भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सभी सीटों पर शत-प्रतिशत जीत सुनिश्चित करने हेतु अपनी ओर से पूर्व तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों सहित स्थानीय प्रभावी नेताओं को दायित्व देकर नियुक्त कर दिया गया है। यदि फीडबैक के आधार पर पार्टी में अपेक्षित सुधार एवं परिवर्तन किया गया तो निश्चित ही भाजपा अपने लक्ष्य तक पहुंच सकती है।

2019 से शुरू हुए नाटक का पटाक्षेप

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जनादेश को अनदेखा कर जनभावनाओं का अनादर करने के कारण उध्दव ठाकरे के बाद अब शरद पवार को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है और महाराष्ट्र में इन दोनों क्षेत्रीय पार्टीयों का पतन यही दर्शाता हैं कि यदि अब भी इससे सीख लेकर परिवारवादी पार्टियों ने लोकतंत्र का सम्मान नहीं किया तो उनका भी पतन होना निश्चित है।

एनडीए को कितनी बड़ी चुनौती देगा इंडिया

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कुल 26 विपक्षी दलों ने एकजुटता का संदेश देते हुए बेंगलुरू बैठक के दौरान अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख दिया तो उनके समानांतर प्रतिउत्तर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए में 38 राजनीतिक दलों को साथ लाकर एक बड़ी लकीर खींच दी है और एनडीए का मतलब भी समझा दिया है। वैसे इंडिया नाम विदेशियों द्वारा दिया हुआ है और हमारे देश का असली नाम तो भारत ही है।

वैगनर ग्रुप विद्रोह,चेतावनी व चुनौती

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हाल ही में रूस में वैगनर ग्रुप के विद्रोह उपरांत दुनिया भर में प्राइवेट आर्मी के खतरों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्राइवेट आर्मी के चलन को नियंत्रित नहीं किया गया तो किसी भी देश के विरूध्द इसका दुरूपयोग किया जा सकता है जिससे आगे जाकर देश-दुनिया में अराजकता एवं गृहयुध्द जैसी स्थिति उत्त्पन्न होगी।

फ्रांस के दंगों का यथार्थ

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फ्रांस की सेक्युलर एवं उदार नीति ने देश का बेड़ा गर्क करवा दिया। फ्रांस में गैर कानूनी रूप से आव्रजकों की आज भी घुसपैठ हो रही है जो मुख्यतः पश्चिमी अफ्रीकी देशों से स्पेन और इटली के रास्ते फ्रांस पहुंचते हैं। घुसपैठिए और शरणार्थी, फ्रांसीसी समाज-राष्ट्र के लिए एक बड़ा संकट व चुनौती बन चुके हैं। जिसका दुष्परिणाम हम आए दिन फ्रांस में भीषण दंगों के रूप में देख रहे हैं।

विश्व में भारतीय विदेश-नीति की धमक

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मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय विदेश नीति में आमूलचूल परिवर्तन आया है, उसी का सुखद परिणाम है कि आज पूरा विश्व भारत की विदेश नीति और उसकी प्रभावी कार्यप्रणाली का लोहा मान रहा हैं। विदेश मंत्रालय पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ राष्ट्रीय हितों को संरक्षित करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा हैं।

भारत-अमेरिका सम्बंध और साझी चुनौतियां

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा उपलब्धियों से भरी रही है। भारत-अमेरिका के बीच हुए समझौते देश को तकनीक, उद्योग, आर्थिक, सामरिक, रक्षा, आदि क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिध्द होंगे। भारत-अमेरिका सम्बंध, चीन की विस्तारवादी नीति को नियंत्रित करने के साथ ही विश्व के शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाएगा।

यूसीसी और दशानन विपक्ष

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भारत में हर आदमी कानून का जानकार नहीं है इसलिए ऐसी बातों में फंसना आसान है परंतु यदि सुनी सुनाई बातों को अलग रखकर अपनी बुद्धि पर थोड़ा जोर दें तो इसके कुछ पक्ष सामने आएंगे। सबसे पहला तो यह कि यूसीसी का किसी धर्म मत सम्प्रदाय से सम्बंध नहीं है। कोई व्यक्ति किस शैली में अपने इष्ट को पूजता है यह उसका व्यक्तिगत मुद्दा है, यूसीसी का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है।

‘इंडिया’ नाम देकर फंसा विपक्ष 

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2019 में बीजेपी की सीटें 282 से बढ़कर 303 हो जाने के बाद विपक्षी दलों को भविष्य नहीं, अस्तित्व का ही संकट महसूस होने लगा है। इसलिए तमाम दल आपसी एकता बनाने की ओर बढ़े। लेकिन परस्पर विश्वास और सम्मान के बिना राजनीतिक गठबंधन कैसे बने? अपने विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखकर इंडिया बनाम मोदी संघर्ष निर्माण करना चाहते हैं। ‌जो विरोधी दल अपनी दोनों बैठकों को 'ऐतिहासिक' बता रहे है, वह डरे सहमें  विरोधियों का जमावड़ा है।‌ अपने गठबंधन का नाम रखते हुए भी बहुत बड़ी चूक उन्होंने की है। अपने भ्रमित संगठन को इंडिया नाम देकर विपक्षियों ने बहुत बड़ी गलती की है। ‘इंडिया’ यानी भारत के साथ विपक्षी संगठन के प्रत्येक नेता और पक्ष ने कितना  छल किया है, यह देश की जनता भलीभांति जानती है इसलिए  इसका उत्तर देश की जनता जरूर देगी।

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