धारा 370 और विशेष दर्जे का प्रश्न
जम्मूकश्मीर की जब भी चर्चा होती है तो उसके साथ ही संघीय संविधान की एक अस्थाई धारा370 की चर्चा अनिवार्य रूप से होती है। धारा370 पर दो गुट बन गये हैं।
जम्मूकश्मीर की जब भी चर्चा होती है तो उसके साथ ही संघीय संविधान की एक अस्थाई धारा370 की चर्चा अनिवार्य रूप से होती है। धारा370 पर दो गुट बन गये हैं।
आकाश में छाये काले-काले बादल, तेज बहती हवाएं, बीच में चमकती बिजुरिया और अचानक क्षण भर में सारी सृष्टि को भीगो कर प्रसन्न करने वाले वरुण राजा का आगमन....!
बहुत कठिन होता है बिन ब्याही अथवा अकेली औरत के लिए जिन्दगी ग्ाुजारना; और अगर वह मां भी हो, वह भी बिन ब्याही, तब तो जैसे उसके सामने कठिनाइयों का पहाड़ ही आ खड़ा हो जाता है । यों भी समाज बड़ा निष्ठुर है ।
प्रस्तुत लेख स्वामी विवेकानंद के विभिन्न अवसरों पर दिये उद्बोधनों का अंश मात्र है, इसमें संकलनकर्ता ने अपनी ओर से एक शब्द भी नहीं जोड़ा है।
ग्ाुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र हो गए लगता है। इसमें गलत कुछ नहीं है। जिसमें राष्ट्रहित की संभावना भरसक दिखाई दे रही हो वह हमेशा चर्चा का केंद्र अवश्य बनेगा। लेकिन, यह चर्चा सकारात्मक हो, वैचारिक हो, विधायक हो तो किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती।
फिल्म वालों को बरसात का मौसम गर्मी और ठण्ड से अधिक प्रिय है। फिल्म के नामों जैसे- बरसात, बारिश, बरसात की एक रात, बिन बादल बरसात इत्यादि से लेकर फिल्मी गानों जैसे- भीगीभीगी रातों में, बरसात में हमसे मिले तुम आदि गानों तक बहुत बारिश होती रही है। यह भी कहा जा सकता है कि बारिश ने हिंदी फिल्मों को ‘ग्लैमर’ दिया।
मैं हॉस्टल के अपने कमरे में पहुंची तो चमेली बाई मेरे पीछेपीछे आयी। ‘बापरेबाप। क्या बारिश। कसम से, हमारे मुलुक में ऐसी बारिश कभी नहीं होती।’ मैं अपने भीगे बालों से पानी निचोड़ते हुए उसकी शिकायत सुनती रही, ‘मैंने आपसे कहा नहीं था कि छतरी ले जाइए? नहीं कहा था?
भगवा हमारी जातीय स्मृति में श्रद्धा, वैराग्य, पवित्रता और शुचिता का प्रतीक बनकर बैठा है। स्थायी रूप से भगवा काल की गति का साक्षी है। जो कोई भी भगवा धारण कर हमारे सामने खड़ा है, उसके सामने हम नतमस्तक होते हैं। भगवा सब का है। भगवा पंथ निरपेक्ष! जाति निरपेक्ष! भगवा मांगे सबकी खैर, भगवा निरबैर! भगवा नहीं मानता छुआछूत, सब देवदूत!
मृत्यु कैसी भी हो, उसमें एक समानता यह होती है कि वह जीवन का अन्त कर देती है । हर मृत्यु के कारण उत्पन्न वेदना अलगअलग तीव्रता की होती है ।