विरोधी दलों पर भारी भाजपा

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उ.प्र. सहित देश के पांच राज्यों में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावी राज्यों में राजनीतिक तापमान गर्म है और जो सर्वेक्षण उभर कर सामने आ रहे हैं। उनमें से चार राज्यों में भाजपा के पक्ष में माहौल दिख रहा है। दूसरी ओर भाजपा विरोधी दल जातीय और धार्मिक समीकरणों के सहारे भाजपा को घेरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

दल की कलह और गांधी परिवार का दखल करेगा , कांग्रेस का कबाड़ा

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कांग्रेस बजाय इसके कि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर मुद्दे तलाशे, अपने को तैयार करे, कैडर को मजबूत करे, सरकार को संसद व बाहर घेरने की रणनीति बनाए, चीन के साथ विवाद व कोरोना के संकट में देश व सरकार को साथ देने का भरोसा दिलाये, बेवजह की नुक्ताचीनी बंद करे, वह राहुल को अध्यक्ष बनाने की मुहिम छेड़कर शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन डाल देने जैसा उपक्रम कर रही है।

देश की सुरक्षा के प्रहरी

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भारत वर्तमान में विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके पहले भी भारत पर जब-जब चुनौतियां आईं तब-तब भारत के सुरक्षा तंत्र की हर संस्था ने अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाई है। इस आलेख में उन सभी संस्थाओं का परिचय कराया गया है।

अंधाधुंध उत्पादन से बेहतर है संयम से खर्च

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बिजली बनाने के हर सलीके में पर्यावरण के नुकसान की संभावना है। यदि उर्जा का किफायती इस्तेमाल सुनिश्चित किए बगैर उर्जा के उत्पादन की मात्रा बढ़ाई जाती रही तो इस कार्य में खर्च किया जा रहा पैसा व्यर्थ जाने की संभावना है और इसका विषम प्रभाव अर्थ व्यवस्था के विकास पर पड़ेगा।

उप चुनाव परिणामों का अतिवादी विश्लेषण

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कांग्रेस ऐसी पार्टी है जो अपनी विजय से ज्यादा भाजपा की पराजय पर प्रसन्न होती है। वह भूल गई है कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने उसकी पार्टी को लगभग खत्म कर दिया है। भाजपा के पास तो अभी भी नेता, कार्यकर्ता चुनाव अभियान चलाने वाले बचे हुए हैं पर कांग्रेस के सामने अस्तित्व का संकट है।

भारत ने रचा ‘वैक्सीन इतिहास’

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भारत के कई इलाकों विशेषतः गांवों में अभी भी अधिकांश लोग टीका लगवाने के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं। आज ऐसे लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। इसके अंतर्गत ऐसे लोगों को बताने की जरूरत है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है इससे मृत्यु नहीं बल्कि होने वाली मौत से बचा जा सकता है और केवल कुछ ही लोगों में एक-दो दिन हल्के-फुल्के बुखार के अलावा कोई अन्य समस्या नहीं होगी।

बांग्लादेश में हिन्दू उत्पीड़न सदियों पुरानी व्यथा-कथा

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क्या शिक्षा वाकई कट्टरपंथ की प्रभावी काट है? शायद नहीं। कम से कम बंगाल के मामले में तो ऐसा नहीं लगता है। 19वीं सदी में बंगाल के दो प्रमुख अलगाववादी मुस्लिम संगठनों का गठन हुआ। साल 1863 में मुहम्मडन लिटरेरी सोसायटी और 1877 में सेंट्रल मोहम्मडन एसोसिएशन। इन दोनों को चलाने वाले मुस्लिम अभिजात्य वर्ग के लोग थे।

अप्रिय विवाद का पटाक्षेप

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कृषि कानूनों के मुद्दे पर राजग से नाता तोड़कर अकाली दल की असली मंशा यह थी कि वह खुद को पंजाब के किसानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित कर सके। अब जबकि प्रधान मंत्री मोदी ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी है तब अकाली दल को भाजपा से पुनः मित्रता करने में कोई दिक्कत होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।

सफल विदेश और कूटनीति पाक-तुर्की दोनों ‘ग्रे लिस्ट’ में

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जिन देशों एवं शासन से राजनयिक संबंधों को लेकर कभी भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान में संशय और संकोच था, मोदी सरकार के अनेक तथ्यों पर सकारात्मक पहल के कारण वह बदल चुका है। अब पारस्परिक हित और भारत का भला होना ही भारतीय मैत्री का एकमेव आधार है। भारत अब इजरायल की कीमत पर इस्लामिक मुल्कों से संबंध नहीं रखता। अब हम इजराइल से अलग और अरब देशों से अलग संबंध रखते हैं।

सवाल नाक का नहीं, राष्ट्रहित का है!

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गुरु नानक जयंती पर सम्पूर्ण राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले तो देश को शुभकामनाएं दीं और फिर देश से क्षमा मांगते हुए जो कहा उसका आशय यह था कि केंद्र सरकार कृषि कानून वापिस ले रही है क्योंकि वह कुछ किसानों को कृषि कानून…

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