आध्यात्मिक राजधानी बनेगी अयोध्यापुरी

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रामलला का दर्शन करने मात्र से लोगों में स्वाभिमान एवं आत्मविश्वास की लहरें हिलोरे मारने लगेगी। राम मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा से देश में सकारात्मक वातावरण की निर्मिति होगी, जिससे उत्साहित होकर सभी क्षेत्रों में देशवासी पूरे मनोयोग से अपने-अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे।

नेतृत्व के आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज

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350वें राज्याभिषेक महोत्सव के मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में छत्रपति शिवाजी महाराज की यशोगाथा का वर्णन किया और उनके नेतृत्व गुण एवं सुशासन के आदर्श को अंगीकार करते हुए ‘विकसित भारत’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ बनाने का संकल्प लिया।

राष्ट्र जागरण की अलख

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जब भारत के सभी सामान्य नागरिकों की राष्ट्रीय चेतना का स्तर ऊंचा उठ जाएगा, तब स्वाभाविक रूप से देश में सभी प्रकार के अपेक्षित सकारात्मक परिवर्तन सहज होने लगेंगे, लेकिन इसके लिए अनवरत राष्ट्र जागरण का कार्य करते रहना होगा।

खत्म हुआ इंतजार दर्शन देंगे श्रीराम

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मंदिर के पत्थरों पर होने वाली नक्काशी केवल मनमोहक कृतियां ही नहीं होंगी बल्कि श्रद्धालु त्रेता युग के दर्शन करेंगे। मंदिर हजारों वर्षों तक सुरक्षित रहें और उसके अनुरुप मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।  राम नगरी सज-धज कर तैयार है बस अब बारी है मंदिर के कपाट खुलने का। 

आध्यात्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र

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धर्म और अध्यात्म का अनूठा संगम है अयोध्या। श्रीरामलला के मंदिर का कपाट खुलते ही अयोध्या पर्यटन का एक मुख्य केंद्र भी बन जाएगा। देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक भगवान श्रीराम के दर्शन कर प्राकृतिक सौंदर्य बिखेरते अयोध्या घूमेंगे।

मंदिर का अर्थ तंत्र

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अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शन के बाद या तो आप पांच सितारे होटल में रुक सकते है। शॉपिंग मॉल में खरीदारी के साथ ही जंक-फूड का मजा ले सकते है। इसके बाद आप हवाई यात्रा से सफर कर घंटों में अपने गंतव्य तक पहुंच सकते है। ये सारी सुविधाएं आपके लिए और इससे आर्थिक सबलीकरण अयोध्या को मिलने वाला है, जो बड़ी आर्थिक प्रगति का संकेत है।

मंदिर का शिल्प, सौंदर्य व तकनीक

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राम मंदिर में आस्था के साथ-साथ शिल्प सौन्दर्य एवं तकनीक का बेजोड़ संगम देखने को मिलेगा। मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण मकराना संगमरमर से हुआ है, वहीं प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में सरयू तट की ओर होगा। मंदिर में 5 द्वार, 24 दरवाजे हैं। कुल 4 द्वार पार करने पर गर्भगृह में बालरूप भगवान राम के दर्शन होंगे।

राष्ट्रीय एकात्मता का आधार

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500 सालों से ज्यादा की प्रतीक्षा अब खत्म होने जा रही है। वह समय आ गया है जब पूरे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कपाट खुलते ही भक्त भगवान श्रीराम के दर्शन कर सकेंगे। पूरे हर्षोंउल्लास के साथ आगामी 22 जनवरी की लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं। आस्था के साथ अयोध्या अब पर्यटन का केंद्र भी बन गया है। 

भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल

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राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण गर्व का क्षण है, लेकिन इन क्षणों में इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि हिंदू समाज को किन कारणों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा. निस्संदेह हिंदू समाज के एकजुट न होने के कारण विदेशी हमलावरों ने फायदा उठाया. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि भेदभाव और छुआछूत हिंदू समाज को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना। अब जब समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान राम के नाम का मंदिर बनने जा रहा है तब सभी का यह दायित्व बनता है कि वे पूरे हिंदू समाज को जोड़ने और उनके बीच की बची-खुची कुरीतियों को खत्म करने पर विशेष ध्यान दें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अयोध्या एक ऐसा केंद्र बने जो भारतीय समाज को आदर्श रूप में स्थापित करने में सहायक बने।

जनमानस का भाव संसार

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कानून के गलियारों से होते हुए राजनीतिक दांव-पेंच व खींचातानी को झेलते हुए आखिरकार संघर्ष पर विराम लगा। भव्य मंदिर का निर्माण हो  रहा है और उसमें रामलला विराजित होंगे। एक लम्बे समय के बाद, एक लम्बे संघर्ष के बाद हमारी सांस्कृतिक परतंत्रता समाप्त हुई। ये जनआंदोलन नहीं तो और क्या था।

हर घर अयोध्या बने

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हर मनुष्य में रामत्व होना चाहिए। हर घर में रामराज्य होना चाहिए। संतुलित जीवन, उचित आहार, उचित शिक्षा, संस्कारित दिनचर्या, सकारात्मक विचार और कुशल जीवन शैली को अपने जीवन में उतारना चाहिए। आने वाली पीढ़ी को यह मार्ग वर्तमान पीढ़ी ही दिखा सकती हैं तभी रामराज्य का संकल्प सार्थक होगा।

वास्तुशास्त्र और शिल्पशास्त्र का अनूठा संगम

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नवनिर्मित राम मंदिर में ‘नागर शैली’ का उपयोग किया गया है। मुख्य गर्भगृह 20 गुणा और 20 फीट का अष्टकोणीय आकार में है, जो भगवान विष्णु के 8 रूपों को दर्शाता है। मंदिर में 366 स्तंभ होंगे। प्रत्येक पर 16 मूर्तियों को दर्शाया गया है। जिसमें शिव के विभिन्न अवतारों, दशावतारों, चौसठ योगिनियों से लेकर देवी सरस्वती के बारह रूपों तक की दिव्य आकृतियां प्रदर्शित होंगी।

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