जी 20 : सनातन का प्रतिपादन

Continue Readingजी 20 : सनातन का प्रतिपादन

भौतिक शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जब प्रिज्म पर सूर्य की किरण पड़ती है तो वह सात रंगों में विभाजित हो जाती है, अर्थात उससे इंद्रधनुष तैयार होता है। भौतिक शास्त्र का यह नियम अगर समाज शास्त्र या यूं कहें आज के समाज पर लगाया जाए तो सूर्य से निकलने वाली उस किरण की जगह होगी भारत की वर्तमान वैश्विक आभा से निकलने वाली किरण।

मेवात: आतंक का गढ़

Continue Readingमेवात: आतंक का गढ़

भारत में अन्य बातों की तरह ही दंगों का भी ‘अपग्रेडेशन’ हो रहा है। मेवात में हुए साइबर दंगे इसकी बानगी कहे जा सकते हैं। जिस तरह से इसकी तैयारी की गई थी, जिस तरह से इसके लिए मोबाइल और सोशल मीडिया का प्रयोग किया गया था, उससे यह सिद्ध होता है कि धीरे-धीरे दंगे भड़काना उंगलियों पर खेलने जैसा हो जाएगा। इसकी भयावहता को समझकर आवश्यक कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है।

चीनी विस्तारवाद : कोलंबो पोर्ट सिटी

Continue Readingचीनी विस्तारवाद : कोलंबो पोर्ट सिटी

विस्तारवादी चीन जमीन की तरह समुद्र में भी अपने पांव पसार रहा है। किसी दूसरे के जलक्षेत्र पर अपना कब्जा करना वैसे तो अनुचित है, परंतु चीन अपने कर्जदार देशों के भू-नभ-जल को भी अपना अधिकार क्षेत्र मानता है और पाकिस्तान में रास्ते बनाने के बाद वह श्रीलंका के बंदरगाह के निकट अपनी एक हाईटेक सिटी तैयार कर रहा है।

जी-20 का भारतीय स्वरूप

Continue Readingजी-20 का भारतीय स्वरूप

भारत के रूप में पहली बार कोई दक्षिण एशियाई देश जी-20 राष्ट्रसमूहों की अध्यक्षता कर रहा है। भारत ने इसकी वसुधैव कुटुम्बकम् वाली थीम से सम्पूर्ण विश्व को परिवार मानने की भारतीय परम्परा को आगे बढ़ाया है। वैश्विक द़ृष्टि से भारत के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

वैगनर ग्रुप विद्रोह,चेतावनी व चुनौती

Continue Readingवैगनर ग्रुप विद्रोह,चेतावनी व चुनौती

हाल ही में रूस में वैगनर ग्रुप के विद्रोह उपरांत दुनिया भर में प्राइवेट आर्मी के खतरों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्राइवेट आर्मी के चलन को नियंत्रित नहीं किया गया तो किसी भी देश के विरूध्द इसका दुरूपयोग किया जा सकता है जिससे आगे जाकर देश-दुनिया में अराजकता एवं गृहयुध्द जैसी स्थिति उत्त्पन्न होगी।

फ्रांस के दंगों का यथार्थ

Continue Readingफ्रांस के दंगों का यथार्थ

फ्रांस की सेक्युलर एवं उदार नीति ने देश का बेड़ा गर्क करवा दिया। फ्रांस में गैर कानूनी रूप से आव्रजकों की आज भी घुसपैठ हो रही है जो मुख्यतः पश्चिमी अफ्रीकी देशों से स्पेन और इटली के रास्ते फ्रांस पहुंचते हैं। घुसपैठिए और शरणार्थी, फ्रांसीसी समाज-राष्ट्र के लिए एक बड़ा संकट व चुनौती बन चुके हैं। जिसका दुष्परिणाम हम आए दिन फ्रांस में भीषण दंगों के रूप में देख रहे हैं।

विश्व में भारतीय विदेश-नीति की धमक

Continue Readingविश्व में भारतीय विदेश-नीति की धमक

मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय विदेश नीति में आमूलचूल परिवर्तन आया है, उसी का सुखद परिणाम है कि आज पूरा विश्व भारत की विदेश नीति और उसकी प्रभावी कार्यप्रणाली का लोहा मान रहा हैं। विदेश मंत्रालय पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ राष्ट्रीय हितों को संरक्षित करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा हैं।

भारत-अमेरिका सम्बंध और साझी चुनौतियां

Continue Readingभारत-अमेरिका सम्बंध और साझी चुनौतियां

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा उपलब्धियों से भरी रही है। भारत-अमेरिका के बीच हुए समझौते देश को तकनीक, उद्योग, आर्थिक, सामरिक, रक्षा, आदि क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिध्द होंगे। भारत-अमेरिका सम्बंध, चीन की विस्तारवादी नीति को नियंत्रित करने के साथ ही विश्व के शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाएगा।

संघ के समर्पित प्रचारक मदनदास देवी जी का परलोकगमन

Continue Readingसंघ के समर्पित प्रचारक मदनदास देवी जी का परलोकगमन

मा. मदनदासजी मूलत: महाराष्ट्र के करमाळा गांव, जिला सोलापूर के थे। शालेय शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा हेतु आप पुणे के प्रसिद्ध BMCC कॉलेज में 1959 में प्रवेश लिया। M.Com के बाद ILS Law कॉलेज से गोल्ड मेडल के साथ LLB किया। बाद में CA किया। पुणे में पढ़ाई के दौरान वरिष्ठ बंधू श्री खुशालदास देवी की प्रेरणा से संघ से संपर्क आया। 1964 से मुंबई में आप ने अभाविप कार्य प्रारंभ किया। 1966 में अभाविप मुंबई के मंत्री हुए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कर्णावती राष्ट्रीय अधिवेशन ( सन् 1968 ई.) में माननीय मदनदास जी की पूर्णकालिक कार्यकर्ता व पश्चिमांचल क्षेत्रीय संगठन मंत्री के दायित्व की घोषणा हुई। तथा 1970 के तिरुअनंथपुरम अधिवेशन में राष्ट्रीय संगठन मंत्री का गुरूतर दायित्व आपने संभाला।

‘इंडिया’ नाम देकर फंसा विपक्ष 

Continue Reading‘इंडिया’ नाम देकर फंसा विपक्ष 

2019 में बीजेपी की सीटें 282 से बढ़कर 303 हो जाने के बाद विपक्षी दलों को भविष्य नहीं, अस्तित्व का ही संकट महसूस होने लगा है। इसलिए तमाम दल आपसी एकता बनाने की ओर बढ़े। लेकिन परस्पर विश्वास और सम्मान के बिना राजनीतिक गठबंधन कैसे बने? अपने विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखकर इंडिया बनाम मोदी संघर्ष निर्माण करना चाहते हैं। ‌जो विरोधी दल अपनी दोनों बैठकों को 'ऐतिहासिक' बता रहे है, वह डरे सहमें  विरोधियों का जमावड़ा है।‌ अपने गठबंधन का नाम रखते हुए भी बहुत बड़ी चूक उन्होंने की है। अपने भ्रमित संगठन को इंडिया नाम देकर विपक्षियों ने बहुत बड़ी गलती की है। ‘इंडिया’ यानी भारत के साथ विपक्षी संगठन के प्रत्येक नेता और पक्ष ने कितना  छल किया है, यह देश की जनता भलीभांति जानती है इसलिए  इसका उत्तर देश की जनता जरूर देगी।

पाकिस्तान-पोषित खालिस्तानी आंदोलन

Continue Readingपाकिस्तान-पोषित खालिस्तानी आंदोलन

पाकिस्तान अपनी जमीन पर खालिस्तानी समूहों को पनाह दे रहा है। जबकि, सबको लगता है कि इसकी जड़ें उन देशों में हैं जहां सिख ज्यादा संख्या में रहते हैं। पाकिस्तान इनके माध्यम से भारत के सबसे समृद्ध हिस्से को अशांत रखने की कुत्सित मानसिकता का परिचय देता है।

दशगुरु परम्परा : उदय और विकास

Continue Readingदशगुरु परम्परा : उदय और विकास

एक समय था जब पंजाब के हिंदू परिवारों में पहला बेटा सिख बनता था, लेकिन बीसवीं शताब्दी से सरकारों ने अपने स्वार्थ के लिए दोनों के बीच इतनी बड़ी खांई पैदा कर दी कि आज दोनों तरफ कुछ लोग अपने आप को एक दूसरे से पूरी तरह अलग मान लिए हैं।

End of content

No more pages to load