खेल ‘खेल’ न रहा
कुछ साल पहले तक भारत में प्रोफेशनल खेलों के नाम पर केवल क्रिकेट ही था जहां ‘नेम और फेम’ दोनों मिलता था परंतु ये सिर्फ महानगरों के लोगों तक ही सीमित था। आज जब अन्य खेलों के लीग मैच इतनी बड़ी संख्या में हो रहे हैं तो एक परिवर्तन यह भी दिखाई देता है कि देश के छोटे-छोटे खिलाड़ियों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल रहा है।