भाजपा में सामान्य कार्यकर्ताओं को नेतृत्व की कमान

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म.प्र. , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नेतृत्व को लेकर हुए निर्णयों के बाद भाजपा की उस कथनी पर एक बार फिर मुहर लग गई है जिसे भाजपा 'पार्टी विथ डिफरेंस ' कहती है । इस आधार पर भाजपा वर्तमान राजनीति में आदर्श प्रस्तुत करती है कि - उसके लिए विचार निष्ठा और कार्यकर्ता सर्वोपरि होता है । इसी कारण से भाजपा में सामान्य कार्यकर्ता भी सर्वोच्च दायित्वों/ पदों पर पहुंच सकता है। विष्णुदेव साय, डॉ.मोहन यादव और भजन लाल शर्मा - ये तीनों वे लोग थे जो संगठन में वर्षों से वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ काम करते आ रहे थे । इन्हें जब जो दायित्व भाजपा और संगठन ने दिए । ये उसमें खरे उतरे। इसी का सुफल है कि इन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुनकर तीनों प्रदेशों की कमान दी गई । भाजपा ने इसके यह भी संदेश देने का काम किया है कि - नई नेतृत्व परम्परा, संगठन सर्वोपरि, समन्वय , पूर्ण वैचारिक निष्ठा के साथ नए नेतृत्व के साथ भाजपा सरकारें काम करेंगी।

बहुत उतार चढ़ाव से भरा है नये साल का इतिहास

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इस कैलेण्डर को वैश्विक बनाने का श्रेय अंग्रेजों को है । वे जिस भी देश में व्यापार करने गये वे वहाँ के शासक बने और शासन संभालकर उन्होने अपनी परंपराएँ लागू कीं । जिसमें यह ग्रेगेरियन ईस्वी सन् कैलेण्डर पद्धति भी शामिल थी । अंग्रेज अपनी जड़ों और परंपराओं से इतने गहरे जुड़े रहे कि उन्होंने पूरी दुनियाँ को अपने परिवेश में कुछ इस प्रकार ढाला कि उनका शासन समाप्त हो जाने के बाद भी उनके द्वारा शासित अधिकांश देश अंग्रेजों के ग्रेगोरियन कैलेंडर से ही अपनी सरकार और समाज चला रहे हैं । हाँ कुछ देश अपने भीतर निजी काल गणना पद्धति का ही उपयोग करते हैं। पर संसार का मानसिक वातावरण कुछ ऐसा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे भी अंग्रेजी महीनों और तिथियों का ही सहारा लेते हैं । 

‘हिडेन एजेंडा’ मिशनरियों का धर्मान्तरण कार्यक्रम

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ईसाई धर्म का गुप्त व्यवहार है जिसे क्रिप्टो क्रिस्चन कहते है. इसमें ईसाई जिस देश में रहते हैं वहाँ दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं, वहाँ का धर्म मानते हैं पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहते हैं.जब ये १% से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर, संस्कृति को अपन कर अपना काम करते हैं और जैसे ही जनसंख्या अधिक होती है वो प्रकट रूप से ईसाई धर्म को मानने लगते हैं. रोम, जापान, बालकन और एशिया माइनर, मध्यपूर्व, सोवियत रूस, चीन, जर्मनी समेत भारत में भी क्रिप्टो क्रिश्चन की बहुतायत है.

सूर्या फाऊंडेशन द्वारा प्राकृतिक जैविक किसान सम्मेलन

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खेती में बढ़ती रासायनिक खाद के उपयोग से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं आज की प्रमुख समस्याओं में से एक है। अधिक उत्पादन की दौड़ में अंधाधुंध रसायनिक खादों के प्रयोग से आज मिट्टी दूषित हो गई है। और उन विकृतियों का परिणाम आज हमें खाद्य पदार्थों में दिखता है। खराब होती मृदा पर्यावरण के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर रही है। इसके निवारण हेतु आवश्यकता है प्राकृतिक एवं जैविक कृषि की। इस सम्मेलन में आए सभी संबंधित अधिकारियों ने किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों को सिखाया।

काकोरी कांड और क्रांतिकारियों का बलिदान

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काकोरी कांड में कुल उन्नीस क्रातिकारियों को सजा मिली थी । यह घटना 9 अगस्त 1925 की है । क्रातिकारियों को स्वतंत्रता संघर्ष के लिये हथियारों की जरूरत थी । हथियारों के लिये धन चाहिए था । पता चला कि ब्रिटिश सरकार का खजाना 8 डाऊन सहारनपुर एक्सप्रेस से जा रहा है । क्रातिकारियों ने शाहजहाँपुर में बैठक की । इस बैठक में दस प्रमुख क्राँतिकारी उपस्थित थे । बैठक की अध्यक्षता महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने की । खजाना लूटने की योजना बनी । और 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी रेल्वे स्टेशन पर गाड़ी रोककर खजाना लूट लिया गया । इसमें कुल 19 क्राँतिकारियों को आरोपी बनाया गया । इनमें चार को फाँसी दी गई और 15 को विभिन्न धाराओं में चार वर्ष या इससे अधिक का कारावास की सजा सुनाई गई, जिन क्रातिकारियों को फाँसी दी गई उनमें राजेन्द्र लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह थे ।

जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेना जरुरी

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भारत ने पिछले कुछ सालों में पुरजोर तरीके से अपनी बात रखी है. इसने पेरिस में COP21 में 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 33-35 फीसद कम पर लाने का वादा किया. इसने नॉन-फॉसिल फ्यूल पावर सोर्स की क्षमता बढ़ाने और एक कार्बन सिंक बनाने का भी वादा किया. “पंचामृत” स्ट्रेटजी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में COP26 में पेश किया था, का मकसद 2030 तक 500 गीगावॉट नॉन-फॉसिल एनर्जी क्षमता, 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी, 2030 तक 50 प्रतिशत रिन्यूबल एनर्जी क्षमता, 2030 तक कार्बन इनटेंसिटी में 45 फीसद की कमी, और 2070 तक नेट-जीरो. अभी भी भारत अपने इन्ही लक्ष्यों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहा है .

भारतीय शेयर बाजार पहुंचा विश्व में पांचवे स्थान पर

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नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड समस्त कम्पनियों (निफ्टी) का कुल बाजार पूंजीकरण 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर अथवा 335 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया है।पिछले 10 वर्षों के दौरान इन कम्पनियों का पूंजीकरण 17.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की संयोजित (कंपाऊडेड) दर से बढ़ा है। भारतीय शेयर बाजार के विकास की यह रफ्तार अभी भी जारी है और कलेंडर वर्ष 2023 के अभी तक के कार्यकाल के दौरान निफ्टी पर रजिस्टर्ड कम्पनियों के पूंजीकरण, 55 लाख करोड़ रुपए (11 प्रतिशत) से बढ़ चुका है। पिछले केवल 3 माह के दौरान भारतीय कम्पनियों का निफ्टी पर पूंजीकरण 8.82 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, जो कि विश्व के 10 सबसे बड़े शेयर बाजार में सबसे अधिक तेज गति से बढ़ा है। आज भारत विश्व के शेयर बाजार के पूंजीकरण में 3.61 प्रतिशत का योगदान कर रहा है जो जनवरी 2023 में 3.37 प्रतिशत था। 

हर चुनौती से निपटने में सक्षम हैं मुख्य मंत्री मोहन यादव

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इसमें कोई संदेह नहीं कि डॉ. मोहन यादव इतने विनम्र, सहज-सरल और मृदुभाषी हैं कि कोई उनके फैसलों से असहमत हो ही नहीं सकता। पूर्व मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को करीब अठारह वर्षों तक सत्ता की बागडोर संभालने का सौभाग्य मिला। यह अपने आप में एक रिकार्ड था। उन्होंने इस लंबे कार्य काल में भाजपा संगठन पर भी अच्छा खासा प्रभाव कायम कर लिया था।

भारत विरोधियों को सबक सिखाने राष्ट्रहित में करें मतदान

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बात सुनने में ही समूची दुनिया की भलाई है। यूक्रेन-रूस के मध्य छिड़े युद्ध पर प्रधान मंत्री मोदी जब बोले कि 'This is not an era of war' तो पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली। इसराइल-हमास जंग, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, कार्बन क्रेडिट अथवा साउथ अफ्रीकी देशों को G-20 का सदस्य बनाने जैसे विश्व-व्यापी प्रमुख मुद्दों पर भारत के रुख को दुनिया गंभीरता से ले रही है। आज भारत ग्लोबल साउथ का निर्विवादित लीडर बनकर उभर रहा है।

आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

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गोवा राज्य की प्रतिमा अभी तक भोग-भूमि के रूप में की जा रही थी। वर्षों तक राजनैतिक उदासीनता के चलते गोवा का विकास कई रोडों में अटका रहा। परंतु आज उसे एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त है, जिसके पास गोवा के विकास का स्पष्ट रोड मैप तैयार है। भविष्य का गोवा कैसा होना चाहिए, इसकी स्पष्ट संकल्पना उनके मस्तिष्क में तैयार है। गोवा के मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने साक्षात्कार में उनकी गोवा के विकास के प्रति कटिबद्धता को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया है।

जौहरी का हीरा

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कहते हैं, हीरे की परख जौहरी ही कर सकता हैं। मनोहर पर्रिकर ने डॉ. प्रमोद सावंत को परख तो लिया ही था, परंतु अपनी मेहनत, लगन और कर्तव्यपरायणता से वे दिन - प्रतिदिन अधिक चमकते जा रह हैं। उनकी राजनैतिक यात्रा उनके गुरू को दी जा रही गुरुदक्षिणा के समान ही है।

भाऊ से भाई तक गोवा की राजनीति

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भाऊसाहब का सिद्धांत था कि प्रशासन लोकोन्मुख और केवल जनता की सुविधा के लिए होना चाहिए। यही सिद्धांत पर्रिकर ने अनेक वर्षों के बाद चलाया। इन सभी प्रयासों और ईमानदारी के कारण सन 2002 में हुए चुनाव में पार्टी के 17 विधायक विजयी हुए।

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