कंस्ट्रक्शन उद्योग सबसे बुरी हालत में
कंस्ट्रक्शन उद्योग नोटबंदी, जीएसटी, रेरा और आर्थिक मंदी के कारण सबसे बुरे वक्त से गुजर ही रहा था कि कोरोना ने उसकी कमर तोड़ दी। इस उद्योग को उबारने के लिए सरकार को फौरन कदम उठाने चाहिए।
कंस्ट्रक्शन उद्योग नोटबंदी, जीएसटी, रेरा और आर्थिक मंदी के कारण सबसे बुरे वक्त से गुजर ही रहा था कि कोरोना ने उसकी कमर तोड़ दी। इस उद्योग को उबारने के लिए सरकार को फौरन कदम उठाने चाहिए।
राहत पैकेज में बैंकों से भारी ब्याज पर ॠण मुहैया करने के बजाय सरकार यदि उद्योगों को सीधे लाभ देती तो वह अधिक उपयोगी होता और अर्थव्यवस्था के उठने में सहयोग मिलता। उद्योगों पर पहले से कई तरह के ॠण होते हैं, वे और ॠण लेकर संकट में क्यों पड़ना चाहेंगे।
सरकार को तत्काल ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे कारोबारी को ‘तरल’ धन सीधे व आसानी से उपलब्ध हो, ताकि वह देश को वर्तमान संकट से उबारने में जी-जान लगा दे। इससे सरकार को करों के रूप में राजस्व बढ़कर मिलेगा ही, रोजगार मिलने से लोगों में हताशा भी नहीं आएगी।
सरकार ने छोटे मध्यम उद्योगों के लिये रियायत जाहीर की है, लेकिन अगर उसकी प्रक्रिया सही समय पर नहीं होगी तो 100% रिजल्ट नहीं आएगा। दूसरी बात आज अगर पैसा लेकर उसपर बैंकों में ब्याज भी भरना है तो वो मार्केट में कॉम्पिटेटिव कैसे होगा। सरकार ने ऐसा तो नहीं कहा है कि जिसको सहायता दी है उनका व्याज बैंक माफ़ करेगी।
कई बार ऐसा होता है कि आपकी सैलरी से महीने का ख़र्चा नहीं निकल पाता और यही वजह है कि आप काम में पूरी तरह से मन नहीं लगा पाते। लेकिन ज़्यादा पैसे कमाने का एक तरीका आज हम आपको बताने जा रहे हैं
इस समय छोटे और मंझोले उद्योग, जिन्हें एमएसएमई कहते हैं, अपने सबसे बुरे दिनों में चल रहे हैं। अगर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो इस क्षेत्र की कई कम्पनियां बंद होंगी। उनमें एनपीए बढ़ेगा। किसानों की तरह इनके भी आत्महत्या करने के दिन आ जाएंगे।
नैना सुबह पांच बजे उठ गई। उसने जल्दी- जल्दी कुछ घर के काम किए और फिर भगवान और बड़ों को प्रणाम कर फैक्टरी जाने के लिए तैयार हो गई। उसके मन में खुशी, उत्साह, डर, उमंग का मिलाजुला भाव था। वह चाहती थी कि उससे कहीं भी कोई त्रुटि न हो। इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी जो मिली थी उसे। नैना की जिंदगी का नया अध्याय आरंभ हो चुका था।
पिछले चार वर्षों में कोयले के क्षेत्र ने अभूतपूर्व रफ्तार पकड़ी है। पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी और बेहतर परिवहन से, मोदी सरकार एक ऐसा कोयला क्षेत्र विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो हमारे लोगों के लिए एक कुशल, किफायती और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य को सुनिश्चित करता है।
कृषि व संबद्ध क्षेत्रों को लेकर मोदी सरकार की पूरी कोशिश यही है कि किसान परेशान नहीं रहे। इसीको ध्यान में रखते हुए आम बजट 2018-19 के केंद्रबिंदु में किसानों को रखा गया। इरादा है सन 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना।
गुजरात को विकास का मॉडल बनाने का श्रेय पूरी तरह नरेंद्र मोदी को ही जाता है। उन्होंने जिस दूरदर्शिता, लगन व मेहनत से डेढ़ दशक से भी अधिक समय गुजरात की जनता की सेवा की, उससे गुजरात आज विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए ‘स्वर्णिम गुजरात’ की ओर अग्रसर हो रहा है। प्रस्तुत है, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी जी से हुई प्रदीर्घ बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः
वर्ष २०१७ में ‘मेक इन उत्तर प्रदेश’ नई दिशा और नए उत्साह के साथ आगे सकारत्मक रूप से विकसित होता दीखता है- जो न सिर्फ प्रदेश को विकास वर्षा देगा बल्कि देश को विश्व पटल पर आर्थिक परचम फैराने में कारगर होगा। भारत अपार सम्पदा एवं संसाधन
आज देश की करीब ६५ फीसदी कार्यशील युवा आबादी है और यही जनसांख्यिकी लाभांश भारत की मौजूदा समय में सब से बड़ी पूंजी है। इसी कार्यबल का यदि सदुपयोग हो जाए, तो कोई वजह नहीं बचती कि भारत विश्व शक्ति न बन पाए। इसके लिए पहली शर्त तो यही मानी जाएगी कि देश का हर ह