नागरिकता कानून विरोध की राजनीति?
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हुए हिंसक आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश थी। कुत्सित राजनीति के हथियार के तौर पर विरोध के अधिकार का खतरनाक इस्तेमाल किया गया। इसे समझना जरूरी है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हुए हिंसक आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश थी। कुत्सित राजनीति के हथियार के तौर पर विरोध के अधिकार का खतरनाक इस्तेमाल किया गया। इसे समझना जरूरी है।
सोशल मीडिया और नागरिक पत्रकारिता के कारण यह सच सभी के सामने आ रहा है कि सीएए के समर्थन करने वालों की संख्या अत्यधिक है और जेएनयू में जो हो रहा है वह दिखावा मात्र है। जेएनयू पूरा देश नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी एक गतिमान और उर्वरा राजनितिक दल है। पार्टी की रीति-नीति ऐसी है कि उसमें नेताओं की दूसरी/तीसरी पांत स्वतः ही तैयार होती रहती है।
हिन्दी विवेक की ओर से दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में 7 जनवरी को ‘कर्मयोद्धा नरेन्द्र मोदी’ इस 300 पृष्ठों के ग्रंथ का विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ। गृह मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि थे। इस पुस्तक की खबरें देश के विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक पर कोई भी चर्चा किसी ने भी नहीं की, क्यों? इसका कारण याने विवाद पैदा करनेवाला कोई मालमसाला इस पुस्तक में नहीं है। इसमें विवाद निर्माण करने जैसी कोई बात शायद नहीं मिल रही है। जो अपनी शक्ति, समय एवं पैसा इसी काम में खर्च करते हैं उनके लिये इस ग्रंथ ने निराशा पैदा की है। ऐसे व्यक्तियों को दिल्ली में प्रकाशित ‘आज के शिवाजी:नरेन्द्र मोदी’ इस पुस्तक ने मसाला दिया तो उनके दिल को ठंडक पहुंची होगी।
अब दो दिवसीय दौरे पर आये यूरोपीय संघ (ईयू) के 23 सांसदों ने भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मामला है। ईयू के सांसदों ने कहा कि वे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में भारत के साथ हैं। ईयू के सांसदों के इस बयान को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि यह मान लेना गलत होगा कि जाटों के एक तबके के खिलाफ जाने के कारण ही भाजपा को क्षति हुई। इसके साथ कई कारको ने भूमिका निभाई। फडणवीस सरकार ने भीमा कोरगांव जैसे सुनियोजित हिंसक आंदोलन को जिस तरह नियंत्रण किया एवं माओवादियों के चेहरे उजागर किए उससे विचारधारा के आधार पर समर्थन करने वाले परंपरागत मतदाताओं का समर्थन बना रहा। शनि सिंगनापुर आंदोलन को भी सरकार ने नियंत्रण से बाहर नहीं आने दिया।
सलमान खुर्शीद के इस बयान में भले ही कड़वी सच्चाई छुपी हो, परंतु उनके इस बयान पर पार्टी में विवाद चल गया है। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी इसे घर को आग लग गई, घर के चिराग से कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गांधी गलत नहीं थे। उन्हें कुछ नेताओं का समर्थन नहीं मिला, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया।
देश के अनेक व्यापार मंडलों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने का ऐलान किया है लेकिन केवल इतना ही काफी नहीं है. इसमें जनता को शामिल कर देशव्यापी आन्दोलन चलाया जाना चाहिए. धारा ३७० हटाए जाने के बाद कश्मीर मुद्दे पर चीन पाकिस्तान का साथ दे रहा है
न्यायालय ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के आईएनएक्स मीडिया केस में वह मुख्य साजिशकर्ता और किंगपिन मालूम पड़ते हैं। न्यायालय ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया मामला मनी लॉन्ड्रिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है और उसकी प्रथम दृष्टया राय है कि मामले में प्रभावी जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है।
महाराष्ट्र में विधान सभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। लोकसभा चुनावों की तरह इस चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी की भारी विजय संभावित है। इसका संकेत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विधान सभा के अंतिम सत्र में किए भाषण में पढ़ी एक कविता से मिलता है- फिर एक बार उसी विश्वास के साथ, मैं वापस आऊंगा..।
उत्तर प्रदेश की नौकरशाही सकते में हैं। फिर एक बार अवैध खनन का साया सीबीआई के छापों की शक्ल में साहब बहादुर के बंगलों में नुमाया हुआ है। अवैध खनन घोटाले की लपटों की रोशनी में प्रतिष्ठित आईएएस अफसरों के बंगलों से नगदी व सम्पत्ति के दस्तावेज बरामद हुये हैं।
विपक्ष की ओर से इसके विरोध में वही सारे तर्क दिए गए जो पहले दिए जा चुके थे। किंतु इस बार सबसे पहले इसे लाए जाने के तरीके का ही विरोध किया गया। अंततः लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पेपर स्लिप से वोटिंग कराई और 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से विधेयक पेश हुआ। इस स्थिति में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि अगर विधेयक पेश करने में ही बाधा आई एवं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित कई दलों ने इसका तीखा विरोध किया तो फिर इसका भविष्य क्या होगा ?