क्या प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगेगा?
अगर बंगाल में ऐसे ही हालात रहे तो केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, और धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। अब देखना है कि आगे राज्य के सियासी हाल क्या रहते हैं और ऊंट किस करवट बैठता है।
अगर बंगाल में ऐसे ही हालात रहे तो केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, और धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। अब देखना है कि आगे राज्य के सियासी हाल क्या रहते हैं और ऊंट किस करवट बैठता है।
कोई दायित्व सौंपते समय यदि कार्यकर्ता की सत्यनिष्ठा का स्तर भी देखा जाने लगे तो ईमानदारी को राष्ट्रीय चरित्र का हिस्सा बनते देर नहीं लगेगी। आज के दौर में सिर्फ भाजपा ही इस काम को बखूबी अंजाम दे सकती है। क्योंकि भाजपा के अधिकतर कार्यकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया में तप कर आते हैं।
एक बंगाली कहावत है “सोरसे मोद्हे भूत , तहाले भूत केमोन भाग्बे”यानि सरसों की जड़ में सरसों का भूत है , तो भूत भागेगा कैसे ? यानि जब समस्या के मूल में ही समस्या है तो समस्या जायेगी कैसे?
लोकसभा चुनाव की मतगणना की तारीख के ठीक एक सप्ताह बाद केंद्र में मोदी सरकार का दुबारा गठन हो गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में एक भव्य कार्यक्रम में पीएम मोदी एवं उनके मंत्रियों को शपथ दिलाई।
सुप्रीम कोर्ट के इन वर्षों में कई विवादास्पद फैसलें आए हैं। कुछेक को भेदभावपूर्ण माना जाता है। जलिकुट्टु, सबरीमाला, दहीहांडी, दीवाली पर पटाखे पर पाबंदी आदि ऐसे फैसले हैं जिन्हें समाज ने कभी स्वीकार नहीं किया। इससे निष्पक्ष न्याय-व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा होता है।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर जो बवंड़र उठा, उसके पीछे बड़े ताकतवर लोग और समूह हैं, जो न्यायपालिका को प्रभावित कर अपने पक्ष में फैसले करवाना चाहते हैं। ऐसे शक्तिशाली लोगों की साजिश में भूमिका पकड़ पाना आसान नहीं है। पकड़ में आ भी गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई कठिन और कार्रवाई हो गई तो फिर कई स्तरों पर विरोध.
पश्चिम बंगाल ही हिंसा और बवाल की त्रासदी झेल रहा है। लोकतंत्र को खून से सींचने वाले राजनेताओं को सत्ता मिल जाती है, लेकिन हिंसा की भेंट चढ़ने वाले उस आम आदमी को क्या मिलता है?
2019 के संसदीय चुनाव में बयानबाजी ने सारी हदें पार की हैं। नेता लोकतंत्र के शिष्टाचार और मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे बिगड़ैल नेताओं के साथ कैसे पेश आए यह प्रबुद्ध मतदाताओं को भविष्य में तय करना ही होगा। अन्यथा, राजनीतिक अराजकता का खतरा पैदा हो जाएगा।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की असाधारण और अभूतपूर्व विजय ने भारत ही नहीं विश्व की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। अन्य देशों में ऐसा मौलिक परिवर्तन लाने में सैकड़ों वर्ष और हिंसक क्रांतियों की आवश्यकता हुई थी। भारत की हिंदू सांस्कृतिक धारा ने अंगुली पर तिलक लगाकर भारत को बदलने का आरंभ कर दिया।
सन् 2019 लोकसभा चुनाव के जनादेश का सभी राजनैतिक दलों को गहरा अध्ययन करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि वे ऐसा कर भी रहे होंगे। अभी तक जो हमने विश्लेषण किया है, उसमे राजनैतिक दलों के लिए अनेक सन्देश छिपे है, उसे क्रमशः रखने का प्रयास कर रहा हूं। इस जनादेश में इतिहास रचा है। 'इतिहास' घटता है न कि घटाया जाता है।
आम चुनाव के नतीजों के बाद भारतीय राजनीति में इस समय खलबली है। एक तरफ कांग्रेस में इतनी बुरी हार से हाहाकार मचा हुआ है तो दूसरी ओर ऐतिहासिक जीत से बम-बम भाजपा में शामिल होने के लिए पश्चिम बंगाल में तृणमूल और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की लाइन लगी हुई है
2019 के आए चुनाव परिणाम बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस चुनाव में खासतौर से उत्तर प्रदेश एवं बिहार में जहां जातीय समीकरणों का गठजोड़ टूटा है, वहीं बिहार में राजद को बड़ा झटका लगा है।