विश्वव्यापी भारतीय संस्कृति

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सारे विश्व से जो पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं उससे साबित होता है कि भारतीय संस्कृति विश्व के हर कोने में फैली हुई थी। चाहे जापान हो या न्यूजीलैण्ड, यूरोप हो या अफ्रीका अथवा अमेरिकी प्रायःद्वीप- हर जगह भारतीय और उनकी संस्कृति पहुंची है। हर संस्कृति से उसका मेलजोल हुआ। वह सर्वव्यापी हो गई। समुंदर पार जाने या देशांतर के दौरान संस्कृति किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। वह सहजता और सरलता से सीमाओं को पार कर देती हैं। यहां तक कि सदियों या सहस्राब्दियों पूर्व उसने जो प्रभाव छोड़ा था वह भी सहजभाव बन जाता है। इसी

ध्वस्त होती मान्यताएं

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उत्तर प्रदेश में आज आबादी का घनत्व बढ़ा है। अर्थ ही सब कुछ हो गया है। इसलिए लोगों का झुकाव मान और शान से ज्यादा अर्थ पर केन्द्रित हो गया है। अर्थ की धारणा ने सांस्कृतिक धरोहरों को भी करारी चोट दी है। तमाम मान्यताएं ध्वस्त हो रही हैं। फिर भी आशा की किरण

हिंदी के विकास में गैर हिंदी भाषियों का योगदान

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भारत में विभिन्न बोलियों के रूप में लगभग सात सौ अस्सी भाषाएं प्रचलित हैं। इनको छियासठ लिपियों के द्वारा लिखा जाता है। भारत के संविधान द्वारा बाईस भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। इनमें जनसंख्या, क्षेत्रीय विस्तार और बोलियों की संख्या की दृष्टि से हिंदी सब से

कश्मीरी पंडित : कश्मीर के आदि निवासी

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कश्मीर की मनोरम घाटी इस समय तन्हा हो गई है; मानो अच्छाइयां वहां से विदा हो चुकी हो। बर्बर आतंकवादियों ने पौराणिक काल से यहां बसे कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से भगा दिया है, हजारों लोगों का क्रूरता से संहार किया है और कश्मीर के ५००० साल पुराने इतिहास और

जम्मू-कश्मीर में तीर्थ यात्रा का पुनर्जागरण

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सम्पूर्ण जम्मू-कश्मीर के भौगोलिक एवं सभ्यता की दृष्टि से वर्तमान में चार भाग हैं- जम्मू, कश्मीर, लद्दाख व पाक- अधिक्रांत कश्मीर। वैसे तो चीन-अधिक्रांत लद्दाख भी जम्मू-कश्मीर का एक भू-भाग है। इन सब क्षेत्रों की परिस्थितियां, रचना व समाज-जीवन भिन्न है। सम

भारत की प्राचीन सभ्यता

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ऐसा कहते हैं कि अतीत की परछाई बड़ी लंबी होती है। कहावत      तो मूल विदेशी है जहां अतीत और वर्तमान में स्पष्ट विभेद दिखाई देता है, जहां अतीत संग्रहालयों में बंद है और वर्तमान का अतीत से रिश्ता टूटा हुआ सा है। परन्तु भारत एक ऐसा अद्भुत

 सुविधाएं शहरी  संस्कृति ग्रामीण

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 आज हमें ग्रामों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, ग्राम का शहरीकरण करने की नहीं| ग्रामों को सुविधाओं से परिपूर्ण करना पड़ेगा और साथ ही सामाजिक समरसता का वातावरण बनाना होगा| जो गलत बातें वहां चल रही हैं उन सभी को रोकने के प्रयास करने पड़ेंगे|

जमदग्नि की तपोस्थली***जौनपुर***

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विभिन्न संस्कृतियों की झांकी का साक्षीदार रहा जौनपुर जनपद अपनी ऐतिहासिकता को बहुत अतीत तक समेटे हुए हैं। नदी गोमती के तट पर बसा यह शहर एक परम्परा के अनुसार महर्षि जमदग्नि की तपोस्थली रहा है। जिस कारण इसका प्रारम्भिक नाम जमदग्निपुर पड़ा तथा कालान्तर में जमदग्निपुर ही जौनपुर के रूप में परिवर्तित हो गया।

हिन्दू-बौद्ध संयुक्त रूप में आज भी विश्वगुरु हैं हम

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बुद्ध जयंती अर्थात बुद्ध पूर्णिमा या वेसाक या हनमतसूरीबौद्ध धर्मावलम्बियों के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण, आस्थाजन्य और उल्लासपूर्वक मनाया जानेवाला पर्व है। भगवान् बुद्ध के अवतरण का यह पर्व वैशाख पूर्णिमा के द

ग्वालियर घराना

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हद्दू खां, हस्सू खां और नत्थू खां की गायन शैली को हम ग्वालियर घराने की गायकी कहते हैं। इसको परिमार्जित और निर्माण करने में उन्हें परम्परा और घराने के सिद्धांतों का ही सहारा लेना पड़ा। लखनऊ के गुलाम रसूल के परम्परागत संगीत

महोत्सव-पुरस्कार संगीत

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विश्व संगीत दिवस (२१ जून) को देश भर में संगीत के आयोजन होते हैं। वर्ष १९८२ से प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले इस दिवस में संगीत की विश्व बंधुत्व के क्षेत्र में योगदान के मद्देनजर सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चाएं, शास्त्रीय,

भारतीय संगीत पर विदेशी संगीत का प्रभाव

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तरह-तरह के प्रभाव हमारी संस्कृति ने झेले हैं और आज भी उसी दौर से गुजर रही है। इस समय हमारा परम कर्तव्य हो जाता है कि हम इसकी शुचिता को पवित्र रूप में अनुभव करें। सांगीतिक सांस्कृतिक तत्व को सबल बनाएं तभी हम इसको बचा प

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