शब्द शक्ति का कालजयी जादू वंदे मातरम्!
सन् 1907 में जब भिकाजी कामा ने भारत के राष्ट्रध्वज के रूप में पहली बार तिरंगा का निर्माण किया और जर्मनी के स्टुटगार्ड में उसे फहराया, तब राष्ट्रगीत के तौर पर वहां ‘वंदे मातरम्’ का ही गायन हुआ। लेकिन जब आज़ादी का समय आया, तब देश के राष्ट्रध्वज के साथ ही जब राष्ट्रगीत के चयन की बात आयी, तब रवींद्रनाथ ठाकुर के ‘जन गण मन’ के मुकाबले ऐतिहासिक ‘वंदे मातरम्’ पिछड़ गया।