शब्द शक्ति का कालजयी जादू वंदे मातरम्!

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सन् 1907 में जब भिकाजी कामा ने भारत के राष्ट्रध्वज      के रूप में पहली बार तिरंगा का निर्माण किया और जर्मनी के स्टुटगार्ड में उसे फहराया, तब राष्ट्रगीत के तौर पर वहां ‘वंदे  मातरम्’ का ही गायन हुआ। लेकिन जब आज़ादी का समय आया, तब देश के राष्ट्रध्वज के साथ ही जब राष्ट्रगीत के चयन की बात आयी, तब रवींद्रनाथ ठाकुर के ‘जन गण मन’ के मुकाबले ऐतिहासिक ‘वंदे मातरम्’ पिछड़ गया।

राष्ट्र के नाम संदेश

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एक समय यह देश इतना महान था कि सोने की चिड़िया कहलाता था। फिल्मों में गाने लिखे जाते थे - ‘‘जहां डाल-डाल फर सोने की चिड़ियां करती हैं बसेरा...’’ लेकिन, सोने की चिड़िया यहां फर तभी तक थी, जब तक उसके फंख नहीं निकले।

राव समाज के इतिहास की पहचान

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प्राचीन काल से ही हिंदू समाज के स्त्री‡पुरुषों का परिचय माता-पिता के नाम से होने की प्रथा रही है। राम दशरथ का पुत्र है इस नाते ‘दशराथी राम’ यह उसका पहचान है, इसी तरह कर्ण की पहचान भी ‘राधेय’ नाम से की जात है। राम के परिचय के साथ इक्ष्वाकु वंश यह नाम भी पड़ गया है। कुल और वंश का परिचय अपनी धरोहर ही है।

न्यायफालिका की सक्रियता

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उच्चतम न्यायालय और सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्फन्न हो गई है। टकराव का कारण है न्यायफालिका का जनहित के मामलों में सक्रियता दिखाना और सरकार की निष्क्रियता दिखाई देने फर खुद जांच-फड़ताल करवाना। काले धन का फता लगाने को लेकर 4 जुलाई को दिए उच्चतम न्यायालय के आदेश के कारण टकराव की यह स्थिति बनी है।

गरीबी रेखा बनाम संपन्नता रेखा

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20 रुपया प्रतिदिन आय में इससे अधिक कुछ नहीं खरीदा जा सकता है। देश की 77 फीसदी जनसंख्या को यह 20 रूपये प्रतिदिन की दैनिक आय (योजना आयोग के अनुसार 37 प्रतिशत) भी उपलब्ध नहीं है।

सावन झूमा फिल्मों में

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अब तो चारों ओर उपग्रह चैनलों की ही गूंज है, फिर भी कई बार अच्छी कल्पनाओं का अभाव ही महसूस होता है। कहानी को महत्व देने के बजाय त्यौहारों को मलिकाओं का हिस्सा बनाने का ट्रेंड काफी स्थायी बना सा लगता है। उससे बहुत सारी मालिकाओं में सावन महीने केे काफी त्यौहार मनाये जा रहे प्रदर्शित किये जाते हैं।

64 वर्ष की आज़ादी

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आज़ादी के फर्व फर भारत के फास कहने को सफलता की और भी बहुत सारी कहानियां हैं। विश्व में आज भारत दूध के उत्फादन में अग्रणी है। गेंहू तथा चावल का रिकार्ड उत्फादन हुआ है। ज्ञान तथा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने विश्व में अर्फेाी साख बनाई है।

अन्याय

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गत चैत मास की पूर्णिमा को सुलोचना को साल पूरा हुए। साठ कोई बहुत ज्यादा नहीं कहे जा सकते; न बहुत कम। सुलोचना को लगा, ‘इतने वर्ष पर्याप्त तो अवश्य कहे जा सकते हैं।’ षष्ठि पूर्ति शब्द उसने सुना था। उसे लगा-उसकी षष्ठिभूर्ति चाहे कोई न मनाये, उसके लिए तो जीवन के साठ साल उत्सव है ही।

बंध्यत्व की चिकित्सा संभव है

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शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ व निरोग रहकर गृहस्थ जीवन के सुख प्राप्त करते हुए वंश-वृद्धि करना हरेक व्यक्ति की कामना होती है और प्रकृति का सर्वसामान्य नियम भी है। विवाह के पश्चात यदि दो वर्षों तक यदि गर्भ धारण न हो तो उस दंपति में बंध्यत्व होना मान लिया जाता है।

आई लव यू विज्ञापन

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प्रचार के पीछे भागना अच्छा नहीं माना जाता। आप अपने गुणों का खुद ही प्रचार करते फिरे इसकी अपेक्षा दूसरे आपके गुणों की तारीफ करें यह अच्छा माना जाता है। परंतु, आज की इस स्पर्धात्मक दुनिया का कायदा ही कुछ अलग है।

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