नारीशक्ती भी है भारी
आज अपने राष्ट्र में, जिसकी आधारभूत शक्तीदेवता और स्वतंत्रता की देवी भी महिला रूप है, उसके सामने ही महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। दूसरी बडी स्त्रीदेवता, न्यायदेवता भी महिला ही है पर अंधी है।
आज अपने राष्ट्र में, जिसकी आधारभूत शक्तीदेवता और स्वतंत्रता की देवी भी महिला रूप है, उसके सामने ही महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। दूसरी बडी स्त्रीदेवता, न्यायदेवता भी महिला ही है पर अंधी है।
पहले आप कुछ करके दिखाओ फिर वह मदद करेगी। एक बार हम फाइनल तक पहुंचे एक बार तीसरे क्रमांक पर रहे। परंतु आगे बढने के लिये जो ‘ब्रेक थ्रू’ चाहिये वह नहीं मिला। अब टीम को यह सोचना होगा कि उनके पास जो खूबियां हैं उनको परिणाम में कैसे बदला जाये और इसी की राह हर कोई देख रहा है।
कितनी भी जल्दी की जाय, आफिस पहुँचते में देर हो ही जाती है। घर से यदि जल्दी निकला जाय तो बस की प्रतीक्षा में समय बीत जाता है। आफिस नज़दीक होता तो यह परेशानी न होती। पैदल ही चला जाता। लेकिन रोज-बरोज दस किलोमीटर की पैदल यात्रा की जहमत उठायी भी तो नहीं जा सकती। पाँच किलोमीटर इधर से तो पाँच किलोमीटर उधर से।
गांधीजी ने कहा था-जब कोई स्त्री किसी काम में जीजान से लग जाती है तो उसके लिए कुछ भी नामुमकीन नहीं होता। इसी हकीकत को बया करती है जयवंती बेन मेहता। ये कहना भी बिल्कुल गलत नहीं होगा कि जयवंती बेन मेहता ने जो ठाना वो करके दम लिया और आज भी वे उसी आत्मविश्वास के साथ सफलता के परचम लहराने के लिए आतुर रहती है।
‘मेरा भारत महान’ यह वाक्य हम आसानी से, सहजता से और बातों ही बातों में बोल लेते है, सुनते है और लिख भी देते है। मैं भी तो इस लेख का शुभारम्भ इसी वाक्य से कर रही हूँ पर मेरा इसके पीछे कुछ गहरा उद्देश्य है।
ब्रज में होली की मस्ती में धुलेंडी से लेकर चैत्र कृष्ण दशमी तक जगह- जगह चरकुला नृत्य, हल नृत्य, हुक्का नृत्य, चांभर नृत्य एवं झूला नृत्य आदि अत्यंत मनोहारी नृत्य भी होते हैं। चैत्र कृष्ण तृतीया से लेकर चैत्र कृष्ण दशमी तक निरंतर सात दिनों तक ब्रज के प्रायः समस्त मंदिरों में फूलडोल की छटा छाई रहती है।
महमूद खान निर्देशित ‘औरत’ से सुजय घोष निर्देशित ‘कहानी’ तक स्त्री-शक्ति, अस्तित्व तथा महत्व दर्शाने वाली नायिकाप्रधान फिल्मों का बहुत बड़ा प्रवाह है। हिंदी फिल्म जगत में फिल्म निर्माण का प्रमाण देखते हुए फिल्मी स्त्री की शक्ति का प्रमाण कम ही है, पर क्यों? इसके प्रमुख कारण ये हैं।
इन फंक्तियों को जब आफ फढ़ रहे होंगे तब तक अफजल गुरु विस्मृतियों में चला गया होगा। जनस्मृतियां अल्फजीवी होती हैं। समय के ज्वार के साथ वे उफनती हैं और समय ही उन्हें विस्मृति में डाल देता है। लेकिन इतिहास किसी को क्षमा नहीं करता। खास कर किसी राष्ट की प्रभुता को चुनौती देने वाले को तो बिल्कुल नहीं। कभी-कभी सरकारें राजनीति या कूटनीति के चलते गलतियां कर देती हैं तो उन्हें भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
वसंत के आगमन के साथ ही महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का स्मरण हो आता है। वसंत पंचमी को उनका जन्मदिन मनाया जाता है। उन सरस्वती पुत्र की स्मृति में पेश है संस्मरण का यह सम्पादित अंश।
हिंदू देवमंडल में भगवान शिव का विशेष महत्त्व है। ब्रम्हा, विष्णु, महेश इन त्रिदेवों में महेश ही भगवान शंकर हैं। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि ये ‘क्षणे रुष्ठा, क्षणे तुष्टा’ प्रवृत्ति के देवता हैं।
किसी पुरुष की सफलता के पीछे नारी का हाथ माना जाता है, पर अफसोस उसी नारी को अपना वजूद स्थापित करने के लिए और एक मुकाम हासिल करने के लिए न जाने कितनी ही अग्निपरीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, नारी का जीवन संघर्षमयी होता है। चाहे हालात कैसे भी हो, बचपन, जवानी या फिर बुढ़ापा जीवन के हर पड़ाव पर उन्हें ना चाहते हुए भी पुरुषों पर आश्रित होना पड़ता है। बचपन में लड़कियों को अपने पिता के हर फैसले को मानना पड़ता है।
ग्रेगोरियन कालदर्शिका का वर्ष 2013 का नया पन्ना जब हमारे समक्ष पलटने लगता है, तब उसके साथ अनेक नये संकल्पों को भी हमारा मन सहेजने लगता है।